Monday, August 16, 2010

कैसे बचाएं आग से

घर में आग आमतौर पर तीन वजहों से लग सकती है - इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई, सिलिंडर और लापरवाही। अगर जागरुक रहा जाए तो हमारा घर हमेशा सेफ रह सकता है। इसकेलिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अपने घर और परिवार को कैसे बचाएं आग से, बता रहे हैं प्रशांत अस्थाना:

घर में रखें ध्यान

- घर में कम से कम एक फायर इक्स्टिंग्विशर जरूर रखें। यह किचन या किचन के आसपास हो, तो सबसे अच्छा है। फायर इक्स्टिंग्विशर पूरी तरह चार्ज होना चाहिए और आपके परिवार को उसका इस्तेमाल करना आना चाहिए।

- घर में कई फ्लोर हैं तो आप दूसरे फ्लोरों पर एक्स्ट्रा इक्स्टिंग्विशर को रख सकते हैं। गराज में भी एक इक्स्टिंग्विशर को रखा जा सकता है।

- घर के हर फ्लोर में कम से कम एक स्मोक डिटेक्टर तो होना ही चाहिए। इसका अलार्म आपके बेडरूम या उसके आसपास होना चाहिए, ताकि आपको आराम से यह सुनाई दे जाए।

- आग से बचने के लिए लगाए गए हर इंस्ट्रूमेंट को कुछ-कुछ दिनों में चेक करते रहें।

- घर में ऐश ट्रे हमेशा रखें और सिगरेट के बट को उसमें ही डालें। ऐश ट्रे मैटल के हों तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

- घर का जितना भी कूड़ा-करकट हो, उसे नियमित तौर पर साफ करते रहें।

- अगर घर में फॉल्टी इलेक्ट्रिकल उपकरण हों तो उन्हें तुरंत रिप्लेस या रिपेयर किया जाना चाहिए।

- स्विच और फ्यूज घर में इलेक्ट्रिक सर्किट के हिसाब से ही लगे हों। ध्यान रखें कि घर बनवाते समय किसी अनुभवी मकैनिक से ही वायरिंग कराएं।

- अगर घर में वेल्डिंग या इस तरह के दूसरे काम हो रहे हैं तो अतिरिक्त सावधानी बरतें।

- घर बनवाते वक्त या खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि इमरजेंसी डोर यानी एक्स्ट्रा डोर जरूर हों। आग लगने की कंडिशन में यह काफी काम के हो सकते हैं।

- माचिस, लाइटर और पटाखों को बच्चों से दूर रखें। पटाखों को ध्यान से जलाएं।

- कागज, कपड़े, जलने वाले लिक्विड को हीटर, स्टोव और खुले चूल्हों से दूर रखें। दरवाजों, सीढ़ियों और बाहर निकलने वाले रास्तों को हमेशा साफ रखें।

- गैस बर्नर को हमेशा किसी प्लैटफॉर्म पर रखें, फर्श पर नहीं।

कैसे यूज करें फायर इक्स्टिंग्विशर

1. सबसे पहले इक्स्टिंग्विशर की नेक पर लगी सेफ्टी पिन को हटाएं।

2. इसके बाद इक्स्टिंग्विशर को तिरछा करके ऊपर लगे वॉशर को झटके से दबाते हैं। इसके दबते ही गैस निकलने लगती है।

3. अगर वॉशर न दब रहा हो तो उसे तेजी से किसी दीवार पर भी मार सकते हैं।

4. जब गैस निकलने लगे तो इक्स्टिंग्विशर को तिरछा करके आग के सोर्स की तरफ ले जाएं। ध्यान रखें कि टारगेट आग की लपटों पर नहीं, उसके इनिशल पॉइंट पर होना चाहिए।

5. आम तौर पर यह फायर इक्स्टिंग्विशर बाजार में 1,200 रुपये में मिल जाते हैं। साइज के हिसाब से इक्स्टिंग्विशर के रेट भी बढ़ते जाते हैं। इनकी रेंज 4,000 रुपये तक होती है।

