tag:blogger.com,1999:blog-78763630338713911382024-02-22T17:15:25.296+05:30AlertClubPradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.comBlogger152125tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-31103943690141917442011-07-12T15:01:00.004+05:302011-07-12T15:01:59.508+05:30How to Prepare for GK?<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
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<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif; text-align: center;">
<u>Tips and Tricks</u></div>
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Almost all the competitive exams have a General Awareness Section to test a candidate’s knowledge of the world around. This section evaluates the candidate’s interest in Current Affairs and General knowledge. It is considered one of the most difficult section because of no defined “syllabus”. The examiner may ask anything and everything. That is why a lot of candidates fail to score well in this section. However, there are some tested techniques that can help you prepare for GK:</div>
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<b>Tip 1: </b><u>Go Grab that New Paper</u></div>
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Current Affairs are nothing but awareness about what is happening around us. You must keep an eye on all the developments in the India, World at large, Sports, Economy and Entertainment. It is better to read as much as possible. However, keep in mind that you may end up wasting your time if you read useless trivia and gossip. You have to learn to avoid sections that can never be asked in exams.</div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
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<b>Tip 2: </b><u>Watch or Listen to NEWS</u></div>
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You should watch the news every day. You should focus on important events and happening on day to day basis. Something that you must remember: choose your source of news very carefully. We recommend watching BBC, CNN or Headlines Today. Most of the Hindi news channels are a waste of time and do not make you an informative citizen.</div>
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<br /></div>
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<b>Tip 3</b>: <u>Subscribe to a Good Magazine</u></div>
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Educational Magazines can do a lot of good to your preparation. They give you short and crisp information that can be revised easily. We can recommend following magazines. Some of them offer an online version where you can read them for free:</div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
<br /></div>
<ul>
<li>The Competition Master</li>
<li>Competition Success Review</li>
<li>Pratiyogita Darpan</li>
</ul>
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<br /></div>
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<b>Tip 4</b>: <u>Concentrate on the Important Areas</u></div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
<br /></div>
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All the sources above give you a wealth of information, however you need to pick topics to prepare, very carefully. Looking at the pattern of GK section of various test, you can find out that some areas are favorite and will definitely have questions based on them. We can suggest these important topics:</div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
<br /></div>
<ul>
<li>Places and Personalities in News</li>
<li>Social Development Plans (like NREGA, RTI etc)</li>
<li>Important Supreme Court Rulings</li>
<li>Awards and Honours</li>
<li>Business Mergers and Acquisitions</li>
<li>India’s Bilateral Relations and Foreign Policies</li>
</ul>
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<br /></div>
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<b>Tip 5</b>: <u>Take your own notes</u></div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
<br /></div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
Though is today age of internet and media, it is easy to find ready to use information. We still recommend that you take your own notes, this helps you remember them for a longer time. It is always easier to revise from your own notes than reading through all the printed material</div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
<br /></div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
<b>Tip 6</b>: <u>Buy Good Study Material</u></div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
<br /></div>
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;">
Lst but not the least. You can buy some Good Study Material that gives you focused information on tips and tricks to clear an exam. We, at GJ Tutorial, cover all the important topics asked in almost all recruitment exams like Bank PO, Bank Clerical, SSC Recruitment etc. The notes have topics related to Maths, Reasoning, English, General </div>
Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-48158637707566545612011-05-01T16:04:00.001+05:302011-05-01T16:05:16.235+05:30छोटी-सी चिड़िया, जादू की पुड़िया<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
सांझ ढले आसमान में उड़ते पंछियों की लंबी कतारें (मानो किसी ने उन्हें एक कतार में उड़ने का आदेश दिया हो)... महानगरों में बेशक यह नजारा आमतौर पर नजर नहीं आता, लेकिन गांवों का जिक्र इसके बिना आज भी अधूरा है। इसे देखकर मोहित तो सभी होते हैं लेकिन कम ही लोग इसके पीछे के मेकनिजम को जानने-समझने की कोशिश करते हैं, मसलन कैसे सैकड़ों पंछी एक कतार में उड़ते हैं? कैसे वे साथ लैंड करते हैं और एक साथ उड़ान भरते हैं? क्या ऐसा कोई भी फैसला सामूहिक होता है या फिर उनका कोई लीडर होता है? इन तमाम सवालों का जवाब तलाशने की साइंटिस्ट लगातार कोशिश कर रहे हैं।<br />
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पंछी ही क्यों, मछलियां, चीटियां, मधुमक्खी आदि सभी एक अलग तरह की कतार या कहें कि रिद्म में चलते हैं। ऐसा लगता है कि वे एक पल में ऐसा फैसला कर लेते हैं, जिसे पूरा समूह मानने को तैयार हो जाता है और कोई विरोध नहीं करता। सामूहिक फैसले का यह तरीका हम इंसानों को हैरान करनेवाला है। 'न्यू जरनल ऑफ फिजिक्स' में छपी रिसर्च में एक खास मॉडल के जरिए यह समझाया गया है कि किस तरह चिड़ियों का पूरा समूह बिजली के तारों पर उतरता है। यह स्टडी हंगरी में की गई, जहां के वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि लैंडिंग का सामूहिक फैसला हर चिड़िया की व्यक्तिगत लैंडिंग के फैसले पर भारी पड़ता है। लीडर न होने पर लैंडिंग का फैसला किसी भी चिड़िया की व्यक्तिगत बेचैनी और उनकी उड़ने की पोजिशन पर निर्भर करता है।<br />
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एक्सपर्ट्स का मानना है कि पंछियों के सामूहिक फैसले के मेकनिजम को जानकार इंसानों के सामूहिक फैसलों खासकर किसी काम को शुरू करने और खत्म करने के बारे में समझना आसान हो सकता है। इससे शेयर मार्केट में शेयरों की सामूहिक खरीद-फरोख्त को भी समझा जा सकता है। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ जिऑलजी के साइंटिस्ट मानते हैं कि किसी भी फैसले में सभी पक्षियों की राय होती है लेकिन साथ ही यह भी लगता है कि कुछ पंछी लीड करते हैं और कुछ उन्हें फॉलो करते हैं। मजेदार यह है कि समूह के मुखिया की मौत के बाद कोई जवां पंछी खुद-ब-खुद उसकी जगह ले लेता है।<br />
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<div style="text-align: center;"><b>वापसी का राज</b></div>पंछियों का साल भर बाद फिर अपने पुराने घोंसलों में लौट आना भी हैरान कर देनेवाला है। क्या वे कोई आंतरिक नक्शा बनाते हैं? दरअसल, लंबी दूरी की उड़ान में वे अपने थर्ड सेंस यानी सूंघने की शक्ति का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि सैकड़ों मील की दूरी तय कर पंछी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते हैं और फिर लौट आते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ फैयाद खुद्सर के मुताबिक, पंछियों की उड़ान को लेकर दो थ्योरी हैं, पहली : ये चांद और तारों की पोजिशन को फॉलो करते हैं और दूसरी : धरती का मैगनेटिक फील्ड इन्हें रास्ता दिखता है। इसके अलावा साथ ही, लैंड करने के बाद वे जगह-जगह पर रेकी भी करते हैं कि यहां खाना ठीक है या नहीं। यहां तक कि लंबी उड़ान के बाद जब वे किसी टापू पर उतरते हैं, तो ऐसे फल खाते हैं, जिनमें एंटी-ऑक्सिडेंट ज्यादा होते हैं, ताकि उन्हें उड़ान के लिए ताकत मिल सके और बीमारियों से दूर रह सकें। यूनिवर्सिटी ऑफ रोड आइलैंड (अमेरिका) के वैज्ञानिकों की इस स्टडी से पंछियों की समझ का नया पहलू उजागर हुआ है।<br />
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<div style="text-align: center;"><b>गजब की समझ</b></div>यह आम धारणा है कि परिंदे एक क्लास या समूह के तौर पर रैप्टाइल्स (रेंगनेवाले जीव) से ज्यादा समझदार होते हैं और इनकी कई प्रजातियां इस साइज के मैमल्स (स्तनधारी) के बराबर इंटेलिजेंट होती हैं। अफ्रीकी ग्रे पैरट पर की गई स्टडी बताती है कि ये तोते कुछ शब्दों का उनके मतलब के साथ मिलान कर सकते हैं और छोटे वाक्य भी बोल सकते हैं। एलेक्स नामक ग्रे पैरट को 100 से भी ज्यादा चीजों के नाम सिखाए गए। ये चीजें अलग-अलग रंगों की और अलग-अलग चीजों से बनी थीं। इसी तरह कबूतर लंबे समय के लिए बहुत सारी इमेज याद रख सकते हैं। साथ ही, वे थोड़े जटिल काम भी सीख सकते हैं और अलग-अलग स्थिति में रिस्पॉन्स करना भी सीख सकते हैं।<br />
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वैसे सभी परिंदे अपनी आवाज, गाने और बॉडी लैंग्वेज से दूसरे साथियों से संवाद कायम करते हैं। यही नहीं, बहुत पहले सीखे गए गाने वे जिंदगी भर याद रखते हैं। पक्षियों की कुछ प्रजातियां अपनी प्रजाति के खास अंदाज में गाना गाती हैं, वहीं एलियोनोरा कोकटू बर्ड तो हमारे म्यूजिक पर भी नाच सकते हैं। पंछियों की समझ का एक अच्छा उदाहरण हैं टिटहरी। यह पंछी जमीन पर घोंसला बनाता है। ऐसे में उस पर हमले का खतरा बना रहता है। कई बार कुत्ते-बिल्ली घोंसले पर हमला करने की नीयत से वहां पहुंचते हैं तो टिटहरी आसानी से उन्हें बेवकूफ बना देता है। टिटहरी घोंसले से थोड़ा दूर अपने पंखों को गिराकर इस तरह लेट जाता है, मानो वह मर चुका हो। जब हमलावर वहां पहुंचता है तो वह उठकर भाग खड़ा होता है। हमलावर उसका पीछा करने के चक्कर में घोंसले से दूर चला जाता है। इस तरह यह पक्षी अपनी और अपने घोंसले की हिफाजत अच्छी तरह कर लेता है।<br />
<br />
यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में साइंटिस्ट फैजल मोहम्मद के मुताबिक, गौरैया आमतौर पर अनाज खाती है लेकिन अपने छोटे-छोटे बच्चों को कीड़े (टिड्डे) खिलाती है, ताकि उन्हें ज्यादा प्रोटीन मिल सके और वे जल्दी बड़े हो सकें। यह मां की ममता के साथ-साथ समझ को भी बताता है।<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><b>सुरक्षा का खास ख्याल</b></div>सामूहिक फैसलों के अलावा पंछियों में सामूहिक सुरक्षा की भावना भी खूब नजर आती है। sciencedaily.com पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर पंछी दुश्मन को देखने पर मुंह से अलग तरह की आवाज निकालते हैं। हालांकि अभी यह पूरी तरह साफ नहीं है कि वे ऐसा अपने साथियों को सचेत करने के लिए करते हैं या फिर दुश्मन को यह जताने के लिए कि मैंने तुम्हें देख लिया है। लेकिन पंछी सभी दिशाओं में बराबर आवाजें निकालते हैं, जिससे वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि ऐसी आवाजें निकालकर वे शायद अपने साथियों को खतरे का इशारा करते हैं। ऐसे भी पंछी हैं, जो अपने ग्रुप में एक-दूसरे की सुरक्षा का सीधे तौर पर ख्याल रखते हैं। ऐसा ही पंछी है पैब्लर या सेवन सिस्टर्स।<br />
<br />
फैयाद खुद्सर के मुताबिक ये हमेशा समूह में चलते हैं और जब कुछ साथी जमीन या पत्तों पर से कीड़े तलाश रहे होते हैं, उतनी देर तक एक-दो साथी ऊपर पेड़ पर बैठकर निगरानी करते हैं। किसी भी तरह का खतरा होने पर वे अपने साथियों को आवाज दे देते हैं। इतनी देर में नीचे बैठे पैब्लर अच्छी तरह खाना खा लेते हैं। फिर वे ऊपर बैठे साथियों की जगह ले लेते हैं। हरियल (कबूतर जैसा पंछी) की खासियत यह है कि वह अपनी जिंदगी में कभी जमीन पर नहीं बैठता। वह हमेशा बड़े पेड़ों पर ऊंची टहनियों पर बैठता है। इसके पीछे क्या वजह है, इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। हालांकि एक वजह उसके पंजों की खास बनावट भी है, फिर भी इसके पीछे सुरक्षा या दूसरे कारणों से इनकार नहीं किया जा सकता।<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><b>दुनियादारी भी</b></div>बया का नाम तो सभी ने सुना होगा। इस पंछी की खासियत यह है कि नर बया घोंसला बनाता है और आधा घोंसला बनाने के बाद वह पंख फैलाकर डांस करता है, ताकि कोई मादा उसकी ओर आकर्षित हो जाए। मादा को अगर घोंसला पसंद आता है तो वहीं रुक जाती है और नर के साथ मिलकर घोंसला पूरा करती है, वरना आगे बढ़ जाती है। बेचारे नर को उस घोंसले को छोड़कर नया घोंसला बनाता है। इस तरह एक सीजन में एक नर बया को करीब आठ-दस घोंसले बनाने पड़ते हैं। मादा बया का अपनी पसंद को इतनी अहमियत देना कहीं पंछियों के संसार के मटीरियलिज्म की बानगी तो नहीं!<br />
<br />
वैसे, पंछियों में आपसी प्रेम की मिसालें भी खूब मिलती हैं। हॉर्नबिल ऐसा ही पंछी है। मादा हॉर्नबिल पेड़ के तने में बने कोटर में अंडा देती है तो नर हॉर्नबिल उस कोटर को मिट्टी से पूरी तरह बंद कर देता है, बस मादा हॉर्नबिल की चोंच बाहर निकली रहती है। अंदर मां सिर्फ अंडों का ख्याल रखती है। जब अंडों से बच्चे बाहर निकल आते हैं तो नर हॉर्नबिल कोटर पर से मिट्टी हटा देता है। इसी तरह, नर और मादा टील में बहुत गहरा रिश्ता होता है। नर टील इस बात का खास ख्याल रखता है कि कोई मादा टील को खा न ले या फिर दूसरा टील उसे ले न जाए। वह पूरे वक्त मादा टील पर निगाह रखता है।<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><b>मन मोहने में माहिर</b></div>इंसान ही नहीं, पक्षी भी अपनी साज-संवार का खूब ख्याल रखते हैं। यकीन न हो तो मादा फ्लैमिंगो को देखें। लगता है कि वह अपने पंखों को खूबसूरत बनाने और नर प्लैमिंगो को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अपने पंखों पर नैचरल मेकअप लगाती है। ऐसा वह अपने ग्लैंड्स से निकलने वाले कलर पिग्मेंट के जरिए करती है। जानकार बताते हैं कि ब्रीडिंग पीरियड के दौरान ही उसके शरीर पर लाल धब्बे बनने लगते हैं, ताकि नर उसकी ओर आकर्षित हो सके। स्पेन में हुई एक स्टडी में यह जानकारी मिली। गाय के ऊपर चलनेवाला कैटल इग्रेड पंछी भी ब्रीडिंग पीरियड में सफेद से सुनहरा हो जाता है।<br />
<br />
फैजल मोहम्मद का कहना है कि नर कोयल मादा का ध्यान खींचने के लिए सुरीली आवाज में गाता है। हालांकि आमतौर पर लोगों को भ्रम है कि मादा कोयल गाती है लेकिन असल में नर कोयल सुरीली तान छेड़ता है, ताकि कोई मादा उसकी ओर खिंची चली आए।<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><b>कुछ और खासियतें</b></div>- पंछी उड़ते हुए कई बार वी शेप या किसी और खास शेप में पैटर्न बनाते हैं। ऐसा वे एयर करंट का सामना करने के लिए करते हैं ताकि आराम से उड़ान भर सकें क्योंकि उड़ने में काफी मेहनत लगती है।<br />
<br />
- आमतौर पर कतार में सबसे आगे मजबूत पंछी उड़ता है। बीच-बीच में वे जगह बदलते रहते हैं।<br />
<br />
- एक पंछी भरतपुर से लद्दाख सात-आठ घंटे में पहुंच गया। यह जानकारी उसके पैरों में बांधे गए ट्रांसमिशन के जरिए मिली।<br />
<br />
- पंछी 40 मील प्रति घंटे की रफ्तार से जीरो पर जा सकते हैं और हिलती हुई टहनियों पर उतर सकते हैं और वह भी कुछ पलों में।<br />
<br />
- एक हमिंग बर्ड डेढ़ घंटे तक हवा में बिना रुके पंख फड़फड़ा सकती है। कोई और पंछी ऐसा नहीं कर सकता।<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><b>जाने कहां गए वे</b></div>पंछियों की कई प्रजातियां खत्म हो रही हैं। गिद्ध, कौवे, गौरैया अब बहुत कम नजर आते हैं। जानकारों का मानना है कि अमेरिका में सबसे ज्यादा पक्षी गायब हुए हैं। इसके अलावा इंडोनेशिया, ब्राजील और भारत के पंछियों को भी खतरा काफी ज्यादा है। लेकिन पंछियों के खत्म होने की सबसे बड़ी घटना है मुसाफिर कबूतरों (पैसेंजर पीजन) का खत्म होना। उत्तरी अमेरिका के जंगलों-पहाड़ों में अरबों मुसाफिर कबूतर (पैसेंजर पिजन) रहते थे। जब वे एक मील चौड़ाई और कई मील लंबाई वाले झुंड में उड़ते थे तो आसमान में कई घंटों के लिए अंधेरा छा जाता था। 19वीं सदी में उनकी तादाद दो सौ से पांच सौ करोड़ के बीच थी। 19वीं सदी की शुरुआत में वे खत्म हो गए, वजह वही विकास के नाम पर जंगलों का खत्म होना। यानी सबसे ज्यादा संख्या में पाया जानेवाला पक्षी भी हम इंसानों की वजह से गायब हो गया।<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><b>आंकड़ों की नजर से</b></div>- 9703 से ज्यादा प्रजातियां हैं पंछियों की दुनिया भर में<br />
