Sunday, August 22, 2010

Phone Directories: Faridabad

बिजली शिकायत केंद्र:
1912, 0129-2440351, 2440352

अस्पताल:
बीके अस्पताल: 9219155102
फोर्टिस अस्पताल: 9717010101
सेंट्रल अस्पताल: 4090300
ब्लड बैंक नंबर: 0129-2411881

पुलिस कण्ट्रोल रूम:
100, 9999150000
विमैन हेप्लाइन: 9873737100

इन्क्वारी:
हरियाणा रोडवेज: 0129-2241464
डीटीसी: 011-23968836
रेलवे इन्क्वारी: 135,0129-2433506
पुलिस कमीशनर  कार्यालय: 0129-2438000, 2438004
हुडा कार्यालय: 0129-2227676
डीटीसी कार्यालय: 0129-2227935

फायर ब्रिगेड:
Sec-15: 0129-2284444
N.I.T.:  0129-2412666
BLB: 0129-2309744
Sec-31: 0129-2275886

प्लास्टिक बैग: ग्राहक नहीं जिम्मेदार

परमानंद पांडे हलवाई की दुकान से नमकीन खरीदकर घर पहुंचे। प्लास्टिक बैग से नमकीन निकालकर खाई, तो देखा कि प्लास्टिक बैग का रंग नमकीन पर आ गया है। हलवाई के पास पहुंचे, तो उसने कहा कि हम तो रोज ऐसे ही बेचते हैं। किसी और ने तो आज तक शिकायत नहीं की। इसे खा लो, कुछ नहीं होगा।

ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। दरअसल, प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर समाज में जागरूकता न होने की वजह से इसका इस्तेमाल हमारी जिंदगी में बढ़ता जा रहा है। यह सस्ती, आसान व आसानी से मिलने वाली तो है, लेकिन पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक भी है। आज हमारे कूड़े का बड़ा हिस्सा प्लास्टिक कचरे के रूप में होता है। इसे अगर दूसरे कूड़े से अलग न किया जाए तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं।

कुछ समय पहले दिल्ली सरकार ने प्लास्टिक बैग के दिल्ली में इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसे लेकर आम जनता में असमंजस बना हुआ है। प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल को लेकर क्या हैं नियम, अधिकार और जिम्मेदारी, आइए जानते हैं :

नियम क्या हैं
दिल्ली में कोई भी व्यापारिक प्रतिष्ठान कस्टमर को प्लास्टिक के कैरी बैग में सामान डालकर नहीं दे सकता।

प्लास्टिक बैग बेचना, स्टोर करना और दुकानों द्वारा उन्हें इस्तेमाल में लाना मना है।

अगर कस्टमर को दुकान से निकलते वक्त प्लास्टिक कैरी बैग इस्तेमाल के लिए कोई अथॉरिटी रोकती है, तो इसे कस्टमर नहीं, बल्कि दुकानदार की गलती माना जाएगा।

सरकार को विज्ञापनों व दूसरे प्रचार माध्यमों से जनता को जागरूक बनाना चाहिए, जिससे लोग प्लास्टिक के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को जानकर उनके विकल्पों को अपना सकें।

सरकार को प्लास्टिक बैग की बजाय कागज, जूट व ऐसी ही दूसरी चीजों से बने बैग्स को प्रोत्साहित करना चाहिए।

आपकी जिम्मेदारी और अधिकार
आम नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह प्लास्टिक के कैरी बैग को रिजेक्ट करे और जूट व कपड़े के बैग का इस्तेमाल करे।

आप अपने घर में उपलब्ध पुराने प्लास्टिक कैरी बैग को सामान लाने-ले जाने में इस्तेमाल कर सकते हैं।

रंगीन प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल कभी न करें। इसमें मेटलिक ऐडिटिव्स होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं।

प्राकृतिक रूप से गलने वाले कूड़े को अलग रखें और प्लास्टिक के कचरे या बैग इत्यादि को अलग।

अगर आपके घर के पास कोई प्लास्टिक रीसाइक्लिंग फैक्ट्री चल रही है तो आप अपने एरिया के एसडीएम या दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी को लिखित रूप में शिकायत कर सकते हैं। इसे तुरंत बंद कराना उनकी जिम्मेदारी है।

ये भी जानें

प्लास्टिक को कभी खत्म (नष्ट) नहीं किया जा सकता।

दिल्ली में अधिकृत रीसाइक्लिंग फैक्ट्रियों की तुलना में कई गुना ज्यादा फैक्ट्रियां अवैध रूप से चल रही हैं। नियम यह है कि प्लास्टिक प्रॉडक्ट्स के निर्माता दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी में रजिस्ट्रेशन कराए बिना फैक्ट्री नहीं चला सकते।

प्लास्टिक शहर की सुंदरता को खराब करेती है। नालों व सीवर को जाम कर देती है। अगर यह प्लास्टिक कूड़े में मिली हो तो इसे जलाए जाने पर जहरीली गैस निकलती हैं। यह प्लास्टिक कूड़े की प्रोसेसिंग को भी प्रभावित करती है।

आमतौर पर फल-सब्जी या परचून दुकानदारों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे प्लास्टिक बैग तय स्टैंडर्ड के मुताबिक नहीं होते।

क्या होगी सजा
प्लास्टिक के कैरी बैग को बेचने, स्टोर करने या उसमें सामान डालकर कस्टमर को देने पर एक लाख रुपए का जुर्माना व पांच साल की सजा हो सकती है।

हेल्पलाइन
अगर आपको रेजिडेंशल एरिया में कोई प्लास्टिक रीसाइक्लिंग फैक्ट्री नजर आए या कोई दुकानदार किसी भी तरह के प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल कर रहा हो तो आप अपने एरिया के एसडीएम, राशन दफ्तर के एफएसओ, एमसीडी या एनडीएमसी के स्वास्थ्य अधिकारी, खाद्य अपमिश्रण विभाग के इंस्पेक्टर आदि को सूचित कर सकते हैं। आपकी शिकायत पर कार्रवाई करना उनकी जिम्मेदारी है।

आप दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी को सीधे लिख सकते हैं। ऐसी चीजों को रोकना इसी विभाग की जिम्मेदारी है। आप कमिटी के चेयरमैन या मेंबर सेक्रेटरी को इस पते पर लिख सकते हैं :

दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी, चौथी मंजिल, आईएसबीटी बिल्डिंग, कश्मीरी गेट, दिल्ली-110006

फोन : 011-23869389, 23860389
फैक्स : 011- 23392034, 23866781

दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग को भी लिख सकते हैं।

पता है :
डिप्टी सेक्रेटरी (एनवायरनमेंट), कमरा नंबर सी-604, छठी मंजिल, सी-विंग, दिल्ली सचिवालय, आईपी एस्टेट, नई दिल्ली- 110002, फोन : 011-23392028

दिल्ली सरकार की 'आपकी सुनवाई' शिकायत व्यवस्था में 155345 पर फोन करके या इंटरनेट से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

Monday, August 16, 2010

कैसे बचाएं आग से

घर में आग आमतौर पर तीन वजहों से लग सकती है - इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई, सिलिंडर और लापरवाही। अगर जागरुक रहा जाए तो हमारा घर हमेशा सेफ रह सकता है। इसकेलिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अपने घर और परिवार को कैसे बचाएं आग से, बता रहे हैं प्रशांत अस्थाना:

घर में रखें ध्यान

- घर में कम से कम एक फायर इक्स्टिंग्विशर जरूर रखें। यह किचन या किचन के आसपास हो, तो सबसे अच्छा है। फायर इक्स्टिंग्विशर पूरी तरह चार्ज होना चाहिए और आपके परिवार को उसका इस्तेमाल करना आना चाहिए।

- घर में कई फ्लोर हैं तो आप दूसरे फ्लोरों पर एक्स्ट्रा इक्स्टिंग्विशर को रख सकते हैं। गराज में भी एक इक्स्टिंग्विशर को रखा जा सकता है।

- घर के हर फ्लोर में कम से कम एक स्मोक डिटेक्टर तो होना ही चाहिए। इसका अलार्म आपके बेडरूम या उसके आसपास होना चाहिए, ताकि आपको आराम से यह सुनाई दे जाए।

- आग से बचने के लिए लगाए गए हर इंस्ट्रूमेंट को कुछ-कुछ दिनों में चेक करते रहें।

- घर में ऐश ट्रे हमेशा रखें और सिगरेट के बट को उसमें ही डालें। ऐश ट्रे मैटल के हों तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

- घर का जितना भी कूड़ा-करकट हो, उसे नियमित तौर पर साफ करते रहें।

- अगर घर में फॉल्टी इलेक्ट्रिकल उपकरण हों तो उन्हें तुरंत रिप्लेस या रिपेयर किया जाना चाहिए।

- स्विच और फ्यूज घर में इलेक्ट्रिक सर्किट के हिसाब से ही लगे हों। ध्यान रखें कि घर बनवाते समय किसी अनुभवी मकैनिक से ही वायरिंग कराएं।

- अगर घर में वेल्डिंग या इस तरह के दूसरे काम हो रहे हैं तो अतिरिक्त सावधानी बरतें।

- घर बनवाते वक्त या खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि इमरजेंसी डोर यानी एक्स्ट्रा डोर जरूर हों। आग लगने की कंडिशन में यह काफी काम के हो सकते हैं।

- माचिस, लाइटर और पटाखों को बच्चों से दूर रखें। पटाखों को ध्यान से जलाएं।

- कागज, कपड़े, जलने वाले लिक्विड को हीटर, स्टोव और खुले चूल्हों से दूर रखें। दरवाजों, सीढ़ियों और बाहर निकलने वाले रास्तों को हमेशा साफ रखें।

- गैस बर्नर को हमेशा किसी प्लैटफॉर्म पर रखें, फर्श पर नहीं।

कैसे यूज करें फायर इक्स्टिंग्विशर

1. सबसे पहले इक्स्टिंग्विशर की नेक पर लगी सेफ्टी पिन को हटाएं।

2. इसके बाद इक्स्टिंग्विशर को तिरछा करके ऊपर लगे वॉशर को झटके से दबाते हैं। इसके दबते ही गैस निकलने लगती है।

3. अगर वॉशर न दब रहा हो तो उसे तेजी से किसी दीवार पर भी मार सकते हैं।

4. जब गैस निकलने लगे तो इक्स्टिंग्विशर को तिरछा करके आग के सोर्स की तरफ ले जाएं। ध्यान रखें कि टारगेट आग की लपटों पर नहीं, उसके इनिशल पॉइंट पर होना चाहिए।

5. आम तौर पर यह फायर इक्स्टिंग्विशर बाजार में 1,200 रुपये में मिल जाते हैं। साइज के हिसाब से इक्स्टिंग्विशर के रेट भी बढ़ते जाते हैं। इनकी रेंज 4,000 रुपये तक होती है।

6. फायर इक्स्टिंग्विशर दिल्ली के सभी प्रमुख बाजारों में मिलता है। अच्छी क्वॉलिटी और ज्यादा वरायटी के लिए पुरानी दिल्ली के आजाद मार्केट, ईस्ट ऑफ कैलाश के रमेश मार्केट और आनंद पर्वत इंडस्ट्रियल एरिया जा सकते हैं।

शॉर्ट सर्किट पर फुल कंट्रोल

बिजली की वजह से होने वाले आग के हादसों में 60 पर्सेंट मामले शॉर्ट सर्किट, ओवरहीटिंग, ओवरलोडिंग, खराब स्टैंडर्ड के उपकरण, बिजली के तारों को गलत तरह से जोड़ने और लापरवाही की वजह से होते हैं। बिजली से जुड़ी आग काफी खतरनाक होती है और इसे संभालना भी काफी मुश्किल होता है। इसलिए किसी भी तरह की आग लगने पर पावर सप्लाई को स्विच ऑफ किया जाना बहुत जरूरी है। ऐसी आग को रोकने के लिए  
इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:

- हमेशा आईएसआई सर्टिफाइड उपकरण ही इस्तेमाल करें।

- अच्छी क्वॉलिटी के फ्यूज को ही घर में लगाएं।

- जिस जगह आग लगी हो, वहां इलेक्ट्रिक सप्लाई स्विच ऑफ कर दें।

- घर के टूटे हुए प्लगों और स्विचों को बदल दें।

- गर्म और गीली सतहों पर बिजली के तारों को न पड़ने दें।

- अगर घर से बाहर जा रहे हैं तो मेन स्विच ऑफ करना न भूलें।

- इलेक्ट्रिक आउटलेट्स को उतने ही लोड के हिसाब से फिट कराएं, जितनी जरूरत हो। अगर आउटलेट्स ओवरलोडेड होंगे तो आग का खतरा बढ़ जाएगा।