6. फायर इक्स्टिंग्विशर दिल्ली के सभी प्रमुख बाजारों में मिलता है। अच्छी क्वॉलिटी और ज्यादा वरायटी के लिए पुरानी दिल्ली के आजाद मार्केट, ईस्ट ऑफ कैलाश के रमेश मार्केट और आनंद पर्वत इंडस्ट्रियल एरिया जा सकते हैं।

शॉर्ट सर्किट पर फुल कंट्रोल

बिजली की वजह से होने वाले आग के हादसों में 60 पर्सेंट मामले शॉर्ट सर्किट, ओवरहीटिंग, ओवरलोडिंग, खराब स्टैंडर्ड के उपकरण, बिजली के तारों को गलत तरह से जोड़ने और लापरवाही की वजह से होते हैं। बिजली से जुड़ी आग काफी खतरनाक होती है और इसे संभालना भी काफी मुश्किल होता है। इसलिए किसी भी तरह की आग लगने पर पावर सप्लाई को स्विच ऑफ किया जाना बहुत जरूरी है। ऐसी आग को रोकने के लिए  
इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:

- हमेशा आईएसआई सर्टिफाइड उपकरण ही इस्तेमाल करें।

- अच्छी क्वॉलिटी के फ्यूज को ही घर में लगाएं।

- जिस जगह आग लगी हो, वहां इलेक्ट्रिक सप्लाई स्विच ऑफ कर दें।

- घर के टूटे हुए प्लगों और स्विचों को बदल दें।

- गर्म और गीली सतहों पर बिजली के तारों को न पड़ने दें।

- अगर घर से बाहर जा रहे हैं तो मेन स्विच ऑफ करना न भूलें।

- इलेक्ट्रिक आउटलेट्स को उतने ही लोड के हिसाब से फिट कराएं, जितनी जरूरत हो। अगर आउटलेट्स ओवरलोडेड होंगे तो आग का खतरा बढ़ जाएगा।

- जितने भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हों, उनके तारों को कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर चेक करते रहना चाहिए।

- एक सॉकेट में एक ही उपकरण को कनेक्ट करें। मल्टी प्लग की मदद से कई उपकरणों को जोड़ देने से ओवरलोडिंग का खतरा बढ़ जाता है।

ताकि एलपीजी में न लगे आग

- सिलिंडर में नायलॉन के धागे से बंधी सेफ्टी कैप होती है। जब भी सिलिंडर बर्नर से कनेक्ट न हो, उस पर कैप लगा कर रखें।

- आजकल नया ट्रेंड चल रहा है सिलिंडर को ओपन एरिया में रखने का। इसके लिए सिलिंडर को छत, बालकनी या आंगन में रख सकते हैं। ट्यूब को कनेक्ट करते हैं किचन में रखे गैस बर्नर से।

- सिलिंडर और बर्नर को कनेक्ट करने वाले ट्यूब को हर साल बदलना चाहिए।

- इसके अलावा हर छह महीने में गैस कंपनी के प्रतिनिधि को बुलाकर पूरे कनेक्शन की जांच करानी चाहिए।

- रात में सोने से पहले बर्नर और रेग्युलेटर को ऑफ कर देना चाहिए।

- सुबह किचन में घुसते ही बिजली का कोई स्विच न दबाएं। सबसे पहले चेक करें कि गैस लीक तो नहीं हो रही।

- एलपीजी की बदबू आ रही हो तो सिलिंडर से रेग्युलेटर निकाल दें और सिलिंडर का ढक्कन बंद कर उसे खुले में रख दें। किचन के खिड़की-दरवाजे खोल दें ताकि गैस बाहर निकल जाए।

- अगर लाइटर की जगह माचिस का इस्तेमाल करते हैं तो पहले माचिस की तीली को जलाएं और उसके बाद ही बर्नर की नॉब खोलें।

- सिलिंडर को कभी भी बंद कंपार्टमेंट में न रखें। कोशिश करें कि खाना बनाने वक्त कॉटन के कपड़े पहने हों।