- 1-2 लाख एडल्ट पंछी होते हैं दुनिया में एक वक्त में<br />
- 40 हजार प्रजातियां खतरे में हैं।<br />
- 103 प्रजातियां 19वीं सदी में विलुप्त हो गईं।<br />
- 12 फीसदी अगले सौ बरसों में खत्म हो जाएंगी।<br />
- 182 पक्षी प्रजातियों के अगले 10 साल में खत्म होने की 50 फीसदी आशंका है।<br />
- 680 फीसदी प्रजातियां अगले 100 साल में खत्म हो सकती हैं।<br />
<br />
<b>सोर्स</b> : वर्ल्ड लाइफ इंटरनैशनल व इंटरनैशल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर<br />
<br />
</div>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-55588727957803095032011-04-12T11:09:00.000+05:302011-04-12T11:09:36.031+05:30न्यायपूर्ण बंटवारे से मिलेगी बिजली<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">इस समय देश की लगभग तिहाई जनता को बिजली उपलब्ध नहीं है। धारणा है कि उत्पादन बढ़ा दिया जाए तो गरीब को भी बिजली उपलब्ध हो जाएगी। <br />
<br />
देश में लगभग चार करोड़ लोगों के घरों में बिजली नहीं पहुंची है। इन्हें 30 यूनिट प्रतिमाह की न्यूनतम बिजली उपलब्ध कराने के लिये प्रति माह 1.2 अरब यूनिट बिजली की आवश्यकता है। अभी देश में बिजली का उत्पादन लगभग 67 अरब यूनिट प्रति माह है, यानी उपलब्ध बिजली में से केवल दो प्रतिशत बिजली ही सभी घरों को बिजली उपलब्ध कराने के लिये पर्याप्त है।<br />
<br />
समस्या यह है कि उपलब्ध बिजली का उपयोग संभ्रांत वर्ग की असीमित विलासिता को पूरा करने के लिये किया जा रहा है। परिणामस्वरूप गरीब के घर पहुंचाने के लिये बिजली बचती ही नहीं। इस प्रकार संकट बिजली के उत्पादन से अधिक उसके दुरुपयोग का है<br />
<br />
गरीब द्वारा बिजली की खपत लाइट, फैन, डेजर्ट कूलर, फ्रिज तथा टीवी के लिए की जाती है। इससे जीवन स्तर में सुधार होता है। परंतु इसके आगे एयर कंडीशनर, वॉशिंग मशीन, डिश वॉशर, फ्रीजर, गीजर, रिफ्लेक्टेड लाइटिंग आदि से जीवन स्तर ज्यादा सुधरता नहीं दिखता।<br />
<br />
सवाल खपत में संतुलन कायम करने का है। ओवरईटिंग करने वाले की खुराक काट कर भूखे गरीब को दे दी जाये तो दोनों सुखी हो जाएंगे। बिजली का बंटवारा कुछ इसी प्रकार करने की जरूरत है। अमीर यदि एयरकंडीशन कमरे से बाहर निकलकर सैर करे तो उसका स्वास्थ भी सुधरेगा और गरीब को बिजली भी उपलब्ध हो जाएगी। <br />
<br />
अंतत: धरती मां की बिजली उपजाने की क्षमता सीमित है। थर्मल बिजली से जंगल कटते हैं, न्यूक्लियर बिजली से रिसाव के खतरे उत्पन्न होते हैं, जल विद्युत के उत्पादन में नदी का पानी सड़ता है, जिससे बनने वाली मीथेन गैस कार्बन डाई ऑक्साइड से भी ज्यादा जहरीली होती है। फिर भी हम बिजली का उत्पादन उत्तरोत्तर बढ़ाने को उद्यत हैं, क्योंकि भ्रम यह है कि स्टैंडर्ड बढ़ाने के लिये बिजली जरूरी है। हमें इस भ्रम से उबरना चाहिए। सेवा क्षेत्र के माध्यम से आर्थिक विकास हासिल करना चाहिए और उपलब्ध बिजली का न्यापूर्ण वितरण करके बिजली की खपत बढ़ाए बिना प्रगति के रास्ते पर अग्रसर होना चाहिए। महानगरों में वातानुकूलित शॉपिंग सेंटर चलाने के लिये अपने पर्यावरण और संस्कृति को अनायास ही दांव पर लगाने का कोई औचित्य नहीं है। <br />
<br />
(NBT)</div>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-17797030384095895592011-01-07T20:32:00.000+05:302011-01-07T20:32:17.140+05:3010 Deadly Sins of Negative Thinking<ul><li><span style="color: #6aa84f;">I will be happy once I have _____ (or once I earn X)</span>.</li>
</ul><ol></ol><blockquote><b>Problem:</b> If you think you can’t be happy until you reach a certain point, or until you reach a certain income, or have a certain type of house or car or computer setup, you’ll never be happy. That elusive goal is always just out of reach. Once we reach those goals, we are not satisfied — we want more.<br />
<br />
<b>Solution</b>: Learn to be happy with what you have, where you are, and who you are, right at this moment. Happiness doesn’t have to be some state that we want to get to eventually — it can be found right now. Learn to count your blessings, and see the positive in your situation. This might sound simplistic, but it works. </blockquote><ul style="color: #6aa84f;"><li> I wish I were as ____ as (a celebrity, friend, co-worker).</li>
</ul><ol></ol><blockquote><b>Problem:</b> We’ll never be as pretty, as talented, as rich, as sculpted, as cool, as everyone else. There will always be someone better, if you look hard enough. Therefore, if we compare ourselves to others like this, we will always pale, and will always fail, and will always feel bad about ourselves. This is no way to be happy.<br />
<br />
<b>Solution:</b> Stop comparing yourself to others, and look instead at yourself — what are your strengths, your accomplishments, your successes, however small? What do you love about yourself? Learn to love who you are, right now, not who you want to become. There is good in each of us, love in each of us, and a wonderful human spirit in every one of us.</blockquote><br />
<ul style="color: #6aa84f;"><li>Seeing others becoming successful makes me jealous and resentful.</li>
</ul><blockquote><b>Problem:</b> First, this assumes that only a small number of people can be successful. In truth, many, many people can be successful — in different ways.<br />
<br />
<b>Solution: </b>Learn to admire the success of others, and learn from it, and be happy for them, by empathizing with them and understanding what it must be like to be them. And then turn away from them, and look at yourself — you can be successful too, in whatever you choose to do. And even more, you already are successful. Look not at those above you in the social ladder, but those below you — there are always millions of people worse off than you, people who couldn’t even read this article or afford a computer. In that light, you are a huge success.</blockquote><br />
<ul style="color: #6aa84f;"><li>I am a miserable failure — I can’t seem to do anything right.</li>
</ul><blockquote><b>Problem: </b>Everyone is a failure, if you look at it in certain ways. Everyone has failed, many times, at different things. I have certainly failed so many times I cannot count them — and I continue to fail, daily. However, looking at your failures as failures only makes you feel bad about yourself. By thinking in this way, we will have a negative self-image and never move on from here.<br />
<br />
<b>Solution: </b>See your successes and ignore your failures. Look back on your life, in the last month, or year, or 5 years. And try to remember your successes. If you have trouble with this, start documenting them — keep a success journal, either in a notebook or online. Document your success each day, or each week. When you look back at what you’ve accomplished, over a year, you will be amazed. It’s an incredibly positive feeling.</blockquote><br />
<ul style="color: #6aa84f;"><li>I’m going to beat so-and-so no matter what — I’m better than him. And there’s no way I’ll help him succeed — he might beat me.</li>
</ul><blockquote><b>Problem</b>: Competitiveness assumes that there is a small amount of gold to be had, and I need to get it before he does. It makes us into greedy, back-stabbing, hurtful people. We try to claw our way over people to get to success, because of our competitive feelings. For example, if a blogger wants to have more subscribers than another blogger, he may never link to or mention that other blogger. However, who is to say that my subscribers can’t also be yours? People can read and subscribe to more than one blog.<br />
<br />
<b>Solution</b>: Learn to see success as something that can be shared, and learn that if we help each other out, we can each have a better chance to be successful. Two people working towards a common goal are better than two people trying to beat each other up to get to that goal. There is more than enough success to go around. Learn to think in terms of abundance rather than scarcity.</blockquote><br />
<ul style="color: #6aa84f;"><li>Dammit! Why do these bad things always happen to me?</li>
</ul><blockquote><b>Problem:</b> Bad things happen to everybody. If we dwell on them, they will frustrate us and bring us down.<br />
<br />
<b>Solution</b>: See bad things as a part of the ebb and flow of life. Suffering is a part of the human condition — but it passes. All pain goes away, eventually. Meanwhile, don’t let it hold you back. Don’t dwell on bad things, but look forward towards something good in your future. And learn to take the bad things in stride, and learn from them. Bad things are actually opportunities to grow and learn and get stronger, in disguise.</blockquote><br />
<ul style="color: #6aa84f;"><li> You can’t do anything right! Why can’t you be like ____ ?</li>
</ul><blockquote><b>Problem: </b>This can be said to your child or your subordinate or your sibling. The problem? Comparing two people, first of all, is always a fallacy. People are different, with different ways of doing things, different strengths and weaknesses, different human characteristics. If we were all the same, we’d be robots. Second, saying negative things like this to another person never helps the situation. It might make you feel better, and more powerful, but in truth, it hurts your relationship, it will actually make you feel negative, and it will certainly make the other person feel negative and more likely to continue negative behavior. Everyone loses.<br />
<br />
<b>Solution: </b>Take the mistakes or bad behavior of others as an opportunity to teach. Show them how to do something. Second, praise them for their positive behavior, and encourage their success. Last, and most important, love them for who they are, and celebrate their differences.</blockquote><br />
<ul style="color: #38761d;"><li>Your work sucks. It’s super lame. You are a moron and I hope you never reproduce.</li>
</ul><blockquote><b>Problem</b>: I’ve actually gotten this comment before. It feels wonderful. However, let’s look at it not from the perspective of the person receiving this kind of comment but from the perspective of the person giving it. How does saying something negative like this help you? I guess it might feel good to vent if you feel like your time has been wasted. But really, how much of your time has been wasted? A few minutes? And whose fault is that? The bloggers or yours? In truth, making negative comments just keeps you in a negative mindset. It’s also not a good way to make friends.<br />
<br />
<b>Solution</b>: Learn to offer constructive solutions, first of all. Instead of telling someone their blog sucks, or that a post is lame, offer some specific suggestions for improvement. Help them get better. If you are going to take the time to make a comment, make it worth your time. Second, learn to interact with people in a more positive way — it makes others feel good and it makes you feel better about yourself. And you can make some great friends this way. That’s a good thing.</blockquote><br />
<ul style="color: #38761d;"><li>Insulting People Back</li>
</ul><blockquote><b>Problem</b>: If someone insults you or angers you in some way, insulting them back and continuing your anger only transfers their problem to you. This person was probably having a bad day (or a bad year) and took it out on you for some reason. If you reciprocate, you are now having a bad day too. His problem has become yours. Not only that, but the cycle of insults can get worse and worse until it results in violence or other negative consequences — for both of you.<br />
<br />
<b>Solution</b>: Let the insults or negative comments of others slide off you like Teflon. Don’t let their problem become yours. In fact, try to understand their problem more — why would someone say something like that? What problems are they going through? Having a little empathy for someone not only makes you understand that their comment is not about you, but it can make you feel and act in a positive manner towards them — and make you feel better about yourself in the process.</blockquote><br />
<ul style="color: #38761d;"><li>I don’t think I can do this — I don’t have enough discipline. Maybe some other time.</li>
</ul><blockquote><b>Problem</b>: If you don’t think you can do something, you probably won’t. Especially for the big stuff. Discipline has nothing to do with it — motivation and focus has everything to do with it. And if you put stuff off for “some other time”, you’ll never get it done. Negative thinking like this inhibits us from accomplishing anything.<br />
<br />
<b>Solution</b>: Turn your thinking around: you can do this! You don’t need discipline. Find ways to make yourself a success at your goal. If you fail, learn from your mistakes, and try again. Instead of putting a goal off for later, start now. And focus on one goal at a time, putting all of your energy into it, and getting as much help from others as you can. You can really move mountains if you start with positive thinking.</blockquote>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-27308095423032056742010-12-15T21:02:00.001+05:302010-12-15T21:06:20.184+05:30Airtel Latest Signature Music<center><embed height="30" pluginspage="http://www.macromedia.com/go/getflashplayer" quality="high" src="http://img227.imageshack.us/img227/3087/playergv1.swf?soundFile=http://desiramp.com/wp-content/uploads/2010/10/airtel_latest.mp3&bg=0xCDDFF3&leftbg=0x357DCE&lefticon=0xF2F2F2&rightbg=0x357DCE&rightbghover=0x4499EE&righticon=0xF2F2F2&righticonhover=0xFFFFFF&text=0x357DCE&slider=0x357DCE&track=0xFFFFFF&border=0xFFFFFF&loader=0x8EC2F4&autostart=yes&loop=yes" type="application/x-shockwave-flash" width="250" wmode="transparent"></embed><br />
<a href="http://desiramp.com/wp-content/uploads/2010/10/airtel_latest.mp3">Download</a></ceneter>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-68563549184332003132010-11-14T18:56:00.002+05:302010-11-14T19:33:50.562+05:30एयरटेल दिल्ली हाफ मेराथन <div style="background-color: #fff2cc; text-align: center;"><b>Date: 21 Nov, 2010: Sunday</b></div><div style="background-color: #fff2cc; text-align: center;"><b>Location: Delhi.</b></div><div style="background-color: #fff2cc; text-align: center;">------</div>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-88785525479658200312010-10-23T13:40:00.001+05:302010-10-23T13:41:41.032+05:30गेम्स से किसका सर ऊंचा हुआकॉमनवेल्थ गेम्स खत्म हो चुके हैं। भारतीय खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 30 गोल्ड मेडल का पुराना रेकॉर्ड तोड़ दिया है। आर्चरी और ऐथलेटिक्स जैसे इवेंट्स में भी, जहां हम पहले कहीं नहीं थे, हमने अपना सिक्का जमाया है। है न फख्र की बात यह देश के 110 करोड़ भारतीयों के लिए? 110 करोड़ भारतीय! आर्चरी संघ के अध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा ने गर्वित भारतीयों की यही संख्या बताई थी, जब भारतीय तीरंदाजों ने मेडल जीता था। कलमाड़ी और मनमोहन सिंह की राय भी यही है कि इन खिलाड़ियों ने देश के समस्त भारतीयों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है।<br />
<br />