- जितने भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हों, उनके तारों को कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर चेक करते रहना चाहिए।

- एक सॉकेट में एक ही उपकरण को कनेक्ट करें। मल्टी प्लग की मदद से कई उपकरणों को जोड़ देने से ओवरलोडिंग का खतरा बढ़ जाता है।

ताकि एलपीजी में न लगे आग

- सिलिंडर में नायलॉन के धागे से बंधी सेफ्टी कैप होती है। जब भी सिलिंडर बर्नर से कनेक्ट न हो, उस पर कैप लगा कर रखें।

- आजकल नया ट्रेंड चल रहा है सिलिंडर को ओपन एरिया में रखने का। इसके लिए सिलिंडर को छत, बालकनी या आंगन में रख सकते हैं। ट्यूब को कनेक्ट करते हैं किचन में रखे गैस बर्नर से।

- सिलिंडर और बर्नर को कनेक्ट करने वाले ट्यूब को हर साल बदलना चाहिए।

- इसके अलावा हर छह महीने में गैस कंपनी के प्रतिनिधि को बुलाकर पूरे कनेक्शन की जांच करानी चाहिए।

- रात में सोने से पहले बर्नर और रेग्युलेटर को ऑफ कर देना चाहिए।

- सुबह किचन में घुसते ही बिजली का कोई स्विच न दबाएं। सबसे पहले चेक करें कि गैस लीक तो नहीं हो रही।

- एलपीजी की बदबू आ रही हो तो सिलिंडर से रेग्युलेटर निकाल दें और सिलिंडर का ढक्कन बंद कर उसे खुले में रख दें। किचन के खिड़की-दरवाजे खोल दें ताकि गैस बाहर निकल जाए।

- अगर लाइटर की जगह माचिस का इस्तेमाल करते हैं तो पहले माचिस की तीली को जलाएं और उसके बाद ही बर्नर की नॉब खोलें।

- सिलिंडर को कभी भी बंद कंपार्टमेंट में न रखें। कोशिश करें कि खाना बनाने वक्त कॉटन के कपड़े पहने हों।

- सिलिंडर को हमेशा सीधा ही रखें।

- सिलिंडर से अगर गैस नहीं निकल रही है तो खुद ही रिपेयर करने न बैठ जाएं। गैस एजेंसी के डिस्ट्रिब्यूटर से किसी मकैनिक को भेजने को कहें।

- एलपीजी सिलिंडर से जुड़ी किसी परेशानी के लिए आप इस टोल फ्री हेल्पलाइन 1800 233 3555 पर भी कॉल कर सकते हैं। यह हेल्पलाइन चौबीसों घंटे सातों दिन चालू रहती है।

- अगर लग रहा है कि सिलिंडर में लीकेज है तो कभी भी माचिस जलाकर चेक न करें। साथ ही बिजली के किसी स्विच को हाथ न लगाएं। अगर गैस एजेंसी का कर्मचारी माचिस जलाकर गैस लीकेज चेक करना चाहता है तो उसे भी इसके लिए मना करें।

अगर जल जाएं तो

- अगर हल्का झुलस गए हैं तो जले हुए हिस्से को पानी की धार के नीचे रखें। आप उस हिस्से को पानी में डुबो कर रख सकते हैं। लेकिन पानी से संपर्क 10 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जले हुए हिस्से को पानी में ज्यादा देर तक रखने से भी नुकसान हो सकता है। पानी से निकालने के बाद झुलसे हुए हिस्से को साफ कपड़े से पोंछ दें।

- जले हिस्से पर बर्फ भी लगा सकते हैं। हालांकि ज्यादा देर तक बर्फ रख देने से शरीर को नुकसान हो सकता है। ज्यादा देर तक बर्फ के संपर्क में रहने से बॉडी के उस हिस्से का तापमान बेहद कम हो जाता है और इस वजह से दूसरी परेशानियां भी हो सकती है। झुलसे हुए हिस्से पर जो पानी डाल रहे हैं वह भी नॉर्मल ही होना चाहिए, ठंडा नहीं।

- सबसे बेहतर रहता है कि जल गए शख्स को तुरंत हॉस्पिटल ले जाएं। डॉक्टर ही यह बता सकता है कि जलने की वजह से बॉडी को कितना नुकसान हुआ है।

- अगर कपड़ों में आग लगी हुई है तो इधर-उधर मत भागें। ऐसा करने से बॉडी में ऑक्सिजन लगती है जिससे आग तेज हो सकती है। सबसे बेहतर रहेगा कि जमीन पर लेट जाएं और शरीर को जमीन पर रोल करें, इससे आग बुझ जाएगी।

- बिजली के अलावा किसी दूसरी तरह से जले हैं तो कपड़ों और शरीर पर पानी डाल सकते हैं। ध्यान रहे कि बिजली से जुड़ी आग में कभी भी पानी न डालें। ऐसी आग को रेत डालकर बुझाना चाहिए।

- आग लगने के बाद जले हुए कपड़ों को फौरन शरीर से अलग कर दें। कोशिश करें कि कपड़ों को काटकर अलग करें। कभी-कभी कुछ मटीरियल हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं और उतारते वक्त जल चुकी स्किन का उसमें चिपक जाने का खतरा रहता है।

- ज्यादा जल चुके पेशंट के शरीर पर कोई क्रीम न लगाएं क्योंकि डॉक्टर को किसी भी तरह के ट्रीटमेंट के लिए साफ शरीर चाहिए होता है। अगर क्रीम लगी है तो पहले वह हटानी होती है जिससे पेशंट को काफी दर्द हो सकता है।

- अगर कोई शख्स ज्यादा जल गया है तो घबराएं नहीं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जल चुके शख्स को आम तौर पर 30-45 मिनट तक ज्यादा नुकसान नहीं होता। इसलिए बिना किसी हड़बड़ाहट के उसे हॉस्पिटल ले जाएं।

- जल चुके शख्स को 24 घंटे तक कुछ खाने के लिए न दें। शरीर में पानी कम हो जाने और आंतों में खून की सप्लाई कम होने से उलटी होने का खतरा रहता है।

हॉस्पिटलों के बर्न्स वॉर्ड

- राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल (आरएमएल), 011 - 2340 43 19, 2340 44 16

- लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल (एलएनजेपी), 011- 2323 24 00, 2323 34 00 (एक्सटेंशन - 4337)

- सफदरजंग हॉस्पिटल, 011- 2670 74 60 (बर्न्स आईसीयू), 2670 74 51 (बर्न्स कैजुअल्टी)

- गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल (जीटीबी), 011- 2258 62 62 (एक्सटेंशन - 2143, 2143)

- दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल (डीडीयू), 011- 2549 44 04 (एक्सटेंशन - 321)

आग लगने पर करें कॉल

- अगर आपके घर, मोहल्ले या किसी भी जगह आग लगी है तो तुरंत 101 पर कॉल करें।

- 101 पर कॉल करने पर फायर डिपार्टमेंट का ऑपरेटर आपसे आपका नाम, टेलिफोन नंबर, पूरा पता, आग लगने वाली जगह के पास का कोई लैंडमार्क और आग की कंडिशन की बारे में पूछेगा।

- इसके बाद 20-30 मिनट में (दूरी के हिसाब से) फायर ब्रिगेड की गाड़ियां हादसे वाली जगह तक पहुंच जाती हैं।

- 101 पर की गई कॉल पूरी तरह मुफ्त होती है। अगर पीसीओ का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वहां भी इस कॉल के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा।

- आग से जुड़ी खबर देने के लिए आप दिल्ली पुलिस की पीसीआर वैन को 100 पर भी कॉल कर सकते हैं।

फायर ब्रिगेड को दें जगह

- आप रोड पर चल रहे हैं तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को आगे निकलने का रास्ता दें। ऐसा करने से आप कई जिंदगियों को मौत के मुंह में जाने से बचा सकते हैं।

- अगर आपके घर या मोहल्ले में फायरमैन हैं तो उन्हें फायर कंट्रोल रूम में बात करने के लिए अपना फोन इस्तेमाल करने को दें।

- जिस घर या बिल्डिंग में आग लगी है, उसके आसपास गाड़ियों को खड़ा न करें। अगर पहले से वहां गाड़ियां हैं तो उन्हें हटाने की कोशिश करें।

- फायरमैन को बताएं कि आसपास पानी का सोर्स कहां है। आप उन्हें ट्यूबवेल, तालाब या पानी की टंकियों के बारे में बता सकते हैं।

कैसे लें फायर रिपोर्ट

अगर आपने आग लगने की रिपोर्ट फायर डिपार्टमेंट को की है तो उसकी रिपोर्ट आप डिपार्टमेंट के ऑफिस आकर ले सकते हैं। ये रिपोर्ट दिल्ली फायर सर्विस की वेबसाइट से भी डाउनलोड की जा सकती हैं।

दिल्ली फायर सविर्स की वेबसाइट है : www.dfs.delhigovt.nic.in

- इस वेबसाइट पर आग से बचने के लिए बरती जानी वाली सावधानियों को भी पढ़ सकते हैं। इसके अलावा साइट पर आप अपने नजदीकी फायर स्टेशन का फोन नंबर और पता भी देख सकते हैं। दिल्ली में 51 फायर सर्विस स्टेशन हैं।

- किसी तरह की कोई परेशानी होने पर आप इन अधिकारियों से बात कर सकते हैं।

डिविजनल ऑफिसर (फायर प्रिवेंशन), 011- 2341 39 91

चीफ फायर ऑफिसर-1, 011-2341 42 50

चीफ फायर ऑफिसर-2, 2341 43 33

डायरेक्टर, 011- 2341 40 00

- इन फोन नंबरों पर सोमवार से शनिवार सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक बात की जा सकती है।

दिल्ली फायर सर्विस की वेबसाइट

http://www.delhi.gov.in/wps/wcm/connect/DOIT_FIRE/fire/home/

Free Subscription

For Dictionary :     DIC 9XXXXXXXXX NAME GENDER
For Blood Group: BLOOG_GROUP 9XXXXXXXXX NAME GENDER
For Combo:          AC 9XXXXXXXXX NAME GENDER
To Know More About Service
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Saturday, August 14, 2010

झंडा फहरा कर ही अन्न ग्रहण करते थे लोग

आजादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 और उसके बाद लगभग डेढ़ दशक तक लाल किले के आसपास स्वतंत्रता का समारोह एक मेले में तब्दील हो जाता था। उन दिनों लाल किले पर यह आयोजन देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती थी। लोग प्रधानमंत्री के भाषण को बेहद गंभीरता से सुनते और उस पर अमल करने की कोशिश करते थे।

उन्हें इस बात की चिंता रहती थी कि कहीं प्रधानमंत्री का भाषण छूट न जाए। लोग समय से पहले ही वहां पहुंच जाते थे। उन दिनों आज जैसी बसों और ट्रेनों की सुविधा नहीं थी। 50-60 किलोमीटर दूर रहने वाले बहुत से लोग साइकलों से लाल किले तक चले आते थे। उनकी साइकलें दरियागंज चौक पर खड़ी कर दी जाती थीं। उसके बाद वे आजादी के गीत गुनगुनाते हुए लाल किले की ओर कूच करते थे। समारोह में शामिल होने के लिए लोग रंग-बिरंगी खादी की पोशाक पहन कर आते थे। कोई कंधे पर बच्चा बैठाए हुए, तो कोई तीन-चार बच्चों का हाथ थामे। तब बच्चों में भी गजब का उत्साह दिखता था।

लाल किले के पास पूरे हिंदुस्तान की झलक दिखाई देती थी। पुरानी दिल्ली में जबर्दस्त पतंगबाजी हुआ करती थी। आसमान पतंगों से भर जाता था। लाल किला मैदान में भी सैकड़ों लोग पतंग उड़ाते दिखते। आसपास के देहातों में भी लोगों में आजादी का जश्न देखने का काफी उत्साह होता था।

उनमें महिलाएं भी काफी होती थीं। वे बैलगाड़ियों में भरकर आजादी का पर्व देखने के लिए लाल किला आती थीं। वे और लोगों के साथ रात में ही निकल पड़ती थीं। सुबह- सबेरे बहुत सी महिलाएं लाल किले की ओर पैदल कूच करती थीं। इनमें बुजुर्ग महिलाएं लालकिला पहुंच जाती थीं तो बाकी जनाना पार्क (सुभाष पार्क के सामने पर्दा बाग) में रुक जाती थीं।