- सिलिंडर को हमेशा सीधा ही रखें।

- सिलिंडर से अगर गैस नहीं निकल रही है तो खुद ही रिपेयर करने न बैठ जाएं। गैस एजेंसी के डिस्ट्रिब्यूटर से किसी मकैनिक को भेजने को कहें।

- एलपीजी सिलिंडर से जुड़ी किसी परेशानी के लिए आप इस टोल फ्री हेल्पलाइन 1800 233 3555 पर भी कॉल कर सकते हैं। यह हेल्पलाइन चौबीसों घंटे सातों दिन चालू रहती है।

- अगर लग रहा है कि सिलिंडर में लीकेज है तो कभी भी माचिस जलाकर चेक न करें। साथ ही बिजली के किसी स्विच को हाथ न लगाएं। अगर गैस एजेंसी का कर्मचारी माचिस जलाकर गैस लीकेज चेक करना चाहता है तो उसे भी इसके लिए मना करें।

अगर जल जाएं तो

- अगर हल्का झुलस गए हैं तो जले हुए हिस्से को पानी की धार के नीचे रखें। आप उस हिस्से को पानी में डुबो कर रख सकते हैं। लेकिन पानी से संपर्क 10 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जले हुए हिस्से को पानी में ज्यादा देर तक रखने से भी नुकसान हो सकता है। पानी से निकालने के बाद झुलसे हुए हिस्से को साफ कपड़े से पोंछ दें।

- जले हिस्से पर बर्फ भी लगा सकते हैं। हालांकि ज्यादा देर तक बर्फ रख देने से शरीर को नुकसान हो सकता है। ज्यादा देर तक बर्फ के संपर्क में रहने से बॉडी के उस हिस्से का तापमान बेहद कम हो जाता है और इस वजह से दूसरी परेशानियां भी हो सकती है। झुलसे हुए हिस्से पर जो पानी डाल रहे हैं वह भी नॉर्मल ही होना चाहिए, ठंडा नहीं।

- सबसे बेहतर रहता है कि जल गए शख्स को तुरंत हॉस्पिटल ले जाएं। डॉक्टर ही यह बता सकता है कि जलने की वजह से बॉडी को कितना नुकसान हुआ है।

- अगर कपड़ों में आग लगी हुई है तो इधर-उधर मत भागें। ऐसा करने से बॉडी में ऑक्सिजन लगती है जिससे आग तेज हो सकती है। सबसे बेहतर रहेगा कि जमीन पर लेट जाएं और शरीर को जमीन पर रोल करें, इससे आग बुझ जाएगी।

- बिजली के अलावा किसी दूसरी तरह से जले हैं तो कपड़ों और शरीर पर पानी डाल सकते हैं। ध्यान रहे कि बिजली से जुड़ी आग में कभी भी पानी न डालें। ऐसी आग को रेत डालकर बुझाना चाहिए।

- आग लगने के बाद जले हुए कपड़ों को फौरन शरीर से अलग कर दें। कोशिश करें कि कपड़ों को काटकर अलग करें। कभी-कभी कुछ मटीरियल हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं और उतारते वक्त जल चुकी स्किन का उसमें चिपक जाने का खतरा रहता है।

- ज्यादा जल चुके पेशंट के शरीर पर कोई क्रीम न लगाएं क्योंकि डॉक्टर को किसी भी तरह के ट्रीटमेंट के लिए साफ शरीर चाहिए होता है। अगर क्रीम लगी है तो पहले वह हटानी होती है जिससे पेशंट को काफी दर्द हो सकता है।

- अगर कोई शख्स ज्यादा जल गया है तो घबराएं नहीं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जल चुके शख्स को आम तौर पर 30-45 मिनट तक ज्यादा नुकसान नहीं होता। इसलिए बिना किसी हड़बड़ाहट के उसे हॉस्पिटल ले जाएं।

- जल चुके शख्स को 24 घंटे तक कुछ खाने के लिए न दें। शरीर में पानी कम हो जाने और आंतों में खून की सप्लाई कम होने से उलटी होने का खतरा रहता है।