<div style="color: #6fa8dc;"><b>खटिया भर जगह</b></div>समस्त भारतीय! पूछने का मन करता है इन नेताओं से, क्या इन समस्त भारतीयों में मेरे घर में बर्तन मांजने वाली मेड भी आती है! पिछले 10 दिनों से मैं उसे पहले की ही तरह सर झुकाकर झाड़ू-पोंछा करते देखता आया हूं। क्या इन गर्वित भारतीयों में मेरा ड्राइवर भी आता है? पिछले 10 दिनों से वह पहले की ही तरह आंखें झुकाकर बात कर रहा है। क्या इन भारतीयों में मेरे अपार्टमेंट का गार्ड भी आता है? उसका कंधा भी मैं पहले की ही तरह झुका हुआ देख रहा हूं। ये तो फिर भी दिल्ली-नोएडा में रहने वाले लोग हैं जिनको कम से कम यह पता होगा कि दिल्ली में कोई खेल चल रहे हैं। इनके अलावा ऐसे करोड़ों भारतीय हैं जो गांवों और कस्बों में रहते हैं। जिनको पता ही नहीं होगा इन गेम्स के बारे में। इन करोड़ों लोगों के लिए देश एक ज़मीन का नाम है जहां उन्हें रहने को एक खटिया भर जगह और खाने को दो वक्त की रोटी मिल जाए तो उनका दिन बन जाता है।<br />
<br />
<div style="color: #6fa8dc;"><b>किसका यह देश</b></div>आज शहरों और गांवों का समृद्ध तबका कॉमनवेल्थ गेम्स में प्रदर्शन पर बाग-बाग हो रहा है। मीडिया उनकी खुशी को और भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहा है और मैं सोच रहा हूं कि आखिर यह हिंदुस्तान किसका है? क्या यह उनका है जो ऊंची-ऊंची इमारतों में, बिजली की रोशनी में नहाते शहरों में, फ्लाईओवरों के जालों में और कारों की कतारों में देश का विकास देखकर गदगद होते हैं? या उनका जो जंगलों में और गांवों में, टूटे-फूटे झोपड़ों में, नंगे बदन या चीथड़ों में और अल्युमिनियम के कटोरों में अपना नरक जीते हैं और उसी में मर जाते हैं? क्या यह उनका है जिनका देश की 80 प्रतिशत दौलत पर कब्जा है और जो देश की एक-एक इंच ज़मीन पर कब्जा करना चाहते हैं ताकि उससे होने वाली कमाई से अपने लिए महल खड़े कर सकें? या उनका जो अपने झोपड़े भर की जगह बचाने की कोशिश करने पर नक्सली कह कर मार दिए जाते हैं?<br />
<br />
अगर आबादी के हिसाब से देखा जाए तो क्या यह देश बहुसंख्यक हिंदुओं का है ? अगर हां तो किन हिंदुओं का ? उनका जिनके पास कृपालु और करुणामय ईश्वर का दिया हुआ सब कुछ है , या उनका जिन पर उसी दयानिधान को कभी दया नहीं आती ? उनका जिनके मुताबिक हिंदुत्व विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्म है , या उनका जिनके लिए रोटी से बड़ा कोई धर्म नहीं है ? उनका जिन्हें अपने हिंदू होने का अभिमान और अहंकार है , या उनका जिनके हिंदू होने पर इन हिंदुओं को ही शर्म आती है ? उनका जिनका सबसे बड़ा सपना अयोध्या में राम मंदिर का बनना है या उनका जिनकी जिंदगी में राम का दखल सिर्फ रमुआ या रामचरन जैसे नामों तक है ? क्या यह देश मुसलमानों का है ? अगर हां तो किन मुसलमानों का ? उनका जो इंसान से ऊपर इस्लाम को और हिंदुस्तान से ऊपर पाकिस्तान को रखते हैं या उनका जिनसे उनके इस्लामी नाम की वजह से हर कदम पर भारतीय होने का सर्टिफिकेट मांगा जाता है ?<br />
<br />
आखिर यह देश किसका है ? उत्तर भारत के उन मुट्ठी भर लोगों का , जिन्होंने हिंदी को हिंदू और हिंदुस्तान से जोड़कर बाकी भाषाओं को सौतेली बहनों का दर्जा दे दिया है ? या उनका जो कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से महाराष्ट्र तक अलग - अलग बोलियां बोलते हैं और हिंदी के भारी वजन से खुद को बचाने के लिए हमेशा चिंतित रहते हैं ? उनका जो महंगे स्कूलों और कॉलेजों में पढ़कर फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं और ऊंचे कनेक्शन के बल पर बड़े - बड़े सरकारी और निजी ओहदों पर आसीन हो जाते हैं ? या उनका जो नगरपालिका या सरकारी स्कूल में पढ़कर एक छोटी - सी नौकरी के लिए आवेदन पर आवेदन जमा कराते रहते हैं ?<br />
<br />
यह देश किसका है ? उनका जो एक - एक फिल्म के लिए करोड़ों वसूलते हैं या उनका जो इनको पर्दे पर देखकर अपनी भी किस्मत किसी दिन बदलने का झूठा सपना बुनते हैं ? उनका जो खेल के मैदान पर बल्ला या रैकेट घुमाकर और कैमरों के सामने गोरा बनने की क्रीम बेचकर अरबपति बन गए हैं या उनका जो छोटा - मोटा टीवी तो क्या , एक रेडियो भी अफोर्ड नहीं कर सकते ? उनका जो मजदूर , किसान , जनता आदि के नाम पर वोट मांगते हैं मगर संसद और विधानसभाओं में जाकर धंधेबाजों , तस्करों और माफियाओं की बेशर्मी से चाकरी करते हैं , या उनका जिनके नाम पर यह सारी राजनीति चल रही है ? उनका जो विकास के नाम पर बने प्रोग्रामों में से अधिकतर हिस्सा अपनों में बांट देते हैं या उनका जिन्हें उनके अधिकार का एक - एक पैसा खैरात बोलकर दिया जाता है ?<br />
<br />
<div style="color: #6fa8dc;"><b>एक यक्ष प्रश्न</b></div>कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद दिल्ली जगमगा रही है , कई चेहरों पर जीत का उत्साह है और मैं यही सोच रहा हूं कि यह देश किसका है ? इनका है या उनका है ? अगर इनका है तो वे , जिनका यह देश नहीं है , क्यों इस देश के अच्छे - बुरे की चिंता करें ? और इनका नहीं , उनका है तो वे क्यों नहीं अपना हिंदुस्तान इनसे छीन लेते ? अगर यह देश इनका भी है और उनका भी तो क्यों इनके बच्चे कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान स्टेडियम के अंदर तालियां बजा - बजाकर चियर कर रहे थे , जबकि उनके नंगधड़ंग बच्चे खेल शुरू होने से पहले ही मां - बाप के साथ दिल्ली से बाहर भेज दिए गए थे ?<br />
<br />
: <span style="font-weight: bold;">नीरेंद्र नागर</span>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-15828398595162957542010-10-06T12:31:00.001+05:302010-10-06T12:34:04.994+05:30CWG-3 : भारत के मुकाबले<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6531493" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><br />
</a></div><div style="text-align: center;"><span style="font-size: large;"><b>तैराकी</b></span></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6531493" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6531493" /></a></div><b>समय</b>: सुबह 8.00 am से 11.00 am<br />
शाम 4 pm से 6. 00 pm<br />
<b>जगह </b>- एसपीएम स्विमिंग कॉम्पलेक्स<br />
<br />
<b>मुकाबले</b><br />
800 मीटर फ्रीस्टाइल महिला : सुरभि टिपरे 100 मीटर<br />
फ्री स्टाइल पुरुष : आरोन एग्नेल डिसूजा , वीरधवल खाड़े , अंशुल कोठारी<br />
100 मीटर बटरफ्लाई महिला : पूजा राघव अल्वा , शुभा चितरंजन<br />
200 मीटर बैक स्ट्रोक पुरुष : रोहित राजेंद्र हवलदा , रेहान पोंचा , प्रवीण टोकस<br />
200 मीटर ब्रीस्ट स्ट्रोक महिला : राघवी मणिपाल , पूर्वा किरण शेट्ये चार गुणा<br />
200 मीटर फ्री स्टाइल रिले महिला : पूजा अल्वा , शुभा चितरंजन , आरती घोरपडे , तलाशा सतीश प्रभु , स्नेहा टी , सुरभि टिपरे<br />
रिदम - अवनी करदम दवे , कविता चंदरास कोलापकर , बिजल विजय वसंत।<br />
<div style="text-align: center;"><b><span style="font-size: large;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: center;"><b><span style="font-size: large;">तीरंदाजी</span></b></div><b>समय</b><br />
महिला रिकर्वः सुबहः 9.00 am से 10.00 am<br />
पुरुषः रिकर्व शाम : 2.00 pm से 3.00 pm<br />
जगह - यमुना स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स<br />
<b>मुकाबले</b><br />
रिकर्व टीम महिला : डोला बनर्जी , दीपिका कुमारी , बोंबायला देवी लेइशराम<br />
रिकर्व टीम पुरुष : राहुल बनर्जी , तरुणदीप राय , जयंत तालुकदार<br />
कंपाउंड टीम महिला : बी चानू , हंसदा , गगनदीप कौर<br />
कंपाउंड टीम पुरुष : रितुल चटर्जी , जिग्नास सी , चिन्ना राजू<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><span style="font-size: large;"><b>ऐथलेटिक्स</b></span></div><b>समय</b><br />
5. 00 pm से 8. 00 pm<br />
जगह- जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम<br />
<br />
<b>मुकाबले</b><br />
100 मीटर पुरुष : नगराज जी , मोहम्मद अब्दुल नजीब कुरैशी , के सतीश राने<br />
400 मीटर महिला : मंदीप कौर , मंजीत कौर<br />
शॉटपुट पुरुष : ओमप्रकाश सिंह करहाना , नवप्रीत सिंह , सौरभ विज<br />
5000 मीटर पुरुष : संदीप कुमार , सुनील कुमार<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><span style="font-size: large;"><b>बॉक्सिंग</b></span></div><b>समय</b><br />
दोपहर 1 pm से 10 pm<br />
<b>जगह </b>- तालकटोरा इंडोर स्टेडियम<br />
<br />
<b>मुकाबले</b><br />
लाइटवेट 60 किलो : जयभगवान<br />
वेल्टरवेट 69 किलो : दिलबाग सिंह<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><b><span style="font-size: large;">साइकलिंग</span></b></div><b>समय</b><br />
सुबह : 11.00 am से 8.00 pm<br />
<b>जगह </b>- इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स<br />
<br />
<b>मुकाबले</b><br />
केइरिन पुरुष : राजेश चंद्रशेखर , अमृत सिंह , बिक्रम सिंह<br />
टीम फर्राटा महिला : रमेश्वरी देवी , रजनी कुमारी<br />
40 किमी पॉइंट रेस पुरुष : राजेंद्र कुमार बिश्नोई , अतुल कुमार सिंह , सतबीर सिंह<br />
फर्राटा पुरुष : राजेश चंद्रशेखर , अमृत सिंह , विक्रम सिंह<br />
टीम परसुइट पुरुष : प्रिंस हीलेम , विनोद मलिक , दयाला राम सरन , सोमवीर<br />
जिम्नास्टिक रिदम : व्यक्तिगत आलराउंड महिला और पुरुष मुकाबले<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><span style="font-size: large;"><b>हॉकी</b></span></div><b>ग्रुप ए महिला</b> : भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया<br />
सुबह 8.00 am से 11.00 am<br />
दोपहर 1 pm से 4 pm<br />
शाम 6 pm से 9 pm<br />
<b>जगह</b>- मेजर ध्यानचंद स्टेडियम<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><b><span style="font-size: large;">शूटिंग</span></b></div><b>समय</b><br />
सुबह 9am से 5 pm : पुरुष - डबल ट्रैप पेयर ( फाइनल ), पिस्टल और स्मॉल बोर<br />
सुबह 9 am to 6 pm: पुरुषः 10 मीटर एयर राइफल ( फाइनल ), 50 मीटर पिस्टल ( फाइनल ),<br />
<b>जगह </b>- कर्ण सिंह शूटिंग रेंज<br />
<br />
<b>मुकाबले</b><br />
महिलाः 25 मीटर पिस्टल ( फाइनल )<br />
डबल ट्रैप पेयर्स पुरुष : अशेर नोरिया , रंजन सोढी<br />
25 मीटर पिस्टल महिला एकल : रानी सर्नोबत , अनिसा सैयद<br />
50 मीटर पिस्टल पुरुष एकल : दीपक शर्मा , ओंकार सिंह<br />
10 मीटर एयर राइफल एकल : अभिनव बिंद्रा , गगन नारंग<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><span style="font-size: large;"><b>स्क्वॉश</b></span></div><b>समय</b><br />
शाम 1 pm से 7 pm<br />
<b>जगह</b>- सीरी फोर्ट स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स<br />
<br />
<b>मुकाबले</b><br />
महिला और पुरुष एकल<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><span style="font-size: large;"><b>टेबल टेनिस</b></span></div><b>समय</b><br />
सुबह 9.30 am से 2.30 pm महिला टीम इवेंट , पुरुष टीम इवेंट<br />
शामः 4 pm से 8 pm महिला टीम इवेंट ( क्वॉर्टर फाइनल )<br />
<b>जगह </b>- सीरी फोर्ट स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स<br />
<br />
<b>मुकाबले</b><br />
महिला और पुरुष टीम क्वॉर्टर फाइनल<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><span style="font-size: large;"><b>वेटलिफ्टिंग</b></span></div><b>समय</b><br />
सुबह 10 .00 am से 12.00 am<br />
दोपहर 2 pm से 4 pm<br />
शाम 6 pm से 8 pm<br />
<br />
<b>मुकाबले</b><br />
58 किलो महिला : रेणुबाला चानू<br />
69 किलो पुरूष : रवि कुमार<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><span style="font-size: large;"><b>जिम्नास्टिक रिदम</b></span></div><b>समय</b><br />
दोपहर 1 pm से 3 pm<br />
शामः 5 pm से 6 pm<br />
<b>जगह </b>- इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स<br />
व्यक्तिगत आलराउंड महिला और पुरुष मुकाबलेPradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-734855864576788462010-10-06T12:14:00.003+05:302010-10-06T12:19:42.899+05:30CWG-2 : भारत के मुकाबले<b>कॉमनवेल्थ गेम्स के दूसरे दिन आ</b><b>ज भारत के प्लेयर्स इन-इन इवेंट्स में करेंगे चुनौती पेश।</b><br />
<br />
<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6531493" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6531493" /></a><b>स्वीमिंग</b><br />
100 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक मे<br />
नः पुनीत राना, अग्निवेश्वर जयप्रकाश, संदीप सेजवाल<br />
50 मीटर बटरफ्लाई स्ट्रोकः अर्जुन मुरलीधरन, वीरधवल खाड़े<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<b>तीरंदाजी</b><br />
<br />
<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530170" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530170" /></a>विमिन व्यक्तिगत मुकाबलेः डोला बनर्जी, दीपिका कुमारी, बाम्बायला देवी<br />
रिकर्व व्यक्तिगत मुकाबलेः राहुल बनर्जी, तरूणदीप राय, जयंता ताल्लुकदार<br />
कम्पांउड इन्डविजुअल विमिनः रीतुल चटर्जी, जीग्नास चिट्टीबोम्मा, चिन्ना राजू<br />
<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530164" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530164" /></a><b>बॉक्सिंग</b><br />
लाइटफ्लाई वेट (49किलो) मेनः अमनदीप सिंह<br />
लाइटवेल्टर वेट (64किलो) मेनः मनोज कुमार<br />
<br />
<br />
<b>साइकलिंग</b><br />
<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530158" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530158" /></a>सोमबीर 500 मीटर ट्रायल विमिनः छाबुनगबम रामेश्वरी देवी, महीथा मोहन, कुमारी रेजानी विजया<br />
1000 मीटर टाइम ट्रायल मेनः बिक्रम सिंह ओकराम,<br />
अमृत सिंह 40किमी पॉइंट रेस मेनः राजेंदर कुमार बिश्नोई, अतुल कुमार सिंह, सतबीर सिंह<br />
<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530153" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530153" /></a><b>हॉकी</b><br />
इंडिया vs मलेशिया, 8.30 p.m<br />
<br />
<br />
<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6531506" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6531506" /></a><b> </b><br />
<br />
<b>नेटबॉल</b><br />
विमिन ग्रुप A - ऑस्ट्रेलिया VS इंडिया<br />
<br />
<br />
<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530148" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530148" /></a><b>शूटिंग</b><br />
25 मीटर पिस्टल विमिनः राही सर्नोबत, अनिसा सईद<br />
पेयर्स 50 मीटर पिस्टल मेनः दीपक शर्मा, ओमकार सिंह<br />
पेयर्स 50 मीटर राइफल 3 पॉजिशन विमिनः लज्जाकुमारी गोस्वामी<br />
<br />
<br />
<b>स्क्वॉश</b><br />
<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6531510" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6531510" /></a>मेन्स सिंगलः सौरव घोषाल<br />
विमिन सिंगलः जोशना चिनप्पा<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530141" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530141" /></a><b>टेबल टेनिस</b><br />
विमिनः मोउमा दास, पोलमा घाटक<br />
मेनः अचंत शरत कमल सोम्यदीप रॉय<br />
<br />
<br />
<b> </b><br />
<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530139" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530139" /></a><b>टेनिस</b><br />
सिंगल्स मेन फर्स्ट राउंडः सोमदेव वेदबर्मन vs डेविन मुलिंग्स<br />
डबल्स मेन फर्स्ट राउंडः महेश भूपति, लिएंडर पेस vs दिनेशकन्नथन, जयाविक्रम<br />
<br />
<br />
<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530119" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530119" /></a><b>वेटलिफ्टिंग</b><br />
62किग्रा मेन्सः ओमकार शेखर ओटारी, रूस्तम सारंग<br />
53किग्रा विमिनः स्वाति सिंह<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<b>रेसलिंग</b><br />
<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530116" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?msid=6530116" /></a>60 किग्रा मेन रिवंदर सिंह<br />
96 किग्रा मेन अनिल कुमारPradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-68105547029253804402010-09-15T13:12:00.000+05:302010-09-15T13:12:20.485+05:30इंटरनेट से कोसों दूर गांवभारतीय समाज में व्याप्त विषमताओं को देखते हुए ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का दखल कम होना स्वाभाविक है, लेकिन इस संबंध में हुए एक सर्वे से उभर कर आए आंकड़े कुछ अतिरिक्त चिंताओं की ओर इशारा करते हैं। गांवों में टीवी और फोन का फैलाव भी शहरों की तुलना में काफी कम है, लेकिन इंटरनेट के मामले में यह फासला बाकी किसी भी चीज से कहीं ज्यादा है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया और इंडियन माकेर्टिंग रिसर्च ब्यूरो ने सात राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में कराए गए सर्वे के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि गांवों में रहने वाले 84 प्रतिशत लोगों को इंटरनेट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। बाकी 16 प्रतिशत लोग इससे परिचित हैं और उनमें से कुछ ने जब-तब इसका इस्तेमाल भी किया है। लेकिन इसका इस्तेमाल करने वालों में भी 85 प्रतिशत लोगों की गति सिर्फ ई-मेल भेजने और पाने तक ही सीमित है। गांवों में इंटरनेट के कारोबारी उपयोग के बारे में पूछने पर 13 प्रतिशत लोगों ने बताया कि इससे उन्हें खेती से जुड़ी कुछ नई तकनीकों का पता चला, जबकि 8 प्रतिशत लोगों का कहना था कि इससे उन्हें अच्छे बीजों के बारे में जानकारी मिली। <br />
<br />