वहां लोक गीतों का दौर चलता था। बच्चे खूब खरीदारी करते थे। उनके लिए रंग-बिरंगे मिट्टी के खिलौने, पक्षियों और जानवरों के रूप में बनी मिठाइयां, सारंगी, बांसुरी, मोटर गाड़ी खरीदी जाती थी। बहुत सी महिलाएं पुरानी दिल्ली के बाजारों में खरीदारी करने निकल जाती थीं।

उस जमाने में लाल किले के सामने सिर्फ चांदनी चौक था। जामा मस्जिद के आसपास का स्थान बिल्कुल खाली था। वहां आज की तरह न तो मीना बाजार था, न ही कोई अन्य बाजार। पूरा इलाका खुला हुआ था। उस वक्त न तो सुरक्षा की बंदिशें थी और न ही किसी तरह का खतरा महसूस होता था।

जिधर देखो, गांधी टोपी पहने लोगों की भीड़ नजर आती थी। जिसे जहां जगह मिलती वह वहीं जमीन पर बैठकर भाषण सुनने लग जाता। वहां भी कहीं कोई सुरक्षा का घेरा नहीं होता था। पुरानी दिल्ली के आसपास बड़ी संख्या में लाउडस्पीकर लगे होते थे। लोग आराम से भाषण सुनते थे।

स्वतंत्रता दिवस के दिन बहुत से लोग समारोह समाप्त होने से पहले खाना - पीना ठीक नहीं मानते थे , बिल्कुल किसी व्रत की तरह। जैसे सत्यनारायण भगवान की कथा या अन्य अनुष्ठान समाप्त होने तक लोग भोजन नहीं करते उसी तरह यह समारोह संपन्न होने तक लोग खाना नहीं खाते थे।

लेकिन समारोह समाप्त होते ही वे लजीज पकवानों पर टूट पड़ते थे। वहां कहीं चाट - पकौड़ी बिक रही होती थी तो कहीं फलों के जूस और फल। गुड़ - चने और मसालेदार छोले भी मिलते थे। बुजुर्ग बताते हैं कि उस वक्त एक आने यानी 6 पैसे में कई लोगों का पेट भर जाता था। जामा मस्जिद के आसपास भेड़ और मुर्गों का तमाशा लगता था। लोग मुर्गे और भेड़ की लड़ाई देखने में ऐसे मशगूल हो जाते कि उन्हें पता नहीं चल पाता था कि कि दिन कब निकल गया।

लाल किले पर समारोह के बाद लोगों को रेडियो से समाचार सुनने का इंतजार रहता था। जो लोग किसी कारण से समारोह में शामिल नहीं हो पाते थे , वे भाषण सुनने के लिए रेडियो के आसपास जमा हो जाते थे। क्योंकि उन दिनों घर - घर में रेडियो नहीं थे। एक रेडियो के आसपास भारी भीड़ जमा हो जाती। लोग पूरी शांति से भाषण सुनते थे। फिर कई दिनों तक भाषण पर चर्चा होती थी।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने 20 फरवरी 1947 को घोषणा की थी कि जून 1948 तक ब्रिटिश सरकार भारत को मुक्त कर देगी। लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन की अगुआई कर रहे नेताओं को भरोसा नहीं था कि इस दिन हम अंग्रेजों से आजाद हो पाएंगे।

लगभग एक साल पहले तक यानी 1946 तक पंडित नेहरू सहित अनेक कांग्रेसी नेताओं को यही लगता रहा कि आजादी की लड़ाई ठीक तरह से चलती रही तो अगले दो से पांच वर्षों में सफलता मिल सकती है।

इस बीच परिस्थितियां तेजी से बदलीं। एक ओर देश में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव और हिंसा की घटनाएं शुरू हो गईं , तो दूसरी ओर बहुत से प्रमुख भारतीय अफसर खुलकर आंदोलनकारियों का साथ देने लगे। विश्वयुद्ध के कारण ब्रिटिश सरकार काफी दबाव में थी। अब उसके लिए भारत के शासन को संभालना आसान नहीं रह गया था। वहां अब यह राय मजबूत बनने लगी थी कि सरकार को भारत को आजादी दे देनी चाहिए।

अंतत : भारत को आजादी मिली लेकिन उसका विभाजन हुआ और पाकिस्तान बना। 14 अगस्त को पाकिस्तान की आजादी के समारोह में शामिल होने के बाद लॉर्ड माउंटबैटन भारत की आजादी के समारोह में शामिल होने दिल्ली आए। यहां कई जगह समारोह आयोजित किए गए। इंडिया गेट पर भी समारोह का आयोजन किया गया , जिसमें काफी भीड़ थी। समारोह में पंडित जवाहर लाल नेहरू , लॉर्ड माउंटबैटन सहित तमाम नेता शामिल हुए।

1932 बैच के आईसीएस अधिकारी बदरुद्दीन तैयब जी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उस दिन इंडिया गेट में आयोजित समारोह में इतनी भीड़ थी कि माउंटबैटन और उनकी पत्नी को सभा स्थल तक ले जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। जहां से जवाहर लाल नेहरू भाषण दे रहे थे , वहां तक पहुंचने में काफी परिश्रम करना पड़ा था। पहली बार जब लोगों ने तिरंगा झंडा फहराते हुए देखा तो उनके चेहरे पर अजीब सी चमक थी।

और उस दिन के बारे में माउंटबैटन ने लिखा कि स्थिति अत्यंत विस्फोटक थी। इसलिए भारत छोड़ने में ब्रिटेन ने ज्यादा देर नहीं की। बल्कि ब्रिटेन को भारत इससे पहले ही छोड़ देना चाहिए था। भारत में अनेक स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। कानून और व्यवस्था की स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी।

आशंका थी कि कहीं ऐसी चिंताजनक स्थिति न पैदा हो जाए , जिससे नियंत्रण का दायित्व निभाने की क्षमता ही नहीं रहे। हालत यह थी कि प्रशासनिक सेवा और फौज के अधिकांश अधिकारी सांप्रदायिक गुटों में बंट चुके थे। जिस सांप्रदायिकता को ब्रिटिश शासकों ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अपनाया था उसी के कारण उसे बाहर का रास्ता देखना पड़ा।

