Sunday, July 25, 2010

सिंगापुर में बढ़ी हिंदी की लोकप्रियता

सिंगापुर के शिक्षा मंत्री एन ई हेन ने कहा है कि देश में भाषा के रूप में हिंदी सीखने की ललक तेजी से बढ़ रही है।

हिंदी सीखने वालों में से कुछ का मानना है कि इस भाषा को समझ कर वे बॉलीवुड संगीत का अधिक आनंद ले पाएँगे जबकि कुछ भारत के आर्थिक शक्ति के रूप में उदय के कारण इसे महत्वपूर्ण मानते हैं।

हेन ने हिंदी केन्द्र दिवस को संबोधित करते हुए कहा ‍कि यह निस्संदेह बॉलीवुड की बढ़ती लोकप्रियता का एक प्रमाण है। कुछ के लिए तो यह लोकप्रिय गाने समझने का जरिया है। इसके अलावा इसकी सांस्कृतिक भूमिका है।

बहरहाल, कई लोग मानते हैं कि हिंदी एक आर्थिक संपदा है। खासकर भारत के उदय के कारण। हेन ने गैर हिंदी भाषी लोगों द्वारा समाज के लिए चलाए जा रहे हिंदी पाठ्यक्रमों तथा भाषा के प्रति बढ़ती रूचि की सराहना की।

हेन ने आश्वासन दिया कि हिंदी के साथ साथ बंगाली, गुजराती, पंजाबी और उर्दू को भी तमिल की तरह मातृभाषा की श्रेणी में रखते हुए उन्हें सीखने के लिए प्रेरित किया जाएगा। सिंगापुर सरकार चार भाषाओं अंग्रेजी, मलय, चीनी और तमिल को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देती है।

उन्होंने कहा कि मैं इस बात की ओर प्रसन्नता से ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि हिंदी समाज अपने समानांतर हिंदी कार्यक्रम के जरिये हमारे प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में हमारे छात्रों को हिंदी पढ़ने के लिए पर्याप्त अवसर देने के अपने प्रयासों में दिनोंदिन मजबूत हो रहा है।

उन्होंने बताया कि चार और स्कूल इस साल हिंदी पढ़ाने वाले कार्यक्रम में शामिल हो गए, जिससे हिंदी कक्षाओं वाले स्कूलों की संख्या बढ़कर 53 हो गई है।

मंत्री ने कहा कि सिंगापुर में सात हिंदी केंद्र चलाए जा रहे हैं। इन केंद्रों में नजदीक रहने वाले बच्चे हिंदी सीखते हैं।

हेन ने कहा कि सिंगापुर में रहने के कारण हम भाग्यशाली हैं कि हमारा समाज बहु नस्ली एवं बहुसांस्कृतिक है। इसके कारण हमें ऐसे समुदायों का अनूठा लाभ मिला है जिनकी भाषाएं एवं संस्कृति दुनिया के प्रमुख विकास केन्द्रों से जुड़ी हैं।

सिंगापुर सरकार बंगाली, गुजराती, हिंदी, पंजाबी की शिक्षा को सहयोग देती है जिसके लिए डेढ़ लाख सिंगापुर डॉलर की मदद दी जाती है। इन भाषाओं को 1990 के दशक से राष्ट्रीय विद्यालय परीक्षाओं में भी शामिल किया गया है। (भाषा)

Resource: http://msnyuva.webdunia.com/news/headlines/1007/25/1100725007_1.htm

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