इंटरनेट तक पहुंच न होने की वजह के बारे में ज्यादातर लोगों की राय यह थी कि ऐसी किसी चीज की उन्हें कोई जरूरत ही महसूस नहीं होती। कुछ लोगों का कहना था कि इंटरनेट के लिए जरूरी कंप्यूटर खरीदने भर को पैसे उनके पास नहीं हैं। कुछ लोगों के पास कंप्यूटर है तो केबल कनेक्शन का इंतजाम नहीं है, जबकि एक बड़ा प्रतिशत ऐसे लोगों का भी है जो इंटरनेट के बारे में इसलिए नहीं सोचते कि यह सब सोचने का फायदा क्या, जब इलाके में बिजली ही छठे-छमासे आती है। कुछ समय पहले चीन में इंटरनेट के विस्तार पर आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि इस टेक्नॉलजी ने किस तरह वहां नकदी खेती से जुड़े किसानों और छोटे कारोबारियों की किस्मत बदल कर रख दी है। लोग वहां अपने धंधे-पानी से जुड़ी सूचनाएं इंटरनेट से प्राप्त करते हैं- सस्ता कच्चा माल कहां से लाया जाए, तैयार माल कहां बेचकर ज्यादा मुनाफा पाया जाए। यह सब अपने यहां गांवों में तो क्या, शहरों में भी कम ही देखने को मिलता है। <br />
<br />
बैंकिंग, शेयर बाजार, रेलवे टिकट और कुछ सार्वजनिक सेवाओं को छोड़ दें तो इंटरनेट का इस्तेमाल भारत में आज भी बुद्धिविलास तक ही सीमित है। नई टेक्नॉलजी में सिर्फ मोबाइल फोन ही एक ऐसी चीज है, जिसका इस्तेमाल रिक्शा-ठेला चलाने वाले से लेकर प्लंबर- कारपेंटर तक अपने काम-धंधे में करते हैं, और जिससे अपनी आमदनी बढ़ाने में उन्हें मदद मिलती है। गांवों में भी करीब एक तिहाई आबादी मोबाइल या लैंडलाइन फोन तक अपनी पहुंच बना चुकी है। यह कहानी इंटरनेट के मामले में भी दोहराई जा सकती है, बशर्ते इससे मिल सकने वाली सूचना और ज्ञान को लोगों के धंधे-पानी का हिस्सा बनाया जा सके।Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-50299018552925868162010-09-10T21:35:00.001+05:302010-09-10T21:37:39.413+05:30ईद मुबारक<center> </center><center><br />
<embed height="24" pluginspage="http://www.macromedia.com/go/getflashplayer" quality="high" src="http://img227.imageshack.us/img227/3087/playergv1.swf?soundFile=http://st.skdat.com/data/music/media/515/Piya Haji Ali (Setkit.com).mp3&bg=0xCDDFF3&leftbg=0x357DCE&lefticon=0xF2F2F2&rightbg=0x357DCE&rightbghover=0x4499EE&righticon=0xF2F2F2&righticonhover=0xFFFFFF&text=0x357DCE&slider=0x357DCE&track=0xFFFFFF&border=0xFFFFFF&loader=0x8EC2F4&autostart=yes&loop=no" type="application/x-shockwave-flash" width="290" wmode="transparent"></center></embed><center></center>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-91763721864539609002010-08-22T13:02:00.000+05:302010-08-22T13:02:11.497+05:30Phone Directories: Faridabad<div style="text-align: center;"><span style="font-size: large;"><strong><u>बिजली शिकायत केंद्र:</u></strong></span></div>1912, 0129-2440351, 2440352<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;"><u>अस्पताल:</u></span></strong></div><strong>बीके अस्पताल:</strong> 9219155102<br />
<strong>फोर्टिस अस्पताल:</strong> 9717010101<br />
<strong>सेंट्रल अस्पताल: </strong>4090300<br />
<strong>ब्लड बैंक नंबर:</strong> 0129-2411881<br />
<br />
<div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;"><u>पुलिस कण्ट्रोल रूम:</u></span></strong></div><span>100, 9999150000</span><br />
<span><strong>विमैन हेप्लाइन: </strong>9873737100</span><br />
<br />
<div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;"><u>इन्क्वारी:</u></span></strong></div><strong>हरियाणा रोडवेज: </strong>0129-2241464<br />
<strong>डीटीसी: </strong>011-23968836<br />
<strong>रेलवे इन्क्वारी: </strong>135,0129-2433506<br />
<strong>पुलिस कमीशनर </strong><strong>कार्यालय:</strong> 0129-2438000, 2438004<br />
<strong>हुडा कार्यालय: </strong>0129-2227676<br />
<span><strong>डीटीसी कार्यालय: </strong>0129-2227935</span><br />
<br />
<div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;"><u>फायर ब्रिगेड:</u></span></strong></div><span style="font-size: small;"><strong>Sec-15: </strong>0129-2284444</span><br />
<span style="font-size: small;"><strong>N.I.T.: </strong> 0129-2412666</span><br />
<span style="font-size: small;"><strong>BLB:</strong> 0129-2309744</span><br />
<span style="font-size: small;"><strong>Sec-31:</strong> 0129-2275886</span>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-89753655342137463512010-08-22T12:13:00.004+05:302010-08-22T12:27:04.261+05:30प्लास्टिक बैग: ग्राहक नहीं जिम्मेदार<div style="border-bottom: medium none; border-left: medium none; border-right: medium none; border-top: medium none;">परमानंद पांडे हलवाई की दुकान से नमकीन खरीदकर घर पहुंचे। प्लास्टिक बैग से नमकीन निकालकर खाई, तो देखा कि प्लास्टिक बैग का रंग नमकीन पर आ गया है। हलवाई के पास पहुंचे, तो उसने कहा कि हम तो रोज ऐसे ही बेचते हैं। किसी और ने तो आज तक शिकायत नहीं की। इसे खा लो, कुछ नहीं होगा। </div><div style="border-bottom: medium none; border-left: medium none; border-right: medium none; border-top: medium none;"><br />
</div><div style="border-bottom: medium none; border-left: medium none; border-right: medium none; border-top: medium none;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-EvGquoZZSm95rwhyphenhyphen8-YC7A026wgBwzOO2u6qXlgPyAmqVg24i4MIf45U3gErH-iyff2UIvCNPn-cZs5sNbCLqSxFAL11zlyF0FKlwqu9niLnbAvCmCyceazciIsPX3GOytWNzI7l6gI/s1600/Plastic.bmp" imageanchor="1" style="cssfloat: left; height: 152px; margin-left: 1em; margin-right: 1em; width: 202px;"><img border="0" height="200" ox="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-EvGquoZZSm95rwhyphenhyphen8-YC7A026wgBwzOO2u6qXlgPyAmqVg24i4MIf45U3gErH-iyff2UIvCNPn-cZs5sNbCLqSxFAL11zlyF0FKlwqu9niLnbAvCmCyceazciIsPX3GOytWNzI7l6gI/s200/Plastic.bmp" width="200" /></a></div>ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। दरअसल, प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर समाज में जागरूकता न होने की वजह से इसका इस्तेमाल हमारी जिंदगी में बढ़ता जा रहा है। यह सस्ती, आसान व आसानी से मिलने वाली तो है, लेकिन पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक भी है। आज हमारे कूड़े का बड़ा हिस्सा प्लास्टिक कचरे के रूप में होता है। इसे अगर दूसरे कूड़े से अलग न किया जाए तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। </div><div style="border-bottom: medium none; border-left: medium none; border-right: medium none; border-top: medium none;"><br />
</div><div style="border-bottom: medium none; border-left: medium none; border-right: medium none; border-top: medium none;">कुछ समय पहले दिल्ली सरकार ने प्लास्टिक बैग के दिल्ली में इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसे लेकर आम जनता में असमंजस बना हुआ है। प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल को लेकर क्या हैं नियम, अधिकार और जिम्मेदारी, आइए जानते हैं : </div><br />
<strong><span style="font-size: large;">नियम क्या हैं </span></strong><br />
दिल्ली में कोई भी व्यापारिक प्रतिष्ठान कस्टमर को प्लास्टिक के कैरी बैग में सामान डालकर नहीं दे सकता। <br />
<br />
प्लास्टिक बैग बेचना, स्टोर करना और दुकानों द्वारा उन्हें इस्तेमाल में लाना मना है। <br />
<br />
अगर कस्टमर को दुकान से निकलते वक्त प्लास्टिक कैरी बैग इस्तेमाल के लिए कोई अथॉरिटी रोकती है, तो इसे कस्टमर नहीं, बल्कि दुकानदार की गलती माना जाएगा। <br />
<br />
सरकार को विज्ञापनों व दूसरे प्रचार माध्यमों से जनता को जागरूक बनाना चाहिए, जिससे लोग प्लास्टिक के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को जानकर उनके विकल्पों को अपना सकें। <br />
<br />
सरकार को प्लास्टिक बैग की बजाय कागज, जूट व ऐसी ही दूसरी चीजों से बने बैग्स को प्रोत्साहित करना चाहिए। <br />
<br />
<span style="font-size: large;"><strong>आपकी जिम्मेदारी और अधिकार </strong></span><br />
आम नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह प्लास्टिक के कैरी बैग को रिजेक्ट करे और जूट व कपड़े के बैग का इस्तेमाल करे। <br />
<br />
आप अपने घर में उपलब्ध पुराने प्लास्टिक कैरी बैग को सामान लाने-ले जाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। <br />
<br />
रंगीन प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल कभी न करें। इसमें मेटलिक ऐडिटिव्स होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं। <br />
<br />
प्राकृतिक रूप से गलने वाले कूड़े को अलग रखें और प्लास्टिक के कचरे या बैग इत्यादि को अलग। <br />
<br />
अगर आपके घर के पास कोई प्लास्टिक रीसाइक्लिंग फैक्ट्री चल रही है तो आप अपने एरिया के एसडीएम या दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी को लिखित रूप में शिकायत कर सकते हैं। इसे तुरंत बंद कराना उनकी जिम्मेदारी है। <br />
<br />
<strong><span style="font-size: large;">ये भी जानें </span></strong><br />
<br />
प्लास्टिक को कभी खत्म (नष्ट) नहीं किया जा सकता। <br />
<br />
दिल्ली में अधिकृत रीसाइक्लिंग फैक्ट्रियों की तुलना में कई गुना ज्यादा फैक्ट्रियां अवैध रूप से चल रही हैं। नियम यह है कि प्लास्टिक प्रॉडक्ट्स के निर्माता दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी में रजिस्ट्रेशन कराए बिना फैक्ट्री नहीं चला सकते। <br />
<br />
प्लास्टिक शहर की सुंदरता को खराब करेती है। नालों व सीवर को जाम कर देती है। अगर यह प्लास्टिक कूड़े में मिली हो तो इसे जलाए जाने पर जहरीली गैस निकलती हैं। यह प्लास्टिक कूड़े की प्रोसेसिंग को भी प्रभावित करती है। <br />
<br />
आमतौर पर फल-सब्जी या परचून दुकानदारों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे प्लास्टिक बैग तय स्टैंडर्ड के मुताबिक नहीं होते। <br />
<br />
<strong><span style="font-size: large;">क्या होगी सजा </span></strong><br />
प्लास्टिक के कैरी बैग को बेचने, स्टोर करने या उसमें सामान डालकर कस्टमर को देने पर एक लाख रुपए का जुर्माना व पांच साल की सजा हो सकती है। <br />
<br />
<strong><span style="font-size: large;">हेल्पलाइन</span></strong> <br />
अगर आपको रेजिडेंशल एरिया में कोई प्लास्टिक रीसाइक्लिंग फैक्ट्री नजर आए या कोई दुकानदार किसी भी तरह के प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल कर रहा हो तो आप अपने एरिया के एसडीएम, राशन दफ्तर के एफएसओ, एमसीडी या एनडीएमसी के स्वास्थ्य अधिकारी, खाद्य अपमिश्रण विभाग के इंस्पेक्टर आदि को सूचित कर सकते हैं। आपकी शिकायत पर कार्रवाई करना उनकी जिम्मेदारी है। <br />
<br />
आप <strong>दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी</strong> को सीधे लिख सकते हैं। ऐसी चीजों को रोकना इसी विभाग की जिम्मेदारी है। आप कमिटी के चेयरमैन या मेंबर सेक्रेटरी को इस पते पर लिख सकते हैं : <br />
<br />
दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी, चौथी मंजिल, आईएसबीटी बिल्डिंग, कश्मीरी गेट, दिल्ली-110006 <br />
<br />
फोन : 011-23869389, 23860389 <br />
फैक्स : 011- 23392034, 23866781 <br />
<br />
दिल्ली सरकार के <strong>पर्यावरण विभाग</strong> को भी लिख सकते हैं। <br />
<br />
<strong><span style="font-size: large;">पता है :</span></strong> <br />
डिप्टी सेक्रेटरी (<strong>एनवायरनमेंट</strong>), कमरा नंबर सी-604, छठी मंजिल, सी-विंग, दिल्ली सचिवालय, आईपी एस्टेट, नई दिल्ली- 110002, फोन : 011-23392028 <br />
<br />
दिल्ली सरकार की 'आपकी सुनवाई' शिकायत व्यवस्था में 155345 पर फोन करके या इंटरनेट से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-13492740815383703032010-08-16T17:05:00.003+05:302010-08-22T12:31:03.478+05:30कैसे बचाएं आग से<b><i>घर में आग आमतौर पर तीन वजहों से लग सकती है - इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई, सिलिंडर और लापरवाही। अगर जागरुक रहा जाए तो हमारा घर हमेशा सेफ रह सकता है। इसकेलिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।</i> </b>अपने घर और परिवार को कैसे बचाएं आग से, बता रहे हैं प्रशांत अस्थाना:<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhM35ErrACmXPVeSutdoU8Rk301fGU9lfa-x6Zzo6Mn8ketEbDGHd5MJ1ha07AX4LeahQGXx30EPfJjLFbfi1qjiEt6N_7yXU-WNVCzwSDgyMtyL4Y3GW-3bhuJgZklzDirJoU_B-7i3Ys/s1600/Fire.bmp" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="187" ox="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhM35ErrACmXPVeSutdoU8Rk301fGU9lfa-x6Zzo6Mn8ketEbDGHd5MJ1ha07AX4LeahQGXx30EPfJjLFbfi1qjiEt6N_7yXU-WNVCzwSDgyMtyL4Y3GW-3bhuJgZklzDirJoU_B-7i3Ys/s200/Fire.bmp" width="200" /></a></div><br />
<span style="font-size: large;"><b>घर में रखें ध्यान</b></span><br />
<br />
- घर में कम से कम एक फायर इक्स्टिंग्विशर जरूर रखें। यह किचन या किचन के आसपास हो, तो सबसे अच्छा है। फायर इक्स्टिंग्विशर पूरी तरह चार्ज होना चाहिए और आपके परिवार को उसका इस्तेमाल करना आना चाहिए।<br />
<br />
- घर में कई फ्लोर हैं तो आप दूसरे फ्लोरों पर एक्स्ट्रा इक्स्टिंग्विशर को रख सकते हैं। गराज में भी एक इक्स्टिंग्विशर को रखा जा सकता है।<br />
<br />
- घर के हर फ्लोर में कम से कम एक स्मोक डिटेक्टर तो होना ही चाहिए। इसका अलार्म आपके बेडरूम या उसके आसपास होना चाहिए, ताकि आपको आराम से यह सुनाई दे जाए।<br />
<br />
- आग से बचने के लिए लगाए गए हर इंस्ट्रूमेंट को कुछ-कुछ दिनों में चेक करते रहें।<br />
<br />
- घर में ऐश ट्रे हमेशा रखें और सिगरेट के बट को उसमें ही डालें। ऐश ट्रे मैटल के हों तो ज्यादा अच्छा रहेगा।<br />
<br />
- घर का जितना भी कूड़ा-करकट हो, उसे नियमित तौर पर साफ करते रहें।<br />
<br />
- अगर घर में फॉल्टी इलेक्ट्रिकल उपकरण हों तो उन्हें तुरंत रिप्लेस या रिपेयर किया जाना चाहिए।<br />
<br />
- स्विच और फ्यूज घर में इलेक्ट्रिक सर्किट के हिसाब से ही लगे हों। ध्यान रखें कि घर बनवाते समय किसी अनुभवी मकैनिक से ही वायरिंग कराएं।<br />
<br />
- अगर घर में वेल्डिंग या इस तरह के दूसरे काम हो रहे हैं तो अतिरिक्त सावधानी बरतें।<br />
<br />
- घर बनवाते वक्त या खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि इमरजेंसी डोर यानी एक्स्ट्रा डोर जरूर हों। आग लगने की कंडिशन में यह काफी काम के हो सकते हैं।<br />
<br />
- माचिस, लाइटर और पटाखों को बच्चों से दूर रखें। पटाखों को ध्यान से जलाएं।<br />
<br />
- कागज, कपड़े, जलने वाले लिक्विड को हीटर, स्टोव और खुले चूल्हों से दूर रखें। दरवाजों, सीढ़ियों और बाहर निकलने वाले रास्तों को हमेशा साफ रखें।<br />
<br />
- गैस बर्नर को हमेशा किसी प्लैटफॉर्म पर रखें, फर्श पर नहीं।<br />
<br />
<span style="font-size: large;"><b>कैसे यूज करें फायर इक्स्टिंग्विशर</b></span><br />
<br />
1. सबसे पहले इक्स्टिंग्विशर की नेक पर लगी सेफ्टी पिन को हटाएं।<br />
<br />
2. इसके बाद इक्स्टिंग्विशर को तिरछा करके ऊपर लगे वॉशर को झटके से दबाते हैं। इसके दबते ही गैस निकलने लगती है।<br />
<br />
3. अगर वॉशर न दब रहा हो तो उसे तेजी से किसी दीवार पर भी मार सकते हैं।<br />
<br />
4. जब गैस निकलने लगे तो इक्स्टिंग्विशर को तिरछा करके आग के सोर्स की तरफ ले जाएं। ध्यान रखें कि टारगेट आग की लपटों पर नहीं, उसके इनिशल पॉइंट पर होना चाहिए।<br />
<br />
5. आम तौर पर यह फायर इक्स्टिंग्विशर बाजार में 1,200 रुपये में मिल जाते हैं। साइज के हिसाब से इक्स्टिंग्विशर के रेट भी बढ़ते जाते हैं। इनकी रेंज 4,000 रुपये तक होती है।<br />
<br />
6. फायर इक्स्टिंग्विशर दिल्ली के सभी प्रमुख बाजारों में मिलता है। अच्छी क्वॉलिटी और ज्यादा वरायटी के लिए पुरानी दिल्ली के आजाद मार्केट, ईस्ट ऑफ कैलाश के रमेश मार्केट और आनंद पर्वत इंडस्ट्रियल एरिया जा सकते हैं।<br />
<br />
<span style="font-size: large;"><b>शॉर्ट सर्किट पर फुल कंट्रोल</b></span><br />
<br />
बिजली की वजह से होने वाले आग के हादसों में 60 पर्सेंट मामले शॉर्ट सर्किट, ओवरहीटिंग, ओवरलोडिंग, खराब स्टैंडर्ड के उपकरण, बिजली के तारों को गलत तरह से जोड़ने और लापरवाही की वजह से होते हैं। बिजली से जुड़ी आग काफी खतरनाक होती है और इसे संभालना भी काफी मुश्किल होता है। इसलिए किसी भी तरह की आग लगने पर पावर सप्लाई को स्विच ऑफ किया जाना बहुत जरूरी है। ऐसी आग को रोकने के लिए <span style="font-size: large;"><b> </b></span><br />
<span style="font-size: large;"><b>इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:</b></span><br />
<br />
- हमेशा आईएसआई सर्टिफाइड उपकरण ही इस्तेमाल करें।<br />
<br />
- अच्छी क्वॉलिटी के फ्यूज को ही घर में लगाएं।<br />
<br />
- जिस जगह आग लगी हो, वहां इलेक्ट्रिक सप्लाई स्विच ऑफ कर दें।<br />
<br />
- घर के टूटे हुए प्लगों और स्विचों को बदल दें।<br />
<br />
- गर्म और गीली सतहों पर बिजली के तारों को न पड़ने दें।<br />
<br />
- अगर घर से बाहर जा रहे हैं तो मेन स्विच ऑफ करना न भूलें।<br />
<br />
- इलेक्ट्रिक आउटलेट्स को उतने ही लोड के हिसाब से फिट कराएं, जितनी जरूरत हो। अगर आउटलेट्स ओवरलोडेड होंगे तो आग का खतरा बढ़ जाएगा।<br />
<br />
- जितने भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हों, उनके तारों को कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर चेक करते रहना चाहिए।<br />
<br />
- एक सॉकेट में एक ही उपकरण को कनेक्ट करें। मल्टी प्लग की मदद से कई उपकरणों को जोड़ देने से ओवरलोडिंग का खतरा बढ़ जाता है।<br />
<br />