और जब पूरा देश जश्न में डूबा हुआ था , गली - मोहल्लों में मिठाइयां बंट रही थीं , गांधी उपवास कर रहे थे। उनके साथ थे कलकत्ता के पूर्व मेयर व जिला मुस्लिम लीग के तत्कालीन सेक्रेटरी एम . एस . उस्मान ।

वीरेंद्र कुमार

Thursday, August 5, 2010

दिल्ली के प्रमुख ब्लड बैंक (Blood Bank)

सेंट्रल दिल्ली

इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी, कनॉट प्लेस : 23711551

सर गंगाराम अस्पताल, राजेंद्र नगर : 42251818, 25735205

ब्लड बैंक ऑर्गनाइजेशन, पूसा रोड : 25721870, 25711055

साउथ दिल्ली

एम्स, अरविंदो मार्ग, अंसारी नगर : 26594438-4400

बत्रा हॉस्पिटल, तुगलकाबाद इंस्टिट्यूशनल एरिया 26056148, 29958747, 26056153-54 (एक्स. 2036)

रोटरी ब्लड बैंक, तुगलकाबाद इंडस्ट्रियल एरिया : 29054066-69

वाइट क्रॉस बैंक, ईस्ट ऑफ कैलाश : 26831063

नॉर्थ दिल्ली

लॉयन्स ब्लड बैंक, शालीमार बाग : 42258494, 47122000

संत परमानंद हॉस्पिटल, सिविल लाइंस : 23981260, 23994401-10, (एक्स. 557)

ईस्ट दिल्ली

धर्मशिला कैंसर फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर, वसंुधरा एनक्लेव 43066428-32

अपोलो ब्लड बैंक, सरिता विहार 26825707

वेस्ट दिल्ली

दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल, हरि नगर, जनकपुरी : 25494403-08 (एक्स. 515), 25129345 (सुबह 9 से शाम 5 बजे तक)


नोएडा

कैलाश हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नोएडा : 0120-2444444, 2440444 -(एक्स. 844), 9560271883

(इन नंबरों पर सातों दिन 24 घंटे फोन कर सकते हैं। )

Tuesday, August 3, 2010

पासपोर्टः जानें अपने अधिकार और जरूरी बातें

साकेत में रहने वाली मालती शर्मा अपना पासपोर्ट बनाने के लिए भीकाजी कामा प्लेस स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी के दफ्तर पहुंचीं। लंबी-लंबी लाइनें देखकर मन थोड़ा परेशान हुआ। अपनी बारी का इंतजार करते-करते दो घंटे बीत गए। जब नंबर आया तो काउंटर पर मौजूद शख्स ने फॉर्म में चार कमी बताकर पूरी कर फिर आने के लिए कह दिया। जब उन महोदय से इस बारे में कुछ पूछना चाहा तो उन्होंने लंबी लाइन का बहाना बनाकर बात करने से इनकार कर दिया।

चार-पांच चक्कर लगाने के बाद महीनों में उनका पासपोर्ट बन पाया। लेकिन उन्हें तब जोर का झटका लगा, जब पासपोर्ट पर अपना नाम ही गलत पाया। पासपोर्ट विभाग के बार-बार चक्कर लगाने के बारे में सोचकर ही उन्हें दिन में तारे नजर आने लगे। आखिरकार उन्हें दलाल की शरण में जाना पड़ा, जिसने चंद दिनों में उनका काम करा दिया। लेकिन यह कोई सही हल नहीं है। पासपोर्ट ऑफिस में कोई परेशानी हो, कर्मचारी रिश्वत मांगे, अधिकारी दिए गए समय पर उपलब्ध न हो, पासपोर्ट तय वक्त पर न बने तो इसकी शिकायत जरूर करें। शिकायत करने से पहले आइए जानते हैं

अपने अधिकारों के बारे में:

- एक वैलिड (मान्य) पासपोर्ट के बिना कोई भी शख्स देश से बाहर नहीं जा सकता। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत हमें देश से बाहर आने-जाने की आजादी दी गई है। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में पासपोर्ट ऑफिस हमें विदेश जाने से रोक सकता है।

- पासपोर्ट ऑफिस के काम के घंटे (वर्किंग-डेज) सोमवार से शुक्रवार को सुबह 9:30 बजे से शाम 6 बजे तक हैं। फॉर्म नंबर एक से संबंधित सुविधाएं सुबह 10 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक उपलब्ध होती हैं, जबकि बाकी कामों के लिए काउंटर सुबह 10 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक खुले होते हैं।

- आवेदक पासपोर्ट अधिकारी से सोमवार, मंगल, गुरुवार व शुक्रवार को ऑफिस आवर्स में मिल सकते हैं।

- साधारण पासपोर्ट बनाने के लिए 45 दिन का समय तय है।

- आपने अपना पासपोर्ट जिस दफ्तर से बनवाया है, जरूरी नहीं है कि दूसरी सेवाओं के लिए आप उसी दफ्तर में जाएं। आप फिलहाल जहां रह रहे हैं, उसके नजदीकी पासपोर्ट ऑफिस में अलग-अलग (विविध) सेवाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं।

- बेहतर यही है कि आपके पासपोर्ट में आपका मौजूदा अड्रेस हो। यदि आप दिल्ली से कहीं बाहर शिफ्ट हो गए हैं तो फॉर्म-2 भरकर अपने मौजूदा अड्रेस के सर्टिफिकेट के साथ नजदीकी पासपोर्ट ऑफिस में आवेदन कर सकते हैं।

- अगर आपके पासपोर्ट पर ईसीआर (इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड) स्टांप लगी है और आप दी गई किसी भी कैटिगरी में आ जाते हैं, जैसे आप दसवीं या उससे ज्यादा पढ़ाई कर चुके हैं तो अपने मार्कशीट सर्टिफिकेट के साथ दफ्तर में आवेदन कर सकते हैं। इससे आप ईसीएनआर (इमिग्रेशन चेक नॉट रिक्वायर्ड) का स्टेटस हासिल कर सकते हैं।

- यदि आप सरकारी नौकरी में हैं तो सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया सर्टिफिकेट लगाना अनिवार्य है। इससे आप बिना पुलिस वेरिफिकेशन के अपना पासपोर्ट पा सकते हैं। गैर-सरकारी बैंक कर्मचारियों या दूसरी प्राइवेट कंपनियों के कर्मियों को यह सुविधा नहीं मिलती है।

- बच्चों के लिए अलग से पासपोर्ट जारी किया जाता है। माता-पिता के पासपोर्ट में बच्चे का नाम शामिल नहीं किया जाता, चाहे बच्चा एक महीने का ही क्यों न हो।