हॉस्पिटलों के बर्न्स वॉर्ड

- राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल (आरएमएल), 011 - 2340 43 19, 2340 44 16

- लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल (एलएनजेपी), 011- 2323 24 00, 2323 34 00 (एक्सटेंशन - 4337)

- सफदरजंग हॉस्पिटल, 011- 2670 74 60 (बर्न्स आईसीयू), 2670 74 51 (बर्न्स कैजुअल्टी)

- गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल (जीटीबी), 011- 2258 62 62 (एक्सटेंशन - 2143, 2143)

- दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल (डीडीयू), 011- 2549 44 04 (एक्सटेंशन - 321)

आग लगने पर करें कॉल

- अगर आपके घर, मोहल्ले या किसी भी जगह आग लगी है तो तुरंत 101 पर कॉल करें।

- 101 पर कॉल करने पर फायर डिपार्टमेंट का ऑपरेटर आपसे आपका नाम, टेलिफोन नंबर, पूरा पता, आग लगने वाली जगह के पास का कोई लैंडमार्क और आग की कंडिशन की बारे में पूछेगा।

- इसके बाद 20-30 मिनट में (दूरी के हिसाब से) फायर ब्रिगेड की गाड़ियां हादसे वाली जगह तक पहुंच जाती हैं।

- 101 पर की गई कॉल पूरी तरह मुफ्त होती है। अगर पीसीओ का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वहां भी इस कॉल के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा।

- आग से जुड़ी खबर देने के लिए आप दिल्ली पुलिस की पीसीआर वैन को 100 पर भी कॉल कर सकते हैं।

फायर ब्रिगेड को दें जगह

- आप रोड पर चल रहे हैं तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को आगे निकलने का रास्ता दें। ऐसा करने से आप कई जिंदगियों को मौत के मुंह में जाने से बचा सकते हैं।

- अगर आपके घर या मोहल्ले में फायरमैन हैं तो उन्हें फायर कंट्रोल रूम में बात करने के लिए अपना फोन इस्तेमाल करने को दें।

- जिस घर या बिल्डिंग में आग लगी है, उसके आसपास गाड़ियों को खड़ा न करें। अगर पहले से वहां गाड़ियां हैं तो उन्हें हटाने की कोशिश करें।

- फायरमैन को बताएं कि आसपास पानी का सोर्स कहां है। आप उन्हें ट्यूबवेल, तालाब या पानी की टंकियों के बारे में बता सकते हैं।

कैसे लें फायर रिपोर्ट

अगर आपने आग लगने की रिपोर्ट फायर डिपार्टमेंट को की है तो उसकी रिपोर्ट आप डिपार्टमेंट के ऑफिस आकर ले सकते हैं। ये रिपोर्ट दिल्ली फायर सर्विस की वेबसाइट से भी डाउनलोड की जा सकती हैं।

दिल्ली फायर सविर्स की वेबसाइट है : www.dfs.delhigovt.nic.in

- इस वेबसाइट पर आग से बचने के लिए बरती जानी वाली सावधानियों को भी पढ़ सकते हैं। इसके अलावा साइट पर आप अपने नजदीकी फायर स्टेशन का फोन नंबर और पता भी देख सकते हैं। दिल्ली में 51 फायर सर्विस स्टेशन हैं।

- किसी तरह की कोई परेशानी होने पर आप इन अधिकारियों से बात कर सकते हैं।

डिविजनल ऑफिसर (फायर प्रिवेंशन), 011- 2341 39 91

चीफ फायर ऑफिसर-1, 011-2341 42 50

चीफ फायर ऑफिसर-2, 2341 43 33

डायरेक्टर, 011- 2341 40 00

- इन फोन नंबरों पर सोमवार से शनिवार सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक बात की जा सकती है।

दिल्ली फायर सर्विस की वेबसाइट

http://www.delhi.gov.in/wps/wcm/connect/DOIT_FIRE/fire/home/

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