<span style="font-size: large;"><b>ताकि एलपीजी में न लगे आग</b></span><br />
<br />
- सिलिंडर में नायलॉन के धागे से बंधी सेफ्टी कैप होती है। जब भी सिलिंडर बर्नर से कनेक्ट न हो, उस पर कैप लगा कर रखें।<br />
<br />
- आजकल नया ट्रेंड चल रहा है सिलिंडर को ओपन एरिया में रखने का। इसके लिए सिलिंडर को छत, बालकनी या आंगन में रख सकते हैं। ट्यूब को कनेक्ट करते हैं किचन में रखे गैस बर्नर से।<br />
<br />
- सिलिंडर और बर्नर को कनेक्ट करने वाले ट्यूब को हर साल बदलना चाहिए।<br />
<br />
- इसके अलावा हर छह महीने में गैस कंपनी के प्रतिनिधि को बुलाकर पूरे कनेक्शन की जांच करानी चाहिए।<br />
<br />
- रात में सोने से पहले बर्नर और रेग्युलेटर को ऑफ कर देना चाहिए।<br />
<br />
- सुबह किचन में घुसते ही बिजली का कोई स्विच न दबाएं। सबसे पहले चेक करें कि गैस लीक तो नहीं हो रही।<br />
<br />
- एलपीजी की बदबू आ रही हो तो सिलिंडर से रेग्युलेटर निकाल दें और सिलिंडर का ढक्कन बंद कर उसे खुले में रख दें। किचन के खिड़की-दरवाजे खोल दें ताकि गैस बाहर निकल जाए।<br />
<br />
- अगर लाइटर की जगह माचिस का इस्तेमाल करते हैं तो पहले माचिस की तीली को जलाएं और उसके बाद ही बर्नर की नॉब खोलें।<br />
<br />
- सिलिंडर को कभी भी बंद कंपार्टमेंट में न रखें। कोशिश करें कि खाना बनाने वक्त कॉटन के कपड़े पहने हों।<br />
<br />
- सिलिंडर को हमेशा सीधा ही रखें।<br />
<br />
- सिलिंडर से अगर गैस नहीं निकल रही है तो खुद ही रिपेयर करने न बैठ जाएं। गैस एजेंसी के डिस्ट्रिब्यूटर से किसी मकैनिक को भेजने को कहें।<br />
<br />
- एलपीजी सिलिंडर से जुड़ी किसी परेशानी के लिए आप इस टोल फ्री हेल्पलाइन 1800 233 3555 पर भी कॉल कर सकते हैं। यह हेल्पलाइन चौबीसों घंटे सातों दिन चालू रहती है।<br />
<br />
- अगर लग रहा है कि सिलिंडर में लीकेज है तो कभी भी माचिस जलाकर चेक न करें। साथ ही बिजली के किसी स्विच को हाथ न लगाएं। अगर गैस एजेंसी का कर्मचारी माचिस जलाकर गैस लीकेज चेक करना चाहता है तो उसे भी इसके लिए मना करें।<br />
<br />
<span style="font-size: large;"><b>अगर जल जाएं तो</b></span><br />
<br />
- अगर हल्का झुलस गए हैं तो जले हुए हिस्से को पानी की धार के नीचे रखें। आप उस हिस्से को पानी में डुबो कर रख सकते हैं। लेकिन पानी से संपर्क 10 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जले हुए हिस्से को पानी में ज्यादा देर तक रखने से भी नुकसान हो सकता है। पानी से निकालने के बाद झुलसे हुए हिस्से को साफ कपड़े से पोंछ दें।<br />
<br />
- जले हिस्से पर बर्फ भी लगा सकते हैं। हालांकि ज्यादा देर तक बर्फ रख देने से शरीर को नुकसान हो सकता है। ज्यादा देर तक बर्फ के संपर्क में रहने से बॉडी के उस हिस्से का तापमान बेहद कम हो जाता है और इस वजह से दूसरी परेशानियां भी हो सकती है। झुलसे हुए हिस्से पर जो पानी डाल रहे हैं वह भी नॉर्मल ही होना चाहिए, ठंडा नहीं।<br />
<br />
- सबसे बेहतर रहता है कि जल गए शख्स को तुरंत हॉस्पिटल ले जाएं। डॉक्टर ही यह बता सकता है कि जलने की वजह से बॉडी को कितना नुकसान हुआ है।<br />
<br />
- अगर कपड़ों में आग लगी हुई है तो इधर-उधर मत भागें। ऐसा करने से बॉडी में ऑक्सिजन लगती है जिससे आग तेज हो सकती है। सबसे बेहतर रहेगा कि जमीन पर लेट जाएं और शरीर को जमीन पर रोल करें, इससे आग बुझ जाएगी।<br />
<br />
- बिजली के अलावा किसी दूसरी तरह से जले हैं तो कपड़ों और शरीर पर पानी डाल सकते हैं। ध्यान रहे कि बिजली से जुड़ी आग में कभी भी पानी न डालें। ऐसी आग को रेत डालकर बुझाना चाहिए।<br />
<br />
- आग लगने के बाद जले हुए कपड़ों को फौरन शरीर से अलग कर दें। कोशिश करें कि कपड़ों को काटकर अलग करें। कभी-कभी कुछ मटीरियल हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं और उतारते वक्त जल चुकी स्किन का उसमें चिपक जाने का खतरा रहता है।<br />
<br />
- ज्यादा जल चुके पेशंट के शरीर पर कोई क्रीम न लगाएं क्योंकि डॉक्टर को किसी भी तरह के ट्रीटमेंट के लिए साफ शरीर चाहिए होता है। अगर क्रीम लगी है तो पहले वह हटानी होती है जिससे पेशंट को काफी दर्द हो सकता है।<br />
<br />
- अगर कोई शख्स ज्यादा जल गया है तो घबराएं नहीं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जल चुके शख्स को आम तौर पर 30-45 मिनट तक ज्यादा नुकसान नहीं होता। इसलिए बिना किसी हड़बड़ाहट के उसे हॉस्पिटल ले जाएं।<br />
<br />
- जल चुके शख्स को 24 घंटे तक कुछ खाने के लिए न दें। शरीर में पानी कम हो जाने और आंतों में खून की सप्लाई कम होने से उलटी होने का खतरा रहता है।<br />
<br />
<span style="font-size: large;"><b>हॉस्पिटलों के बर्न्स वॉर्ड</b></span><br />
<br />
- राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल (आरएमएल), 011 - 2340 43 19, 2340 44 16<br />
<br />
- लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल (एलएनजेपी), 011- 2323 24 00, 2323 34 00 (एक्सटेंशन - 4337)<br />
<br />
- सफदरजंग हॉस्पिटल, 011- 2670 74 60 (बर्न्स आईसीयू), 2670 74 51 (बर्न्स कैजुअल्टी)<br />
<br />
- गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल (जीटीबी), 011- 2258 62 62 (एक्सटेंशन - 2143, 2143)<br />
<br />
- दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल (डीडीयू), 011- 2549 44 04 (एक्सटेंशन - 321)<br />
<br />
<span style="font-size: large;"><b>आग लगने पर करें कॉल</b></span><br />
<br />
- अगर आपके घर, मोहल्ले या किसी भी जगह आग लगी है तो तुरंत 101 पर कॉल करें।<br />
<br />
- 101 पर कॉल करने पर फायर डिपार्टमेंट का ऑपरेटर आपसे आपका नाम, टेलिफोन नंबर, पूरा पता, आग लगने वाली जगह के पास का कोई लैंडमार्क और आग की कंडिशन की बारे में पूछेगा।<br />
<br />
- इसके बाद 20-30 मिनट में (दूरी के हिसाब से) फायर ब्रिगेड की गाड़ियां हादसे वाली जगह तक पहुंच जाती हैं।<br />
<br />
- 101 पर की गई कॉल पूरी तरह मुफ्त होती है। अगर पीसीओ का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वहां भी इस कॉल के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा।<br />
<br />
- आग से जुड़ी खबर देने के लिए आप दिल्ली पुलिस की पीसीआर वैन को 100 पर भी कॉल कर सकते हैं।<br />
<br />
<span style="font-size: large;"><b>फायर ब्रिगेड को दें जगह</b></span><br />
<br />
- आप रोड पर चल रहे हैं तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को आगे निकलने का रास्ता दें। ऐसा करने से आप कई जिंदगियों को मौत के मुंह में जाने से बचा सकते हैं।<br />
<br />
- अगर आपके घर या मोहल्ले में फायरमैन हैं तो उन्हें फायर कंट्रोल रूम में बात करने के लिए अपना फोन इस्तेमाल करने को दें।<br />
<br />
- जिस घर या बिल्डिंग में आग लगी है, उसके आसपास गाड़ियों को खड़ा न करें। अगर पहले से वहां गाड़ियां हैं तो उन्हें हटाने की कोशिश करें।<br />
<br />
- फायरमैन को बताएं कि आसपास पानी का सोर्स कहां है। आप उन्हें ट्यूबवेल, तालाब या पानी की टंकियों के बारे में बता सकते हैं।<br />
<br />
<span style="font-size: large;"><b>कैसे लें फायर रिपोर्ट</b></span><br />
<br />
अगर आपने आग लगने की रिपोर्ट फायर डिपार्टमेंट को की है तो उसकी रिपोर्ट आप डिपार्टमेंट के ऑफिस आकर ले सकते हैं। ये रिपोर्ट दिल्ली फायर सर्विस की वेबसाइट से भी डाउनलोड की जा सकती हैं।<br />
<br />
दिल्ली फायर सविर्स की वेबसाइट है : www.dfs.delhigovt.nic.in<br />
<br />
- इस वेबसाइट पर आग से बचने के लिए बरती जानी वाली सावधानियों को भी पढ़ सकते हैं। इसके अलावा साइट पर आप अपने नजदीकी फायर स्टेशन का फोन नंबर और पता भी देख सकते हैं। दिल्ली में 51 फायर सर्विस स्टेशन हैं।<br />
<br />
<b>- किसी तरह की कोई परेशानी होने पर आप इन <span style="font-size: large;">अधिकारियों </span>से बात कर सकते हैं।</b><br />
<br />
<u>डिविजनल ऑफिसर (फायर प्रिवेंशन),</u> 011- 2341 39 91<br />
<br />
<u>चीफ फायर ऑफिसर</u>-1, 011-2341 42 50<br />
<br />
<u>चीफ फायर ऑफिसर</u>-2, 2341 43 33<br />
<br />
<u>डायरेक्टर,</u> 011- 2341 40 00<br />
<br />
- इन फोन नंबरों पर<b> सोमवार से शनिवार सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे</b> तक बात की जा सकती है।<br />
<br />
<span style="font-size: large;"><b>दिल्ली फायर सर्विस की वेबसाइट</b></span><br />
<br />
http://www.delhi.gov.in/wps/wcm/connect/DOIT_FIRE/fire/home/Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-5068803648976703982010-08-16T16:24:00.002+05:302010-08-16T16:28:21.946+05:30Free SubscriptionFor Dictionary : <span style="color: red;">DIC</span> <span style="color: #e06666;">9XXXXXXXXX</span> <span style="color: #ea9999;">NAME</span> <span style="color: #f4cccc;">GENDER</span><br />
For Blood Group: <span style="color: red;">BLOOG_GROUP</span> <span style="color: #e06666;">9XXXXXXXXX</span> <span style="color: #ea9999;">NAME</span> <span style="color: #f4cccc;">GENDER</span><br />
For Combo: <span style="color: red;">AC</span> <span style="color: #e06666;">9XXXXXXXXX</span> <span style="color: #ea9999;">NAME</span> <span style="color: #f4cccc;">GENDER</span><br />
<span style="color: #f4cccc;"><a href="http://alertclub.blogspot.com/p/free-subscription.html"><span style="color: #6aa84f;">To Know More About Service</span></a></span><br />
<div style="text-align: center;"><span style="color: #f4cccc;"><span style="color: #cc0000;">------------------- </span></span></div><div style="text-align: center;"></div>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-1893569460318287712010-08-14T21:29:00.002+05:302010-08-14T21:29:59.539+05:30झंडा फहरा कर ही अन्न ग्रहण करते थे लोगआजादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 और उसके बाद लगभग डेढ़ दशक तक लाल किले के आसपास स्वतंत्रता का समारोह एक मेले में तब्दील हो जाता था। उन दिनों लाल किले पर यह आयोजन देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती थी। लोग प्रधानमंत्री के भाषण को बेहद गंभीरता से सुनते और उस पर अमल करने की कोशिश करते थे।<br />
<br />
उन्हें इस बात की चिंता रहती थी कि कहीं प्रधानमंत्री का भाषण छूट न जाए। लोग समय से पहले ही वहां पहुंच जाते थे। उन दिनों आज जैसी बसों और ट्रेनों की सुविधा नहीं थी। 50-60 किलोमीटर दूर रहने वाले बहुत से लोग साइकलों से लाल किले तक चले आते थे। उनकी साइकलें दरियागंज चौक पर खड़ी कर दी जाती थीं। उसके बाद वे आजादी के गीत गुनगुनाते हुए लाल किले की ओर कूच करते थे। समारोह में शामिल होने के लिए लोग रंग-बिरंगी खादी की पोशाक पहन कर आते थे। कोई कंधे पर बच्चा बैठाए हुए, तो कोई तीन-चार बच्चों का हाथ थामे। तब बच्चों में भी गजब का उत्साह दिखता था।<br />
<br />
लाल किले के पास पूरे हिंदुस्तान की झलक दिखाई देती थी। पुरानी दिल्ली में जबर्दस्त पतंगबाजी हुआ करती थी। आसमान पतंगों से भर जाता था। लाल किला मैदान में भी सैकड़ों लोग पतंग उड़ाते दिखते। आसपास के देहातों में भी लोगों में आजादी का जश्न देखने का काफी उत्साह होता था।<br />
<br />
उनमें महिलाएं भी काफी होती थीं। वे बैलगाड़ियों में भरकर आजादी का पर्व देखने के लिए लाल किला आती थीं। वे और लोगों के साथ रात में ही निकल पड़ती थीं। सुबह- सबेरे बहुत सी महिलाएं लाल किले की ओर पैदल कूच करती थीं। इनमें बुजुर्ग महिलाएं लालकिला पहुंच जाती थीं तो बाकी जनाना पार्क (सुभाष पार्क के सामने पर्दा बाग) में रुक जाती थीं।<br />
<br />
वहां लोक गीतों का दौर चलता था। बच्चे खूब खरीदारी करते थे। उनके लिए रंग-बिरंगे मिट्टी के खिलौने, पक्षियों और जानवरों के रूप में बनी मिठाइयां, सारंगी, बांसुरी, मोटर गाड़ी खरीदी जाती थी। बहुत सी महिलाएं पुरानी दिल्ली के बाजारों में खरीदारी करने निकल जाती थीं।<br />
<br />
उस जमाने में लाल किले के सामने सिर्फ चांदनी चौक था। जामा मस्जिद के आसपास का स्थान बिल्कुल खाली था। वहां आज की तरह न तो मीना बाजार था, न ही कोई अन्य बाजार। पूरा इलाका खुला हुआ था। उस वक्त न तो सुरक्षा की बंदिशें थी और न ही किसी तरह का खतरा महसूस होता था।<br />
<br />
जिधर देखो, गांधी टोपी पहने लोगों की भीड़ नजर आती थी। जिसे जहां जगह मिलती वह वहीं जमीन पर बैठकर भाषण सुनने लग जाता। वहां भी कहीं कोई सुरक्षा का घेरा नहीं होता था। पुरानी दिल्ली के आसपास बड़ी संख्या में लाउडस्पीकर लगे होते थे। लोग आराम से भाषण सुनते थे।<br />
<br />
स्वतंत्रता दिवस के दिन बहुत से लोग समारोह समाप्त होने से पहले खाना - पीना ठीक नहीं मानते थे , बिल्कुल किसी व्रत की तरह। जैसे सत्यनारायण भगवान की कथा या अन्य अनुष्ठान समाप्त होने तक लोग भोजन नहीं करते उसी तरह यह समारोह संपन्न होने तक लोग खाना नहीं खाते थे।<br />
<br />
लेकिन समारोह समाप्त होते ही वे लजीज पकवानों पर टूट पड़ते थे। वहां कहीं चाट - पकौड़ी बिक रही होती थी तो कहीं फलों के जूस और फल। गुड़ - चने और मसालेदार छोले भी मिलते थे। बुजुर्ग बताते हैं कि उस वक्त एक आने यानी 6 पैसे में कई लोगों का पेट भर जाता था। जामा मस्जिद के आसपास भेड़ और मुर्गों का तमाशा लगता था। लोग मुर्गे और भेड़ की लड़ाई देखने में ऐसे मशगूल हो जाते कि उन्हें पता नहीं चल पाता था कि कि दिन कब निकल गया।<br />
<br />
लाल किले पर समारोह के बाद लोगों को रेडियो से समाचार सुनने का इंतजार रहता था। जो लोग किसी कारण से समारोह में शामिल नहीं हो पाते थे , वे भाषण सुनने के लिए रेडियो के आसपास जमा हो जाते थे। क्योंकि उन दिनों घर - घर में रेडियो नहीं थे। एक रेडियो के आसपास भारी भीड़ जमा हो जाती। लोग पूरी शांति से भाषण सुनते थे। फिर कई दिनों तक भाषण पर चर्चा होती थी।<br />
<br />
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने 20 फरवरी 1947 को घोषणा की थी कि जून 1948 तक ब्रिटिश सरकार भारत को मुक्त कर देगी। लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन की अगुआई कर रहे नेताओं को भरोसा नहीं था कि इस दिन हम अंग्रेजों से आजाद हो पाएंगे।<br />
<br />
लगभग एक साल पहले तक यानी 1946 तक पंडित नेहरू सहित अनेक कांग्रेसी नेताओं को यही लगता रहा कि आजादी की लड़ाई ठीक तरह से चलती रही तो अगले दो से पांच वर्षों में सफलता मिल सकती है।<br />
<br />
इस बीच परिस्थितियां तेजी से बदलीं। एक ओर देश में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव और हिंसा की घटनाएं शुरू हो गईं , तो दूसरी ओर बहुत से प्रमुख भारतीय अफसर खुलकर आंदोलनकारियों का साथ देने लगे। विश्वयुद्ध के कारण ब्रिटिश सरकार काफी दबाव में थी। अब उसके लिए भारत के शासन को संभालना आसान नहीं रह गया था। वहां अब यह राय मजबूत बनने लगी थी कि सरकार को भारत को आजादी दे देनी चाहिए।<br />
<br />
अंतत : भारत को आजादी मिली लेकिन उसका विभाजन हुआ और पाकिस्तान बना। 14 अगस्त को पाकिस्तान की आजादी के समारोह में शामिल होने के बाद लॉर्ड माउंटबैटन भारत की आजादी के समारोह में शामिल होने दिल्ली आए। यहां कई जगह समारोह आयोजित किए गए। इंडिया गेट पर भी समारोह का आयोजन किया गया , जिसमें काफी भीड़ थी। समारोह में पंडित जवाहर लाल नेहरू , लॉर्ड माउंटबैटन सहित तमाम नेता शामिल हुए।<br />
<br />
1932 बैच के आईसीएस अधिकारी बदरुद्दीन तैयब जी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उस दिन इंडिया गेट में आयोजित समारोह में इतनी भीड़ थी कि माउंटबैटन और उनकी पत्नी को सभा स्थल तक ले जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। जहां से जवाहर लाल नेहरू भाषण दे रहे थे , वहां तक पहुंचने में काफी परिश्रम करना पड़ा था। पहली बार जब लोगों ने तिरंगा झंडा फहराते हुए देखा तो उनके चेहरे पर अजीब सी चमक थी।<br />
<br />
और उस दिन के बारे में माउंटबैटन ने लिखा कि स्थिति अत्यंत विस्फोटक थी। इसलिए भारत छोड़ने में ब्रिटेन ने ज्यादा देर नहीं की। बल्कि ब्रिटेन को भारत इससे पहले ही छोड़ देना चाहिए था। भारत में अनेक स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। कानून और व्यवस्था की स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी।<br />
<br />
आशंका थी कि कहीं ऐसी चिंताजनक स्थिति न पैदा हो जाए , जिससे नियंत्रण का दायित्व निभाने की क्षमता ही नहीं रहे। हालत यह थी कि प्रशासनिक सेवा और फौज के अधिकांश अधिकारी सांप्रदायिक गुटों में बंट चुके थे। जिस सांप्रदायिकता को ब्रिटिश शासकों ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अपनाया था उसी के कारण उसे बाहर का रास्ता देखना पड़ा।<br />
<br />
और जब पूरा देश जश्न में डूबा हुआ था , गली - मोहल्लों में मिठाइयां बंट रही थीं , गांधी उपवास कर रहे थे। उनके साथ थे कलकत्ता के पूर्व मेयर व जिला मुस्लिम लीग के तत्कालीन सेक्रेटरी एम . एस . उस्मान । <br />
<br />