- यदि आपके पासपोर्ट की अवधि छह महीने या उससे कम बची है तो आप उस पर विदेश यात्रा नहीं कर सकते। कुछ देश छह महीने से भी ज्यादा वक्त पर यह नियम लागू कर देते हैं, इसलिए बेहतर होगा कि आप वलिडिटी डेट से एक साल पहले ही पासपोर्ट री-इश्यू करा लें।

इन पर भी गौर करें

- अपने पासपोर्ट के आवेदन की स्थिति पता करने के लिए आप विभाग की आईपीआरएस सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

- एमटीएनएल लैंडलाइन कंस्यूमर 125535 डायल कर सकते हैं, जबकि एयरटेल व एमटीएनएल के मोबाइल कंस्यूमर 55352 डायल कर स्टेटस मालूम कर सकते हैं। यहां से आप दूसरी जानकारी भी ले सकते हैं।

- एसएमएस द्वारा आवेदन की स्थिति जानने के लिए आपको अपने मोबाइल के मेसेज बॉक्स में जाकर 'पीपीटी (फाइल नंबर) टाइप करके 57272 पर भेजना होगा। आपको मेसेज द्वारा जानकारी मिल जाएगी। मेसेज भेजते वक्त ध्यान रखें कि आवेदनपत्र जमा कराने पर आपको एक रसीद जारी की जाती है। उस पर फाइल नंबर होता है, जैसे ए 123456। इसमें एक अल्फाबेट और 6 नंबर होते हैं। मेसेज करते वक्त इस फाइल नंबर के अंत में जिस साल अप्लाई किया है, उसके दो अंक जरूर लगाएं जैसे ए 12345610, इसमें 10 नंबर इस साल को बताता है। इसके बिना आप अपने फॉर्म का स्टेटस नहीं जांच पाएंगे।

- अपने आवेदन का स्टेटस आप पासपोर्ट विभाग की वेबसाइट www.passport.gov.in पर स्टेटस ऑप्शन में जाकर भी चेक कर सकते हैं।

हेल्पलाइन

पासपोर्ट ऑफिस में कोई भी शिकायत होने पर आप डिप्टी पासपोर्ट अधिकारी क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी से मिल सकते हैं या उन्हें लिख सकते हैं :

त्रिकुट-3, हडको बिल्डिंग, भीकाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली - 110066

फोन - 011-26166292/ 26189000

फैक्स- 011-26165870/ 26161783

ईमेल- rpo.delhi@mea.gov.in

अगर आप इन अधिकारियों के जवाब से संतुष्ट न हों तो मुख्य पासपोर्ट अधिकारी को भी लिख सकते है :

संयुक्त सचिव (सीपीवी) एवं मुख्य पासपोर्ट अधिकारी विदेश मंत्रालय, कमरा नंबर- 20, पटियाला हाउस ऐनेक्सी, नई दिल्ली।

फोन नंबर- 011-23387104
फैक्स नंबर- 011-23782821

ईमेल- gov.jscpro@mea.gov.in
jscpro@mea.gov.in

आप पासपोर्ट संबंधी शिकायत के लिए विदेश मंत्री को भी लिख सकते हैं :

विदेश मंत्री,
साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली-110001
फैक्स- 011-23013254/ 23011463

रिऐलिटी चेक

पासपोर्ट दफ्तर के आसपास दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। अधिकारी और कर्मचारी किसी को भी आवेदक से कोई सहानुभूति नहीं है। दिए गए फोन नंबरों पर घंटी बजती रहती है। विभाग की जनता के प्रति जवाबदेही न होने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। जरा-सी गलती होने पर आपका आवेदन रिजेक्ट कर दिया जाता है। कंस्यूमर के पूछने पर भी उसे पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई जाती। इस सब प्रक्रिया में विभाग सो रहा है, पासपोर्ट के नाम पर जनता का शोषण हो रहा है और दलाल फल-फूल रहे हैं।

Monday, August 2, 2010

जानिए पासपोर्ट बनवाने के लिए जरूरी हर बात

पासपोर्ट आज हम सबकी जरूरत है। विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट पहली जरूरत है। सरकार समय-समय पर पासपोर्ट प्रक्रिया को आसान बनाने की बात करती रहती है, लेकिन पूरी जानकारी न होने पर पासपोर्ट बनवाना टेढ़ा काम है। अगर सही जानकारी हो तो आसानी से पासपोर्ट बनवा सकते हैं। पासपोर्ट से जुड़ी पूरी जानकारी दे रहे हैं आदित्य मित्र:

पासपोर्ट फॉर्म कहां से लें और जमा कराएं:
- पासपोर्ट बनवाने के लिए पासपोर्ट ऑफिस, जिला पासपोर्ट केंद्र, स्पीड पोस्ट केंद्र और पासपोर्ट डिपार्टमेंट की वेबसाइट www.passport.gov.in से ऐप्लिकेशन फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं।

- पासपोर्ट विभाग पासपोर्ट की डिलिवरी सिर्फ स्पीड-पोस्ट से ही करता है। किसी विशेष परिस्थिति में यदि आपको काउंटर पर पासपोर्ट देने का वादा किया जाता है तो आवेदक को खुद जाना होगा।

- विभाग ने स्पीड-पोस्ट केंद्रों को पासपोर्ट फॉर्म बेचने व स्वीकार करने के लिए अधिकृत किया हुआ है। इन केंद्रों की जानकारी आप विभाग की वेबसाइट www.passport.gov.in से प्राप्त कर सकते हैं।

दिल्ली में कुल चार जिला केंद्र हैं। आप यहां से पासपोर्ट फॉर्म ले और जमा कर सकते हैं।

- पुलिस भवन, आसफ अली रोड, नई दिल्ली

- शकरपुर पुलिस स्टेशन, दिल्ली

- 9-10 बटालियन, पुलिस लाइन, पीतमपुरा, दिल्ली

- नेहरू प्लेस पुलिस पोस्ट, निकट कालकाजी मंदिर, नई दिल्ली

दिल्ली का क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर दिल्ली के अलावा हरियाणा के नौ जिलों - गुड़गांव, रेवाड़ी, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर, नूंह, मेवात व महेंद्रगढ़ के निवासियों को पासपोर्ट उपलब्ध कराता है।

पासपोर्ट कितनी तरह के

आमतौर पर पासपोर्ट तीन तरह के होते हैं:

1. साधारण पासपोर्ट (नीले रंग का)

2. राजनयिक पासपोर्ट (मरुन रंग का)

3. ऑफिशल पासपोर्ट (सफेद रंग का)

ऐप्लिकेशन फॉर्म दो तरह के होते हैं:

फॉर्म नं. 1.