<b>वीरेंद्र कुमार</b>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-3672523913283314732010-08-05T18:52:00.000+05:302010-08-05T18:52:42.079+05:30दिल्ली के प्रमुख ब्लड बैंक (Blood Bank)<div style="text-align: center;"></div><div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;">सेंट्रल दिल्ली</span></strong> </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी, कनॉट प्लेस : 23711551 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">सर गंगाराम अस्पताल, राजेंद्र नगर : 42251818, 25735205 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">ब्लड बैंक ऑर्गनाइजेशन, पूसा रोड : 25721870, 25711055 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;">साउथ दिल्ली</span> </strong></div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;"><strong>एम्स</strong>, अरविंदो मार्ग, अंसारी नगर : 26594438-4400 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">बत्रा हॉस्पिटल, तुगलकाबाद इंस्टिट्यूशनल एरिया 26056148, 29958747, 26056153-54 (एक्स. 2036) </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">रोटरी ब्लड बैंक, तुगलकाबाद इंडस्ट्रियल एरिया : 29054066-69 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">वाइट क्रॉस बैंक, ईस्ट ऑफ कैलाश : 26831063 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;">नॉर्थ दिल्ली</span> </strong></div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">लॉयन्स ब्लड बैंक, शालीमार बाग : 42258494, 47122000 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">संत परमानंद हॉस्पिटल, सिविल लाइंस : 23981260, 23994401-10, (एक्स. 557) </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;">ईस्ट दिल्ली </span></strong></div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">धर्मशिला कैंसर फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर, वसंुधरा एनक्लेव 43066428-32 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">अपोलो ब्लड बैंक, सरिता विहार 26825707 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;">वेस्ट दिल्ली </span></strong></div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल, हरि नगर, जनकपुरी : 25494403-08 (एक्स. 515), 25129345 (सुबह 9 से शाम 5 बजे तक) </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: large;">नोएडा</span> </strong></div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;">कैलाश हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नोएडा : 0120-2444444, 2440444 -(एक्स. 844), 9560271883 </div><div style="text-align: center;"><br />
</div><div style="text-align: center;"><strong>(इन नंबरों पर सातों दिन 24 घंटे फोन कर सकते हैं। ) </strong></div>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-13997700237183775182010-08-03T20:26:00.000+05:302010-08-03T20:26:19.590+05:30पासपोर्टः जानें अपने अधिकार और जरूरी बातेंसाकेत में रहने वाली मालती शर्मा अपना पासपोर्ट बनाने के लिए भीकाजी कामा प्लेस स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी के दफ्तर पहुंचीं। लंबी-लंबी लाइनें देखकर मन थोड़ा परेशान हुआ। अपनी बारी का इंतजार करते-करते दो घंटे बीत गए। जब नंबर आया तो काउंटर पर मौजूद शख्स ने फॉर्म में चार कमी बताकर पूरी कर फिर आने के लिए कह दिया। जब उन महोदय से इस बारे में कुछ पूछना चाहा तो उन्होंने लंबी लाइन का बहाना बनाकर बात करने से इनकार कर दिया। <br />
<br />
चार-पांच चक्कर लगाने के बाद महीनों में उनका पासपोर्ट बन पाया। लेकिन उन्हें तब जोर का झटका लगा, जब पासपोर्ट पर अपना नाम ही गलत पाया। पासपोर्ट विभाग के बार-बार चक्कर लगाने के बारे में सोचकर ही उन्हें दिन में तारे नजर आने लगे। आखिरकार उन्हें दलाल की शरण में जाना पड़ा, जिसने चंद दिनों में उनका काम करा दिया। लेकिन यह कोई सही हल नहीं है। पासपोर्ट ऑफिस में कोई परेशानी हो, कर्मचारी रिश्वत मांगे, अधिकारी दिए गए समय पर उपलब्ध न हो, पासपोर्ट तय वक्त पर न बने तो इसकी शिकायत जरूर करें। शिकायत करने से पहले आइए जानते हैं <br />
<br />
<u><strong>अपने</strong> <strong>अधिकारों के बारे में:</strong> </u><br />
<br />
- एक वैलिड (मान्य) पासपोर्ट के बिना कोई भी शख्स देश से बाहर नहीं जा सकता। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत हमें देश से बाहर आने-जाने की आजादी दी गई है। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में पासपोर्ट ऑफिस हमें विदेश जाने से रोक सकता है। <br />
<br />
- पासपोर्ट ऑफिस के काम के घंटे (वर्किंग-डेज) सोमवार से शुक्रवार को सुबह 9:30 बजे से शाम 6 बजे तक हैं। फॉर्म नंबर एक से संबंधित सुविधाएं सुबह 10 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक उपलब्ध होती हैं, जबकि बाकी कामों के लिए काउंटर सुबह 10 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक खुले होते हैं। <br />
<br />
- आवेदक पासपोर्ट अधिकारी से सोमवार, मंगल, गुरुवार व शुक्रवार को ऑफिस आवर्स में मिल सकते हैं। <br />
<br />
- साधारण पासपोर्ट बनाने के लिए 45 दिन का समय तय है। <br />
<br />
- आपने अपना पासपोर्ट जिस दफ्तर से बनवाया है, जरूरी नहीं है कि दूसरी सेवाओं के लिए आप उसी दफ्तर में जाएं। आप फिलहाल जहां रह रहे हैं, उसके नजदीकी पासपोर्ट ऑफिस में अलग-अलग (विविध) सेवाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं। <br />
<br />
- बेहतर यही है कि आपके पासपोर्ट में आपका मौजूदा अड्रेस हो। यदि आप दिल्ली से कहीं बाहर शिफ्ट हो गए हैं तो फॉर्म-2 भरकर अपने मौजूदा अड्रेस के सर्टिफिकेट के साथ नजदीकी पासपोर्ट ऑफिस में आवेदन कर सकते हैं। <br />
<br />
- अगर आपके पासपोर्ट पर ईसीआर (इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड) स्टांप लगी है और आप दी गई किसी भी कैटिगरी में आ जाते हैं, जैसे आप दसवीं या उससे ज्यादा पढ़ाई कर चुके हैं तो अपने मार्कशीट सर्टिफिकेट के साथ दफ्तर में आवेदन कर सकते हैं। इससे आप ईसीएनआर (इमिग्रेशन चेक नॉट रिक्वायर्ड) का स्टेटस हासिल कर सकते हैं। <br />
<br />
- यदि आप सरकारी नौकरी में हैं तो सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया सर्टिफिकेट लगाना अनिवार्य है। इससे आप बिना पुलिस वेरिफिकेशन के अपना पासपोर्ट पा सकते हैं। गैर-सरकारी बैंक कर्मचारियों या दूसरी प्राइवेट कंपनियों के कर्मियों को यह सुविधा नहीं मिलती है। <br />
<br />
- बच्चों के लिए अलग से पासपोर्ट जारी किया जाता है। माता-पिता के पासपोर्ट में बच्चे का नाम शामिल नहीं किया जाता, चाहे बच्चा एक महीने का ही क्यों न हो। <br />
<br />
- यदि आपके पासपोर्ट की अवधि छह महीने या उससे कम बची है तो आप उस पर विदेश यात्रा नहीं कर सकते। कुछ देश छह महीने से भी ज्यादा वक्त पर यह नियम लागू कर देते हैं, इसलिए बेहतर होगा कि आप वलिडिटी डेट से एक साल पहले ही पासपोर्ट री-इश्यू करा लें। <br />
<br />
<strong><u>इन पर भी गौर करें </u></strong><br />
<br />
- अपने पासपोर्ट के आवेदन की स्थिति पता करने के लिए आप विभाग की आईपीआरएस सुविधा का लाभ ले सकते हैं। <br />
<br />
- एमटीएनएल लैंडलाइन कंस्यूमर 125535 डायल कर सकते हैं, जबकि एयरटेल व एमटीएनएल के मोबाइल कंस्यूमर 55352 डायल कर स्टेटस मालूम कर सकते हैं। यहां से आप दूसरी जानकारी भी ले सकते हैं। <br />
<br />
- एसएमएस द्वारा आवेदन की स्थिति जानने के लिए आपको अपने मोबाइल के मेसेज बॉक्स में जाकर 'पीपीटी (फाइल नंबर) टाइप करके 57272 पर भेजना होगा। आपको मेसेज द्वारा जानकारी मिल जाएगी। मेसेज भेजते वक्त ध्यान रखें कि आवेदनपत्र जमा कराने पर आपको एक रसीद जारी की जाती है। उस पर फाइल नंबर होता है, जैसे ए 123456। इसमें एक अल्फाबेट और 6 नंबर होते हैं। मेसेज करते वक्त इस फाइल नंबर के अंत में जिस साल अप्लाई किया है, उसके दो अंक जरूर लगाएं जैसे ए 12345610, इसमें 10 नंबर इस साल को बताता है। इसके बिना आप अपने फॉर्म का स्टेटस नहीं जांच पाएंगे। <br />
<br />
- अपने आवेदन का स्टेटस आप पासपोर्ट विभाग की वेबसाइट www.passport.gov.in पर स्टेटस ऑप्शन में जाकर भी चेक कर सकते हैं। <br />
<br />
<strong><u>हेल्पलाइन</u></strong> <br />
<br />
<strong>पासपोर्ट ऑफिस में कोई भी शिकायत होने पर आप डिप्टी पासपोर्ट अधिकारी क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी से मिल सकते हैं या उन्हें लिख सकते हैं : </strong><br />
<br />
त्रिकुट-3, हडको बिल्डिंग, भीकाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली - 110066 <br />
<br />
फोन - 011-26166292/ 26189000 <br />
<br />
फैक्स- 011-26165870/ 26161783 <br />
<br />
ईमेल- rpo.delhi@mea.gov.in <br />
<br />
<strong>अगर आप इन अधिकारियों के जवाब से संतुष्ट न हों तो मुख्य पासपोर्ट अधिकारी को भी लिख सकते है : </strong><br />
<br />
संयुक्त सचिव (सीपीवी) एवं मुख्य पासपोर्ट अधिकारी विदेश मंत्रालय, कमरा नंबर- 20, पटियाला हाउस ऐनेक्सी, नई दिल्ली। <br />
<br />
फोन नंबर- 011-23387104 <br />
फैक्स नंबर- 011-23782821 <br />
<br />
ईमेल- gov.jscpro@mea.gov.in <br />
jscpro@mea.gov.in <br />
<br />
<strong>आप पासपोर्ट संबंधी शिकायत के लिए विदेश मंत्री को भी लिख सकते हैं : </strong><br />
<br />
विदेश मंत्री, <br />
साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली-110001 <br />
फैक्स- 011-23013254/ 23011463 <br />
<br />
<strong>रिऐलिटी चेक </strong><br />
<br />
पासपोर्ट दफ्तर के आसपास दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। अधिकारी और कर्मचारी किसी को भी आवेदक से कोई सहानुभूति नहीं है। दिए गए फोन नंबरों पर घंटी बजती रहती है। विभाग की जनता के प्रति जवाबदेही न होने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। जरा-सी गलती होने पर आपका आवेदन रिजेक्ट कर दिया जाता है। कंस्यूमर के पूछने पर भी उसे पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई जाती। इस सब प्रक्रिया में विभाग सो रहा है, पासपोर्ट के नाम पर जनता का शोषण हो रहा है और दलाल फल-फूल रहे हैं।Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-59955218987744499202010-08-02T21:40:00.001+05:302010-08-22T12:33:41.842+05:30जानिए पासपोर्ट बनवाने के लिए जरूरी हर बात<div style="border-bottom: medium none; border-left: medium none; border-right: medium none; border-top: medium none;">पासपोर्ट आज हम सबकी जरूरत है। विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट पहली जरूरत है। सरकार समय-समय पर पासपोर्ट प्रक्रिया को आसान बनाने की बात करती रहती है, लेकिन पूरी जानकारी न होने पर पासपोर्ट बनवाना टेढ़ा काम है। अगर सही जानकारी हो तो आसानी से पासपोर्ट बनवा सकते हैं। पासपोर्ट से जुड़ी पूरी जानकारी दे रहे हैं आदित्य मित्र: </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmceFuPf3tNT4xU3MYyOeCFFbsYm0ICXcLSrLp9OX49-D5ZP7imkPvIQyh-uqjVOhMRWcVTzMhGaA0BfpIF2abCO0zI6dliivqehiDMdTvot1bMSH1pAI8B97eorhx0gb8eYtCHwLMbPI/s1600/passport.bmp" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="119" ox="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmceFuPf3tNT4xU3MYyOeCFFbsYm0ICXcLSrLp9OX49-D5ZP7imkPvIQyh-uqjVOhMRWcVTzMhGaA0BfpIF2abCO0zI6dliivqehiDMdTvot1bMSH1pAI8B97eorhx0gb8eYtCHwLMbPI/s200/passport.bmp" width="200" /></a></div><div style="border-bottom: medium none; border-left: medium none; border-right: medium none; border-top: medium none;"><br />
</div><b>पासपोर्ट फॉर्म कहां से लें और जमा कराएं: </b><br />
- पासपोर्ट बनवाने के लिए पासपोर्ट ऑफिस, जिला पासपोर्ट केंद्र, स्पीड पोस्ट केंद्र और पासपोर्ट डिपार्टमेंट की वेबसाइट www.passport.gov.in से ऐप्लिकेशन फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं। <br />
<br />
- पासपोर्ट विभाग पासपोर्ट की डिलिवरी सिर्फ स्पीड-पोस्ट से ही करता है। किसी विशेष परिस्थिति में यदि आपको काउंटर पर पासपोर्ट देने का वादा किया जाता है तो आवेदक को खुद जाना होगा। <br />
<br />
- विभाग ने स्पीड-पोस्ट केंद्रों को पासपोर्ट फॉर्म बेचने व स्वीकार करने के लिए अधिकृत किया हुआ है। इन केंद्रों की जानकारी आप विभाग की वेबसाइट www.passport.gov.in से प्राप्त कर सकते हैं। <br />
<br />
<strong>दिल्ली में कुल चार जिला केंद्र हैं। आप यहां से पासपोर्ट फॉर्म ले और जमा कर सकते हैं। </strong><br />
<br />
- पुलिस भवन, आसफ अली रोड, नई दिल्ली <br />
<br />
- शकरपुर पुलिस स्टेशन, दिल्ली <br />
<br />
- 9-10 बटालियन, पुलिस लाइन, पीतमपुरा, दिल्ली <br />
<br />
- नेहरू प्लेस पुलिस पोस्ट, निकट कालकाजी मंदिर, नई दिल्ली <br />
<br />
<strong>दिल्ली का क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर दिल्ली के अलावा हरियाणा के नौ जिलों</strong> - गुड़गांव, रेवाड़ी, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर, नूंह, मेवात व महेंद्रगढ़ के निवासियों को पासपोर्ट उपलब्ध कराता है। <br />
<br />
<strong>पासपोर्ट कितनी तरह के </strong><br />
<br />
आमतौर पर पासपोर्ट तीन तरह के होते हैं: <br />
<br />
1. साधारण पासपोर्ट (नीले रंग का) <br />
<br />
2. राजनयिक पासपोर्ट (मरुन रंग का) <br />
<br />
3. ऑफिशल पासपोर्ट (सफेद रंग का) <br />
<br />
<strong>ऐप्लिकेशन फॉर्म दो तरह के होते हैं: </strong><br />
<br />
<strong>फॉर्म नं. 1. </strong><br />
<br />
इस फॉर्म का इस्तेमाल नए पासपोर्ट के लिए अप्लाई करने, अवधि खत्म हो चुके पासपोर्ट को री-इश्यू कराने, गुम या फटे हुए पासपोर्ट के बदले नया पासपोर्ट लेने, नाम या फोटो में तब्दीली या फिर पासपोर्ट के पेज (पन्ने) खत्म होने पर किया जाता है। बच्चों के पासपोर्ट के लिए भी इसी फॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है। <br />
<br />
<strong>फॉर्म नं. 2 </strong><br />
<br />
इस फॉर्म का इस्तेमाल पासपोर्ट रिन्यू कराने, पुलिस अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी), ईसीआर (इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड) स्टांप हटवाने, पति/पत्नी का नाम शामिल कराने, अड्रेस में तब्दीली आदि कराने के लिए किया जाता है। <br />
<br />
<strong>फॉर्म कैसे भरें </strong><br />
<br />
पासपोर्ट के लिए अप्लाई करनेवाले ज्यादातर लोगों के फॉर्म अटक जाते हैं, क्योंकि वे सही तरीके से भरे हुए नहीं होते हैं। छोटी-छोटी गलतियां इस प्रॉसेस को मुश्किल बना देती हैं। पासपोर्ट फॉर्म भरने में क्या सावधानियां अपनाई जाएं, आइए जानते हैं : <br />
<br />
ऐप्लिकेशन फॉर्म भरने से पहले सभी जानकारियां ध्यान से पढ़नी चाहिए। फॉर्म के शुरू में फोटो चिपकाने, साइन करने (या अंगूठा लगाने) और फीस के भुगतान का ब्यौरा देने के लिए कॉलम बने हैं। <br />
<br />
- यदि आप डिमांड ड्राफ्ट से फीस जमा कर रहे हैं तो बैंक का चार नंबरों का कोड भी पता कर लें। यह फॉर्म में भरा जाना जरूरी है। साइन या अंगूठे के निशान बॉक्स की रेखाओं को बिना टच किए बॉक्स के अंदर होने चाहिए, पुरुषों को बाएं व महिलाओं को दाएं हाथ के अंगूठे का निशान लगाना चाहिए। <br />
<br />
- साइन के लिए काला या नीला बॉलपेन ही इस्तेमाल करें। अंग्रेजी में फॉर्म भरते समय कैपिटल लेटर्स का इस्तेमाल करें। <br />
<br />
- फोटो कलर्ड और लेटेस्ट (हाल में खिंचा) होना चाहिए। पासपोर्ट आकार के ये फोटो 3.5 X 3.5 सेमी के होने चाहिए। ब्लैक ऐंड वाइट या गहरे चश्मे पहने हुए या डार्क बैकग्राउंड में या वर्दी में या पॉलराइड प्रिंट या आम कंप्यूटर प्रिंट वाले फोटो मान्य नहीं हैं। रंगीन फोटो की बैकग्राउंड सफेद हो तो बेहतर है। फोटो में आवेदक का पूरा चेहरा सामने की ओर होना चाहिए। फोटो बिल्कुल बॉक्स में चिपका होना चाहिए। छोटा या बड़ा फोटो नहीं होना चाहिए। ऐप्लिकेशन फार्म के लिए तीन रंगीन फोटो जरूरी हैं। पहला फॉर्म के पहले पेज पर, जबकि बाकी दो फोटो व्यक्तिगत विवरण (पर्सनल इन्फर्मेशन) फॉर्म पर लगाए जाते हैं। इन पर आवेदक के साइन भी जरूरी हैं। पहले पेज पर लगे फोटो पर साइन नहीं करने होते। <br />
<br />
<strong>कॉलम-1 </strong><br />
<br />
इस कॉलम में होता है आवेदक का नाम। पहली लाइन में सरनेम (उपनाम) और दूसरी में नाम लिखना होता है। पहली लाइन में सरनेम लिखकर कॉमा लगाएं। फिर अगली लाइन में अपना नाम लिखें। मान लीजिए कि आपका नाम अनिल कुमार राय है तो पहली लाइन में 'राय' लिखकर कॉमा लगाएं, जबकि दूसरी लाइन में 'अनिल कुमार' लिखें। नाम की स्पेलिंग वही हो, जो आपके सर्टिफिकेट्स में दी गई हो। नाम से पहले श्री, श्रीमती, कुमार या कुमारी शब्दों का इस्तेमाल न करें। <br />
<br />
<strong>कॉलम-2 </strong><br />
<br />
अगर कभी आपने अपना नाम बदला है तो अपना पिछला पूरा नाम दें। यह ऐसे सभी व्यक्तियों पर लागू होता है, जिन्होंने अपने नाम में किसी भी तरह का बदलाव किया हो, फिर चाहे वह बदलाव मामूली ही क्यों न हो। यह ऐसी महिलाओं पर भी लागू होता है, जिन्होंने शादी के बाद अपना नाम या सरनेम बदला है। यदि नाम में कोई बदलाव नहीं है तो 'लागू नहीं' लिखें। <br />
<br />
<strong>कॉलम-3 </strong><br />
<br />
महिला/ पुरुष के विकल्प में दिए गए इस बॉक्स में 'एम' या 'एफ' जो भी लागू हो, लिखें। <br />
<br />
<strong>कॉलम-4 </strong><br />
<br />
यह कॉलम जन्मतिथि से संबंधित है। जन्म का दिन, महीना व साल शब्दों में भरा जाए, जैसे कि सर्टिफिकेट में दर्ज हो। जन्म की तारीख का प्रमाणपत्र (बर्थ सर्टिफिकेट) या हाईस्कूल (दसवीं) का सर्टिफिकेट साथ में लगाना होगा। बिना पढ़े-लिखे या कम पढ़े-लिखे आवेदकों को मैजिस्ट्रेट या नोटेरी द्वारा सत्यापित ऐफिडेविट लगाना होगा। जिन आवेदकों का जन्म 26 जनवरी 1989 को या उसके बाद हुआ है, उनका सिर्फ सरकार द्वारा जारी बर्थ सर्टिफिकेट ही मान्य होगा। <br />
<br />
<strong>कॉलम-5 </strong><br />
<br />
अगर आवेदक का जन्म भारत में हुआ है तो स्थान का नाम जैसे गांव/ कस्बा, जिला व राज्य का उल्लेख करें। भारत से बाहर जन्म हुआ है तो स्थान और देश का नाम लिखें। भारत के विभाजन से पहले ऐसी जगह पर हुआ है, जो अब पाकिस्तान या बांग्लादेश में है तो उस जगह का नाम लिखें और उसके बाद देश के लिए 'अविभाजित भारत' लिखें। <br />
<br />
<strong>कॉलम 6, 7 व 8 </strong><br />
<br />
ये कॉलम पिता, माता और पति/ पत्नी के नाम से संबंधित हैं। इन कॉलमों में नेम व सरनेम दोनों लिखे जाने हैं यानी नेम के बाद सरनेम लिखा जाना चाहिए। यदि आवेदक अविवाहित है तो कॉलम 8 में पति/ पत्नी के नाम की जगह पर 'लागू नहीं' भरना होगा। कॉलम 8 का अगला हिस्सा तलाकशुदा, विधुर या विधवा के लिए है। इसके लिए तलाक के आदेश की अटैस्टेड कॉपी, ऐफिडेविट, डेथ सटिर्फिकेट आदि लगाना होगा। <br />
<br />
<strong>कॉलम 9 व 10 </strong><br />
<br />
यह कॉलम आवेदक के निवास-स्थान से जुड़ा है। दिए गए पते पर कब से रह रहे हैं, वह तारीख, फोन नंबर, एरिया पिन कोड के साथ सभी ब्यौरे दिए जाएं ताकि पासपोर्ट ऑफिस अतिरिक्त सूचना या दस्तावेज के मामले में जरूरत पड़ने पर संपर्क कर सके। मोबाइल नंबर फायदेमंद होता है। अगर कॉलम 9 में दिए गए पते पर निवास की अवधि आवेदन करने की तारीख को एक साल से कम है तो निवास की अवधि की जानकारी देते हुए दूसरा पता दें, जहां आप लंबे समय तक रहे हों। अपने माता-पिता से दूर रह रहे स्टूडेंट स्टडी के स्थान से अप्लाई कर सकते हैं। ऐसे मामलों में पते के प्रूफ के लिए शैक्षिक संस्था के प्रिंसिपल/डायरेक्टर/रजिस्ट्रार या डीन का सटिर्फिकेट जरूरी है। पिछले एक साल में एक से अधिक पते के लिए व्यक्तिगत विवरण फॉर्म का एक अतिरिक्त सेट फॉर्म के साथ लगाना होगा। <br />
<br />
<strong>कॉलम 11 </strong><br />
<br />
अगर आपके पास पहले से किसी भी तरह का पासपोर्ट है तो उसकी जानकारी इस कॉलम में दी जानी है। अगर पहले कभी आपका पासपोर्ट गुम हुआ हो या खराब हो गया हो तो पुलिस एफआईआर की कॉपी लगाना जरूरी है। <br />
<br />
अगर कभी आपने इमरजेंसी सर्टिफिकेट पर यात्रा की है या कभी निर्वासित या सरकार की लागत पर देश प्रत्यावर्तित किए गए हैं तो कॉलम 11 के ए हिस्से में ईसी (इमरजेंसी सर्टिफिकेट) संख्या जारी करने की तारीख और स्थान, मूल गिरफ्तारी मेमो, उस देश और स्थान का नाम जहां से निर्वासित या प्रत्यावर्तित किए गए की जानकारी देनी चाहिए। यदि ईसी की डिटेल्स उपलब्ध न हो तो उस स्थान और देश का नाम दिया जाना आवश्यक है, जहां से निर्वासित या प्रत्यावर्तित किए गए। ऐसे सभी आवेदकों को एफिडेविट नोटेरी के रूप में अपने निर्वासन/ पासपोर्ट के गुम होने की परिस्थितियों की डिटेल्स देनी चाहिए। <br />
<br />
<strong>कॉलम-12 </strong><br />
<br />
इस कॉलम के तीन भाग हैं, जिनमें अपनी शैक्षिक योग्यता, आसानी से दिखाई देने वाला पहचान चिह्न (जैसे पुराने जख्म या कोई और निशान) के अलावा लंबाई से.मी. में लिखें। <br />
<br />
<strong>कॉलम-13 </strong><br />
<br />
इस कॉलम में सरकारी कर्मचारियों से जुड़ी जानकारी मांगी गई है। अगर आप केंद्र, राज्य सरकार, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) में कार्यरत हैं तो अपने दफ्तर के आई-डी की कॉपी साथ लगाएं। बाकी आवेदक इस कॉलम में 'नहीं' लिखें। <br />
<br />
<strong>कॉलम-14 </strong><br />
<br />
यह कॉलम नागरिकता से संबंधित है। आवेदक जन्म, आव्रजन/ रजिस्ट्रेशन या देशीयकरण से है, जो भी स्थिति हो बॉक्स में दर्ज करें। अगर आप जन्म से भारतीय हैं तो लिखें - जन्म से। <br />
<br />
<strong>कॉलम-15 </strong><br />
<br />
यह कॉलम इमिग्रेशन चेक से संबंधित है। सभी पेन कार्डधारक, दसवीं या उससे ज्यादा शैक्षिक योग्यता वाले व्यक्ति, डिग्रीधारक डॉक्टर, दूसरे प्रफेशनलों और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए इमिग्रेशन चेक जरूरी नहीं है। ईसीआर (इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड) के जरिए जांच की जाती है कि जो लेबर भारत से बाहर जा रही है, उसके साथ कॉन्ट्रैक्ट होता है, वह लीगल है या नहीं। उसके साथ कोई नाइंसाफी न हो। दरअसल, अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोगों के सामने इस तरह की दिक्कत आ सकती है, इसलिए इन्हें ईसीआर की कैटिगरी में रखा जाता है, जबकि पढ़े-लिखे लोग अपने हकों की रक्षा कर सकते हैं, इसलिए उन्हें ईसीएनआर (इमिग्रेशन चेक नॉट रिक्वायर्ड) कैटिगरी में रखा जाता है। इस कॉलम में 'हां' या 'नहीं' लिखने के साथ-साथ सहायक डॉक्युमेंट लगाना जरूरी है। <br />
<br />
<strong>कॉलम-16 </strong><br />
<br />
यह कॉलम बच्चों के लिए है। पहली बार पासपोर्ट के लिए आवेदन करते समय माता/पिता या किसी एक पैरंट के वैलिड पासपोर्ट के ब्यौरे संबंधित कॉलम में दिए जाने चाहिए। ऐसे मामलों में उनके नाबालिग बच्चे के लिए किसी पुलिस सत्यापन के बगैर पासपोर्ट जारी किया जाएगा। ऐसे मामलों में, जिनमें माता-पिता के पास पासपोर्ट नहीं है, माता-पिता के दस्तावेजों के साथ ऐफिडेविट भी देना होगा। <br />
<br />
<strong>कॉलम-17 </strong><br />
<br />
यह कॉलम पहले कभी किए गए पासपोर्ट के आवेदन या पासपोर्ट जब्त होने/ रद्द आदि के संदर्भ में है। ऐसे में आवेदक को सही जानकारी देनी चाहिए। कोई तथ्य छुपाने पर पासपोर्ट अधिनियम 1967 के प्रावधानों के तहत हर जुर्म के लिए 5000 रुपये तक का जुर्माना व दूसरी सजा दी जा सकती हैं। <br />
<br />
<strong>कॉलम-18 </strong><br />
<br />
यह कॉलम इमरजेंसी के लिए है। पासपोर्ट होल्डर की मृत्यु या दुर्घटना की स्थिति में सूचना दिए जाने वाले व्यक्ति के मोबाइल, टेलिफोन नंबर व ईमेल के साथ-साथ नाम व पता दिया जाना चाहिए। <br />
<br />
<strong>कॉलम-19 </strong><br />
<br />
य ह कॉलम भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के प्रति निष्ठा और स्वैच्छिक रूप से किसी दूसरे देश की नागरिकता या यात्रा दस्तावेज प्राप्त न करने आदि के बारे में आवेदक द्वारा की गई घोषणा है। इसके अलावा इस कॉलम में आवेदन-पत्र में सही सूचना देने से संबंधित घोषणा की गई है और आवेदक को यह मालूम है कि पासपोर्ट पाने के लिए कोई गलत सूचना देना व उसे छिपाना अपराध है। आवेदक के पास कोई दूसरा पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज नहीं है। दिए गए स्थान में अप्लाई करने की तारीख और स्थान के साथ-साथ हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लगाया जाना चाहिए। <br />
<br />
<strong>कॉलम-20 </strong><br />
<br />
आवेदन-पत्र के साथ लगे सभी दस्तावेजों की फोटोकॉपी की लिस्ट खाली जगह में दी जानी चाहिए या हर दस्तावेज आवेदक द्वारा स्वयं सत्यापित (सेल्फअटैस्ड) किया जाना चाहिए, यानी हर फोटोकॉपी पर आप अपने साइन कर दें। <br />
<br />
<strong>फॉर्म के साथ नत्थी करें ये डॉक्युमेंट्स : </strong><br />
<br />
<strong>1. निवास का प्रमाण (अड्रेस-प्रूफ)</strong> - राशनकार्ड, पानी या लैंडलाइन फोन या बिजली का बिल, बैंक पासबुक, तीन साल के इनकम-टैक्स रिटर्न की कॉपी, वोटर आई-कार्ड, पति/पत्नी के पासपोर्ट की कॉपी, बच्चों के मामले में पैरंट्स के पासपोर्ट की कॉपी। अड्रेस-प्रूफ के तौर पर सिर्फ राशनकार्ड की कॉपी लगाना काफी नहीं है। इसके साथ ऊपर लिखे गए प्रमाणों में से कोई एक अतिरिक्त प्रमाण-पत्र लगाना होगा। <br />
<br />
<strong>2. जन्मतिथि का प्रमाण</strong> - नगरपालिका या जिले के कार्यालय द्वारा जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र, अंतिम स्कूल या किसी अन्य मान्यता प्राप्त शैक्षिक संस्थान से जन्मतिथि का प्रमाण-पत्र, जहां आवेदक ने पढ़ाई की हो। अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे आवेदक मैजिस्ट्रेट या नोटेरी द्वारा अटैस्टेड ऐफिडेविट लगाएं। अगर आवेदक का जन्म 26.1.89 को या उसके बाद हुआ है तो सिर्फ बर्थ सर्टिफिकेट ही मान्य होगा। <br />
<br />
<strong>3. ईसीएनआर के लिए पात्रता</strong> - पासपोर्ट पर ईसीआर स्टांप नहीं लगाई जाती, तो माना जाएगा कि आवेदक को ईसीएनआर (इमिग्रेशन चेक नॉट रिक्वायर्ड) का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके लिए दसवीं या उससे अधिक शैक्षिक योग्यता का सर्टिफिकेट, पेशेवर डिग्रीधारक जैसे कि डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, अध्यापक, वैज्ञानिक, ऐडवोकेट, मान्यता प्राप्त पत्रकार, सरकारी अधिकारी आदि अपनी डिग्री का सर्टिफिकेट लगा सकते हैं। <br />
<br />
<strong>ध्यान रखने लायक बातें </strong><br />
<br />
- अगर वर्तमान आवेदन से पहले किसी पासपोर्ट दफ्तर में कभी भी पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था और उस पर चाहे कार्रवाई की गई हो या बंद कर दी गई या पासपोर्ट जारी कर दिया गया लेकिन आवेदक को प्राप्त नहीं हुआ हो, तो इसकी जानकारी भी वर्तमान आवेदन-पत्र के संबंधित कॉलम में दी जानी चाहिए। ऐसी किसी जानकारी को छुपाने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। <br />
<br />
- 'री-इश्यू' का मतलब है कि मौजूदा पासपोर्ट, जो या तो खत्म हो गया हो या खत्म होने वाला है, उसके बदले दूसरे पासपोर्ट के लिए आवेदन करना। आवेदक समाप्त हो चुके या समाप्त होने वाले पासपोर्ट के बदले में नए पासपोर्ट के लिए पिछले पासपोर्ट की समाप्ति के तीन साल बाद तक और उसकी समाप्ति से एक साल पहले भी आवेदन कर सकता है। <br />
<br />
- पासपोर्ट के 'नवीकरण' (रिन्यूअल) का अर्थ है, ऐसा पासपोर्ट जो आपातकालीन परिस्थितियों में एक से पांच साल के लिए जारी किया गया था और जिसे धारक पासपोर्ट जारी करने की तारीख से 10 साल की पूरी वैधता अवधि के लिए बढ़वाना चाहता है। नवीकरण फ्री सर्विस है। इसके लिए आवेदन फॉर्म नं. 2 में किया जाना चाहिए। <br />
<br />
- अलग-अलग कैटिगरी के लिए अलग-अलग ऐफिडेविट देने होते हैं, जिनकी जानकारी आपको पासपोर्ट फॉर्म के साथ मिलने वाली सूचना पुस्तिका में उपलब्ध होती है। इसके अलावा आप पासपोर्ट विभाग की वेबसाइट www.passport.gov.in पर ऐफिडेविट ऑप्शन में जाकर उसे डाउनलोड कर सकते हैं। <br />
<br />
- पासपोर्ट री-इश्यू के फॉर्म के साथ लगने वाले दस्तावेज - मूल पासपोर्ट, पासपोर्ट के पहले चार और बाद के चार पन्नों व ईसीआर/ ईसीएनआर पेज की सेल्फ अटैस्टेड फोटोकॉपी लगानी जरूरी है। <br />
<br />
- फॉर्म के साथ ईसीएनआर स्टांप के लिए जरूरी कागजात, निवास प्रमाण-पत्र, यदि पति/पत्नी का नाम शामिल कराना चाहते हैं तो ऐफिडेविट या रजिस्ट्रार ऑफ मैरिज का सर्टिफिकेट लगाना होगा। <br />
<br />
- बॉक्स भरते वक्त हर शब्द के पूरे होने के बाद एक बॉक्स खाली छोड़ें। <br />
<br />
- सूचना इस तरह भरें कि वह दिए गए बॉक्स में आ जाए। <br />
<br />
- बॉक्स के बाहर कुछ भी न लिखें। ओवरराइटिंग से बचें। <br />
<br />
- अधूरे ऐप्लिकेशन फॉर्म स्वीकार नहीं किए जाते। <br />
<br />
- पेंसिल या इंकपेन से फॉर्म न भरें। <br />
<br />
- पासपोर्ट आवेदन फॉर्म मशीन से पढ़े जाते हैं, इसलिए साफ अक्षरों में भरें। फॉर्म भरते वक्त सावधानी बरतें और किसी भी तरह की गलती से बचें। <br />
<br />
- यदि आवेदक को पासपोर्ट की फौरन जरूरत है तो वह तत्काल योजना के तहत आवेदन कर सकता है। <br />
<br />
- नाम परिवर्तन की स्थिति में आवेदक (पुरुष व महिला दोनों) को ऐफिडेविट के साथ दो प्रमुख अखबारों की मूल कतरनें (जिसमें नाम बदलने संबंधी सूचना छपी होगी) जमा करनी होंगी, जिनमें से एक दैनिक समाचारपत्र आवेदक के स्थायी या वर्तमान निवास के इलाके का होना चाहिए। <br />
<br />
- यदि आप अपना आवेदन-पत्र डाक से भेजते हैं तो आपको सभी दस्तावेजों की गजेटेड ऑफिसर द्वारा अटेस्टेड कॉपी लगानी जरूरी है। <br />
<br />
<strong>ऑनलाइन आवेदन </strong><br />
<br />
पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पासपोर्ट विभाग की वेबसाइट www.passport.gov.in पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ऑप्शन में जाकर कर सकते हैं। इस फार्म का प्रिंट जरूर लें। पासपोर्ट ऑफिस एक निश्चित तारीख और समय पर आपको बुलाएगा। आपके पास आवेदन-फॉर्म के प्रिंटआउट, अपेक्षित दस्तावेज के साथ मूल दस्तावेज व फीस होनी चाहिए। यदि उस समय आप नहीं जा सकते तो अथॉरिटी लेटर के साथ अपने प्रतिनिधि को भेज सकते हैं। <br />
<br />
- आप नए पासपोर्ट, री-इश्यू व डुप्लिकेट पासपोर्ट के लिए आवेदन ऑनलाइन कर सकते हैं। <br />
<br />
- यदि किसी वजह से आप अपने आवेदन-पत्र का प्रिंटआउट नहीं ले पाते हैं तो अपना आवेदन नंबर जरूर नोट कर लें ताकि बाद में इस आवेदन नंबर व जन्मतिथि की मदद से आवेदन-पत्र का प्रिंट लिया जा सके। आवेदन-पत्र में कई कॉलम ऐसे भी हैं, जिन्हें सिर्फ हाथ से भरा जा सकता है। <br />
<br />
<strong>तत्काल पासपोर्ट </strong><br />
<br />
<strong>दस्तावेज </strong>: तत्काल स्कीम के तहत नीचे दिए गए दस्तावेजों में से कोई भी तीन दस्तावेजों के साथ ऐफिडेविट भी देना होगा। वोटर आई-कार्ड, सरकार द्वारा जारी सेवा आई-कार्ड, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़े वर्ग का प्रमाण-पत्र, स्वतंत्रता सेनानी आई-कार्ड, हथियार का लाइसेंस, संपत्ति दस्तावेज, राशनकार्ड, पेंशन दस्तावेज, रेलवे आई-कार्ड, पैन कार्ड, बैंक/ किसान डाकघर की पासबुक, मान्यता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं द्वारा जारी किए गए स्टूडेंट आई-कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बर्थ सटिर्फिकेट। ये दस्तावेज सेल्फ अटैस्टेड कॉपियों के साथ मूल रूप में पेश किए जाते हैं। <br />
<br />
<strong>फीस </strong>: तत्काल पासपोर्ट के लिए फीस सामान्य पासपोर्ट फीस से ज्यादा है। इसका भुगतान नगर या संबंधित पासपोर्ट अधिकारी के नाम डिमांड ड्राफ्ट द्वारा किया जा सकता है। <br />
<br />
<strong>तत्काल पासपोर्ट के लिए अतिरिक्त फीस इस तरह है : </strong><br />
<br />
1. आवेदन की तारीख से 1-7 दिन के अंदर - 1500 रु. + 1000 रु. पासपोर्ट फीस <br />
<br />
2. आवेदन की तारीख से 8-14 दिन के अंदर- 1000 रु. + 1000 रु. पासपोर्ट फीस <br />
<br />
<strong>डुप्लिकेट पासपोर्ट (गुम हो गए/ खराब हो गए पासपोर्ट के बदले में) </strong><br />
<br />
1. आवेदन की तारीख से 1-7 दिन के अंदर - 2500 रु.+ 2500 रु. डुप्लिकेट पासपोर्ट की फीस <br />
<br />
2. आवेदन की तारीख से 8-14 दिन के अंदर 1500 रु.+ 2500 रु. डुप्लिकेट पासपोर्ट फीस <br />
<br />
<strong>10 साल की वैधता अवधि खत्म होने के बाद फिर से पासपोर्ट बनाए जाने के मामले में </strong><br />
<br />
1. आवेदन की तारीख से तीन कार्यदिवसों के अंदर- 1500 रु.+ 1000 रु. पासपोर्ट फीस <br />
<br />
- आमतौर पर पासपोर्ट 10 साल के लिए बनाया जाता है। चाहें तो कम वक्त के लिए भी बनवा सकते हैं। <br />
<br />
- बच्चों का पासपोर्ट पांच साल या 18 साल की उम्र पर पहुंचने (जो भी कम हो) तक के लिए बनता है। <br />
<br />
<strong>पासपोर्ट फीस </strong><br />
<br />
- 36 पेजों के पासपोर्ट के लिए: 1000 रुपये <br />
<br />
- 60 पेजों के पासपोर्ट के लिए: 1500 रुपये <br />
<br />
- बच्चों के पासपोर्ट के लिए: 600 रुपये <br />
<br />
- 36 पेज के डुप्लिकेट पासपोर्ट के लिए: 2500 रुपये <br />
<br />
- 60 पेज के डुप्लिकेट पासपोर्ट के लिए: 3000 रुपये <br />
<br />
- अड्रेस, नाम, जन्मतिथि, जन्मस्थान बदलने, जीवनसाथी का नाम चढ़ाने पर फ्रेश पासपोर्ट बुकलेट के लिए: 1000 रुपयेPradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-47099084994679919502010-07-27T21:50:00.001+05:302010-07-27T21:53:27.942+05:30अगर न निकले एटीएम से पैसादरियागंज में रहनेवाले अशोक लूथरा एक बार अपने बैंक से अलग किसी दूसरे एटीएम से पैसे निकालने पहुंचे। पिन,अमाउंट आदि डालने के बाद स्लिप तो निकल आई, लेकिन एटीएम से पैसे नहीं निकले। स्लिप देखकर उनका सिर चकरा गया। पांच हजार रुपये अकाउंट से कम हो गए थे, जबकि मशीन से पैसे नहीं निकले। एटीएम बूथ पर न तो कोई फोन मौजूद था, न ही कोई जानकारी कि ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए। पूरी रात उन्होंने करवटें बदल-बदल कर गुजारी। सुबह अपनी ब्रांच को लिखित में शिकायत की। करीब 40 दिन बाद उनके अकाउंट में पैसे वापस आए। <br />
<br />
एटीएम कार्ड के प्रचलन से बैंकों ने अपना बोझ काफी हद तक कम कर लिया है। इसका फायदा कस्टमर्स को भी मिला है, लेकिन एटीएम कार्ड के जरिए धोखाधड़ी और हेराफेरी की घटनाएं भी काफी बढ़ गई हैं। एटीएम कार्ड चोरी हो जाना, पासवर्ड का पता कर एटीएम से पैसे निकालना आदि घटनाएं आम हो गई हैं। एटीएम का इस्तेमाल करते वक्त क्या सावधानियां रखनी चाहिए और क्या हैं हमारे अधिकार, आइए जानते हैं: <br />
<br />
<div style="font-family: "Trebuchet MS",sans-serif;"><span style="font-size: large;"><b>अधिकार</b></span> </div><br />
- आप अपने बचत खाते पर इश्यू एटीएम कार्ड से किसी दूसरे बैंक के एटीएम से महीने में पांच बार मुफ्त ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। इसके बाद 20 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन चार्ज किए जाएंगे। <br />
<br />
- आप किसी भी बैंक के एटीएम से कभी भी बैलेंस चैक कर सकते हैं। इसके लिए कोई फीस नहीं है। <br />
<br />
- अगर दूसरे बैंक के एटीएम से पैसा निकालते वक्त रकम अकाउंट से कट जाए और आपको न मिले तो आप अपनी ब्रांच को शिकायत करें। शिकायत किए जाने के अगले 12 वर्किंग डेज में आपके अकाउंट में पैसा वापस आ जाना चाहिए। अगर इतने दिनों में पैसा न आए तो आप इसके बाद के दिनों के लिए 100 रुपये रोजाना हर्जाना वसूलने के हकदार हैं। <br />
<br />
- सभी बैंकों के लिए यह जरूरी है कि वे एटीएम मशीन पर ऐसा रैंप उपलब्ध कराएं ताकि अपाहिज वील चेयर पर बैठे-बैठे एटीएम यूज कर सकें। <br />
<br />
- सभी बैंकों के लिए यह जरूरी है कि वे नए लगनेवाले एटीएम में से एक-तिहाई में टॉकिंग ब्रेल कीपैड लगाएं ताकि दृष्टिहीन लोग आसानी से एटीएम ऑपरेट कर सकें। कोई भी बैंक किसी दृष्टिहीन शख्स को एटीएम कार्ड इश्यू करने से इनकार नहीं कर सकता। <br />
<br />
- एटीएम रूम में यह सूचना लिखी होनी चाहिए कि फेल एटीएम ट्रांजेक्शन के लिए अपने बैंक की उस ब्रांच को सूचित करें, जहां से आपको एटीएम कार्ड इश्यू हुआ है। एटीएम रूम में एटीएम प्रवाइडर बैंक की सहायता डेस्क का फोन नंबर व उस अधिकारी का नाम व पता लिखा होना चाहिए, जिसे परेशानी होने पर शिकायत दर्ज कराई जा सके। <br />
<br />
<b>अगर कार्ड मशीन में फंस जाए/खो जाए </b><br />
<br />
- इस स्थिति में फौरन अपने बैंक के टोल फ्री नंबर पर डायल कर कार्ड को ब्लॉक (बंद) करा दें। यहां आपको एक शिकायत नंबर दिया जाएगा। इसे जरूर नोट कर लें। <br />
<br />
- जितना जल्दी मुमकिन हो, अपने बैंक को लिखित में जानकारी देकर उसकी कॉपी रिसीव करा लें। बाद में आप नए कार्ड के लिए अप्लाई कर सकते हैं। <br />
<br />
- अगर एटीएम बैंक की किसी ब्रांच में लगा है तो मशीन में कार्ड फंसने की स्थिति में अपने फोटो आई-कार्ड के साथ ब्रांच मैनेजर से मिलकर अपना कार्ड हासिल कर सकते हैं। <br />
<br />
<b>यह भी जानें</b> <br />
<br />
- एटीएम कार्ड के पिन गुम होने की लिखित शिकायत करने के एक हफ्ते में नया पिन नंबर इश्यू कर दिया जाता है। बैंक द्वारा इश्यू पिन नंबर को जितना जल्दी हो, बदल लें। <br />
<br />
- अगर एटीएम से ट्रांजैक्शन के दौरान कोई परेशानी आए तो बैंक कर्मचारी को भी अपना पिन न बताएं। <br />
<br />
- पिन को एटीएम कार्ड के कवर आदि पर कभी न लिखें। <br />
<br />
- एटीएम में कार्ड डाले जाने पर यदि इनवैलिड कार्ड शो करे तो अपने बैंक के एटीएम पर कार्ड फिर से ट्राई करें। कई बार तकनीकी दिक्कत से ऐसा होता है। अगर यह मेसेज बार-बार आए तो अपने कार्ड को ब्रांच से रिप्लेस करा लें। <br />
<br />
- अपने बैंक के एटीएम से रोजाना 15 से 25 हजार रुपये निकाल सकते हैं। लेकिन दूसरे बैंक के एटीएम से अधिकतम दस हजार रुपये ही निकाल सकते हैं। यह सूचना एटीएम पर डिस्प्ले होती है। <br />
<br />
- अगर ट्रांजैक्शन होने पर एटीएम से पैसा न निकले तो ट्रांजैक्शन स्लिप को संभाल कर रखें। अच्छा होगा, इसकी फोटोकॉपी करा लें। <br />
<br />
- नया एटीएम कार्ड मिलने पर सबसे पहले उसके पीछे दिए गए स्पेस पर साइन करें। <br />
<br />
- महीने में एक बार अपनी पासबुक में एंट्री जरूर कराएं। अगर आपके एटीएम ट्रांजैक्शन में कोई गड़बड़ हुई है तो फौरन ब्रांच मैनेजर को सूचित करें। <br />
<br />
- सभी एटीएम कार्ड पर वलिडिटी लिखी होती है। इसके खत्म होने से पहले अपनी ब्रांच को सूचित कर नया एटीएम इश्यू करा लें, वरना ऐसे कार्ड को मशीन जब्त कर लेती है। <br />
<br />
- अगर एटीएम कार्ड मिलने के एक हफ्ते तक पिन न मिले तो अपनी ब्रांच से जरूर संपर्क करें। <br />
<br />
- पिन के लिफाफे की सील जरूर जांच लें। अगर वह कहीं से खुला या कटा-फटा है तो फौरन ब्रांच मैनेजर को सूचित कर दूसरे नंबर की डिमांड करें। <br />
<br />
- आपके कार्ड से किसी भी तरह हुए गलत ट्रांजैक्शन के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं है। जाने-अनजाने में हुई किसी भी गलती का भुगतान आपको ही करना होगा। <br />
<br />
- एटीएम कार्ड में मैग्नेटिक पट्टी होती है। इसे हमेशा सुरक्षित स्थान पर रखें और टीवी से इसकी दूरी बनाए रखें। <br />
<br />
- अगर आपके पास वक्त है तो अपने बैंक के एटीएम से ही पैसा निकालें। ऐसी स्थिति में गड़बड़ी होने पर आपका पैसा अगले वर्किंग डे पर मिल जाएगा, जबकि दूसरे बैंक का एटीएम होने पर वक्त ज्यादा लगता है। <br />
<br />
<b>हेल्पलाइन </b><br />
<br />
ट्रांजैक्शन फेल होने पर अगर सूचित किए जाने के 12 वर्किंग डेज के बाद भी आपके अकाउंट में पैसा वापस न आए या बैंक हर्जाना न दे तो आप अपने राज्य के बैंकिंग ओम्बड्समैन को सभी डॉक्युमेंट्स अटैच कर लिखें। दिल्ली, हरियाणा व गाजियाबाद जिले के सभी बैंकों के कस्टमर्स अपनी ऐसी शिकायतों के लिए यहां लिख सकते हैं - <br />
<br />
<b>बैंकिंग ओम्बड्समैन, रिजर्व बैंक बिल्डिंग </b><br />
<b>सेकंड फ्लोर, संसद मार्ग, नई दिल्ली - 110001 </b><br />
<b>फोन - 011-23730632/ 633/ 6270-71 </b><br />
<b>फैक्स - 011- 23725218 </b>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-13704757729703042632010-07-26T21:01:00.000+05:302010-07-26T21:01:51.730+05:30हाउस वाइफ की हैसियतसुप्रीम कोर्ट ने हाल के एक फैसले में गृहिणियों को लेकर जो टिप्पणी की है, उससे न सिर्फ नीति-निर्माताओं की बल्कि पूरे समाज की आंखें खुल जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि एक हाउस वाइफ के काम को अनुत्पादक मानना महिलाओं के प्रति भेदभाव को दर्शाता है। दुर्भाग्य से यह भेदभाव समाज में तो है ही सरकार के स्तर पर भी है। कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि जनगणना तक में घरेलू महिलाओं के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया झलकता है। <br />
<br />
2001 की जनगणना में खाना पकाने, बर्तन साफ करने, बच्चों की देखभाल करने, पानी लाने, जलावन एकत्र करने जैसे घरेलू काम करने वाली महिलाओं को गैर-श्रमिक वर्ग में शामिल किया गया है और उनकी तुलना भिखारियों, वेश्याओं और कैदियों जैसे अनुत्पादक समझे जाने वाले वर्ग से की गई है। इस दृष्टिकोण को पूरी तरह गलत बताते हुए अदालत ने उस रिसर्च की चर्चा की जिसमें भारत की करीब 36 करोड़ गृहिणियों के कार्यों का वार्षिक मूल्य लगभग 612.8 अरब डॉलर आंका गया है। <br />
<br />
कोर्ट ने कहा कि संसद को कानूनों में संशोधन करना चाहिए ताकि दुर्घटना या वैवाहिक संपत्ति के बंटवारे के समय उनके कार्यों का वैज्ञानिक नजरिए से मूल्यांकन संभव हो सके। कोर्ट ने एक दुर्घटना में मारी गई उत्तर प्रदेश की रेणु के परिजनों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि ढाई लाख से बढ़ाकर साढ़े छह लाख रुपये करने का आदेश देते हुए यह विस्तृत टिप्पणी की। <br />
<br />
दरअसल उसने एक सामाजिक सच की ओर हमारा ध्यान खींचा है। घरेलू काम की कीमत न आंके जाने के कारण ही स्त्रियां उपेक्षित रही हैं। दरअसल हमारे पुरुष प्रधान समाज में हाउस वाइफ के कार्यों को दोयम दर्जे का समझा जाता है और यह माना जाता है कि यह सब तो उन्हें किसी भी हाल में करना ही है। <br />
<br />
लेकिन बदले में उन्हें अपेक्षित सम्मान और स्नेह तक नहीं मिलता। यह स्थिति उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ देती है। सचाई यह है कि परिवार और समाज की नींव महिलाओं के उन कार्यों पर टिकी है, जो कहीं दर्ज नहीं होते। ग्रामीण जीवन में तो महिलाओं के योगदान के बगैर कृषि कार्य संभव ही नहीं हैं। <br />
<br />
शहरों में भी स्थिति अलग नहीं है। हाल के वर्षों में शिक्षित औरतों के एक बड़े तबके ने रोजी-रोजगार के नए-नए क्षेत्रों में प्रवेश किया है लेकिन एक बड़ी संख्या उनकी भी है, जिन्होंने सोच-समझकर हाउस वाइफ रहना स्वीकार किया है ताकि वे घर-परिवार को पर्याप्त समय दे सकें और अपने बच्चों का भविष्य बना सकें। वे रोजमर्रा के जीवन को बेहतर बनाने के लिए जो योगदान दे रही हैं उसका महत्व किसी भी रूप में कम नहीं है। <br />
<br />
यह अलग बात है कि विभिन्न उत्पादक सेक्टरों की तरह उनके काम को आंकने का कोई ठोस पैमाना हमारे पास नहीं है। सबसे पहले तो मन को इसका पैमाना बनाना होगा। अगर हम मन से उनके योगदान को महत्व देना शुरू कर देंगे तो कई समस्याएं अपने आप सुलझ जाएंगी।Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-39927855541106585682010-07-25T13:32:00.000+05:302010-07-25T13:32:43.865+05:30सिंगापुर में बढ़ी हिंदी की लोकप्रियतासिंगापुर के शिक्षा मंत्री एन ई हेन ने कहा है कि देश में भाषा के रूप में हिंदी सीखने की ललक तेजी से बढ़ रही है।<br />
<br />
हिंदी सीखने वालों में से कुछ का मानना है कि इस भाषा को समझ कर वे बॉलीवुड संगीत का अधिक आनंद ले पाएँगे जबकि कुछ भारत के आर्थिक शक्ति के रूप में उदय के कारण इसे महत्वपूर्ण मानते हैं।<br />
<br />
हेन ने हिंदी केन्द्र दिवस को संबोधित करते हुए कहा कि यह निस्संदेह बॉलीवुड की बढ़ती लोकप्रियता का एक प्रमाण है। कुछ के लिए तो यह लोकप्रिय गाने समझने का जरिया है। इसके अलावा इसकी सांस्कृतिक भूमिका है।<br />
<br />
बहरहाल, कई लोग मानते हैं कि हिंदी एक आर्थिक संपदा है। खासकर भारत के उदय के कारण। हेन ने गैर हिंदी भाषी लोगों द्वारा समाज के लिए चलाए जा रहे हिंदी पाठ्यक्रमों तथा भाषा के प्रति बढ़ती रूचि की सराहना की।<br />
<br />
हेन ने आश्वासन दिया कि हिंदी के साथ साथ बंगाली, गुजराती, पंजाबी और उर्दू को भी तमिल की तरह मातृभाषा की श्रेणी में रखते हुए उन्हें सीखने के लिए प्रेरित किया जाएगा। सिंगापुर सरकार चार भाषाओं अंग्रेजी, मलय, चीनी और तमिल को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देती है।<br />
<br />
उन्होंने कहा कि मैं इस बात की ओर प्रसन्नता से ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि हिंदी समाज अपने समानांतर हिंदी कार्यक्रम के जरिये हमारे प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में हमारे छात्रों को हिंदी पढ़ने के लिए पर्याप्त अवसर देने के अपने प्रयासों में दिनोंदिन मजबूत हो रहा है।<br />
<br />
उन्होंने बताया कि चार और स्कूल इस साल हिंदी पढ़ाने वाले कार्यक्रम में शामिल हो गए, जिससे हिंदी कक्षाओं वाले स्कूलों की संख्या बढ़कर 53 हो गई है।<br />
<br />
मंत्री ने कहा कि सिंगापुर में सात हिंदी केंद्र चलाए जा रहे हैं। इन केंद्रों में नजदीक रहने वाले बच्चे हिंदी सीखते हैं।<br />
<br />
हेन ने कहा कि सिंगापुर में रहने के कारण हम भाग्यशाली हैं कि हमारा समाज बहु नस्ली एवं बहुसांस्कृतिक है। इसके कारण हमें ऐसे समुदायों का अनूठा लाभ मिला है जिनकी भाषाएं एवं संस्कृति दुनिया के प्रमुख विकास केन्द्रों से जुड़ी हैं।<br />
<br />
सिंगापुर सरकार बंगाली, गुजराती, हिंदी, पंजाबी की शिक्षा को सहयोग देती है जिसके लिए डेढ़ लाख सिंगापुर डॉलर की मदद दी जाती है। इन भाषाओं को 1990 के दशक से राष्ट्रीय विद्यालय परीक्षाओं में भी शामिल किया गया है। (भाषा) <br />
<br />
Resource: http://msnyuva.webdunia.com/news/headlines/1007/25/1100725007_1.htmPradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-81189077125777549472010-07-12T21:10:00.001+05:302010-07-12T21:10:04.523+05:30Leaders and PerspectivesLeaders evolve and in this journey one tends to gain a variety of perspectives. These perspectives should not remain forever and make the Leader adopt a one-style-fits-all approach<br />
<br />
Take a look at some of the iconic brands in the business of automobiles, electronics, wrist watches or running shoes. How did they stand the test of time and become “best from the rest”? While there could be many contributing reasons, the most significant factor is their capacity to re-invent themselves.<br />
<br />
Likewise, successful Leaders are those who have the uncanny ability to constantly re-invent themselves.<br />
<br />
We recently conducted a study on the transformation of Managers into effective Leaders. It was observed that the ability to change, alter or re-frame perspectives was the key to re-invention of a Leader. Let me dwell more on this rather intriguing subject – PERSPECTIVES. The dictionary defines Perspective as “a way of regarding situations<br />
<br />
or facts and judging their relative importance” and Thesaurus refers to it as “angle, attitude, broad view, outlook, frame of reference..."<br />
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Leaders evolve and in this journey one tends to gain a variety of perspectives. These perspectives should not remain forever and make the Leader adopt a one-style-fits-all approach. The challenge is to re-visit these perspectives depending on the context of your role, your organisation or maybe even the environment. Let me share a few instances that substantiate the importance of I know of a CEO who had this problem of “batch parity” when it comes to either hiring or promotion of talent. The CEO had spent over 20 years in a large MNC and taken over reins in a hi-growth Indian family owned organisation. He came from a school of thought that practiced batch parity and was deeply influenced by this outdated practice. In his new environment, the culture was different, it was all about performance and result orientation. The belief was that anyone who was “ready to take risks and deliver” was the right person. After undergoing many conflicts and confusion, the CEO realised that there was only one way – he had to shred his past learnings and think anew. He shifted his perspective – we need people who are ready to perform and that batches do not matter. A year later the same CEO further brought in a new dimension to the company’s talent development strategy. Until then the selection of entry level talent was from premier Institutes or B-Schools. The new CEO decided to seek talent from Tier-2 Institutes. His new perspective was that there is a lot of “hidden” talent in such institutes and that one should not be biased towards ivy-league schools.<br />
<br />
Another example from a Client organisation. A focus group study in a reputed MNC revealed that the organisation was not transparent on Compensation matters. It was kept “confidential” and hush-hush. There have been no dialogue or open forum discussions on compensation. The Managers found it as a lack of transparency and did not really buy-in to the philosophy of its intended pay-for-performance culture. The Leadership team decided to openly communicate the company’s compensation policies. In a video conference the Leadership team explained in detail its overall compensation strategy. In a subsequent employee satisfaction survey, this organisation was rated high on openness and transparency!<br />
<br />
I know of a CEO who regularly tours the marketplace and each time he came back with newer and fresher insights on its customers, competitors and competitors. Yet another Business Leader had this habit of taking out each of his team members for lunch every fortnight and he brought back loads of feedback on subjects ranging from product innovation to our workplaces are getting to be more and more global and diverse. Leaders need to open up and first develop “diversity in thought” as a starting point to address business, people and environment issues. Such efforts will become winning ways of winning leaders. I am reminded of the thousand year old story of the “Blindmen and the Elephant." Each man saw the elephant as something different, while each of them were right in parts, none was wholly right. There is never just one way to look at something – there are always different meanings, perceptions and The moments of truth on perspectives is best captured in the hoardings we see as we alight at the Indian airports these days “Be the change you want to see in the world “!Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-82586614798683868132010-07-01T19:20:00.000+05:302010-07-01T19:20:26.468+05:30ईर्ष्या का बोझएक बार एक गुरु ने अपने सभी शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बड़े-बड़े आलू साथ लेकर आएं। उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए, जिनसे वे ईर्ष्या करते हैं। जो शिष्य जितने व्यक्तियों से ईर्ष्या करता है, वह उतने आलू लेकर आए।<br />
<br />
अगले दिन सभी शिष्य आलू लेकर आए। किसी के पास चार आलू थे तो किसी के पास छह। गुरु ने कहा कि अगले सात दिनों तक ये आलू वे अपने साथ रखें। जहां भी जाएं, खाते-पीते, सोते-जागते, ये आलू सदैव साथ रहने चाहिए। शिष्यों को कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन वे क्या करते, गुरु का आदेश था। दो-चार दिनों के बाद ही शिष्य आलुओं की बदबू से परेशान हो गए। जैसे-तैसे उन्होंने सात दिन बिताए और गुरु के पास पहुंचे। गुरु ने कहा, 'यह सब मैंने आपको शिक्षा देने के लिए किया था।<br />
<br />
जब मात्र सात दिनों में आपको ये आलू बोझ लगने लगे, तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या करते हैं, उनका कितना बोझ आपके मन पर रहता होगा। यह ईर्ष्या आपके मन पर अनावश्यक बोझ डालती है, जिसके कारण आपके मन में भी बदबू भर जाती है, ठीक इन आलूओं की तरह। इसलिए अपने मन से गलत भावनाओं को निकाल दो, यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत तो मत करो। इससे आपका मन स्वच्छ और हल्का रहेगा।' यह सुनकर सभी शिष्यों ने आलुओं के साथ-साथ अपने मन से ईर्ष्या को भी निकाल फेंका।<br />
<br />
<b>संकलन: लखविन्दर सिंह</b>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7876363033871391138.post-26250786115130521872010-06-22T17:15:00.001+05:302010-06-22T17:44:05.480+05:30Save Plants<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://images.artistaday.com/thomasbarbey_67765675.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="315" src="http://images.artistaday.com/thomasbarbey_67765675.jpg" width="400" /></a></div>Pradeep Sharmahttp://www.blogger.com/profile/16599944266800316442noreply@blogger.com1