इस फॉर्म का इस्तेमाल नए पासपोर्ट के लिए अप्लाई करने, अवधि खत्म हो चुके पासपोर्ट को री-इश्यू कराने, गुम या फटे हुए पासपोर्ट के बदले नया पासपोर्ट लेने, नाम या फोटो में तब्दीली या फिर पासपोर्ट के पेज (पन्ने) खत्म होने पर किया जाता है। बच्चों के पासपोर्ट के लिए भी इसी फॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है।

फॉर्म नं. 2

इस फॉर्म का इस्तेमाल पासपोर्ट रिन्यू कराने, पुलिस अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी), ईसीआर (इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड) स्टांप हटवाने, पति/पत्नी का नाम शामिल कराने, अड्रेस में तब्दीली आदि कराने के लिए किया जाता है।

फॉर्म कैसे भरें

पासपोर्ट के लिए अप्लाई करनेवाले ज्यादातर लोगों के फॉर्म अटक जाते हैं, क्योंकि वे सही तरीके से भरे हुए नहीं होते हैं। छोटी-छोटी गलतियां इस प्रॉसेस को मुश्किल बना देती हैं। पासपोर्ट फॉर्म भरने में क्या सावधानियां अपनाई जाएं, आइए जानते हैं :

ऐप्लिकेशन फॉर्म भरने से पहले सभी जानकारियां ध्यान से पढ़नी चाहिए। फॉर्म के शुरू में फोटो चिपकाने, साइन करने (या अंगूठा लगाने) और फीस के भुगतान का ब्यौरा देने के लिए कॉलम बने हैं।

- यदि आप डिमांड ड्राफ्ट से फीस जमा कर रहे हैं तो बैंक का चार नंबरों का कोड भी पता कर लें। यह फॉर्म में भरा जाना जरूरी है। साइन या अंगूठे के निशान बॉक्स की रेखाओं को बिना टच किए बॉक्स के अंदर होने चाहिए, पुरुषों को बाएं व महिलाओं को दाएं हाथ के अंगूठे का निशान लगाना चाहिए।

- साइन के लिए काला या नीला बॉलपेन ही इस्तेमाल करें। अंग्रेजी में फॉर्म भरते समय कैपिटल लेटर्स का इस्तेमाल करें।

- फोटो कलर्ड और लेटेस्ट (हाल में खिंचा) होना चाहिए। पासपोर्ट आकार के ये फोटो 3.5 X 3.5 सेमी के होने चाहिए। ब्लैक ऐंड वाइट या गहरे चश्मे पहने हुए या डार्क बैकग्राउंड में या वर्दी में या पॉलराइड प्रिंट या आम कंप्यूटर प्रिंट वाले फोटो मान्य नहीं हैं। रंगीन फोटो की बैकग्राउंड सफेद हो तो बेहतर है। फोटो में आवेदक का पूरा चेहरा सामने की ओर होना चाहिए। फोटो बिल्कुल बॉक्स में चिपका होना चाहिए। छोटा या बड़ा फोटो नहीं होना चाहिए। ऐप्लिकेशन फार्म के लिए तीन रंगीन फोटो जरूरी हैं। पहला फॉर्म के पहले पेज पर, जबकि बाकी दो फोटो व्यक्तिगत विवरण (पर्सनल इन्फर्मेशन) फॉर्म पर लगाए जाते हैं। इन पर आवेदक के साइन भी जरूरी हैं। पहले पेज पर लगे फोटो पर साइन नहीं करने होते।

कॉलम-1

इस कॉलम में होता है आवेदक का नाम। पहली लाइन में सरनेम (उपनाम) और दूसरी में नाम लिखना होता है। पहली लाइन में सरनेम लिखकर कॉमा लगाएं। फिर अगली लाइन में अपना नाम लिखें। मान लीजिए कि आपका नाम अनिल कुमार राय है तो पहली लाइन में 'राय' लिखकर कॉमा लगाएं, जबकि दूसरी लाइन में 'अनिल कुमार' लिखें। नाम की स्पेलिंग वही हो, जो आपके सर्टिफिकेट्स में दी गई हो। नाम से पहले श्री, श्रीमती, कुमार या कुमारी शब्दों का इस्तेमाल न करें।

कॉलम-2

अगर कभी आपने अपना नाम बदला है तो अपना पिछला पूरा नाम दें। यह ऐसे सभी व्यक्तियों पर लागू होता है, जिन्होंने अपने नाम में किसी भी तरह का बदलाव किया हो, फिर चाहे वह बदलाव मामूली ही क्यों न हो। यह ऐसी महिलाओं पर भी लागू होता है, जिन्होंने शादी के बाद अपना नाम या सरनेम बदला है। यदि नाम में कोई बदलाव नहीं है तो 'लागू नहीं' लिखें।

कॉलम-3

महिला/ पुरुष के विकल्प में दिए गए इस बॉक्स में 'एम' या 'एफ' जो भी लागू हो, लिखें।

कॉलम-4

यह कॉलम जन्मतिथि से संबंधित है। जन्म का दिन, महीना व साल शब्दों में भरा जाए, जैसे कि सर्टिफिकेट में दर्ज हो। जन्म की तारीख का प्रमाणपत्र (बर्थ सर्टिफिकेट) या हाईस्कूल (दसवीं) का सर्टिफिकेट साथ में लगाना होगा। बिना पढ़े-लिखे या कम पढ़े-लिखे आवेदकों को मैजिस्ट्रेट या नोटेरी द्वारा सत्यापित ऐफिडेविट लगाना होगा। जिन आवेदकों का जन्म 26 जनवरी 1989 को या उसके बाद हुआ है, उनका सिर्फ सरकार द्वारा जारी बर्थ सर्टिफिकेट ही मान्य होगा।

कॉलम-5

अगर आवेदक का जन्म भारत में हुआ है तो स्थान का नाम जैसे गांव/ कस्बा, जिला व राज्य का उल्लेख करें। भारत से बाहर जन्म हुआ है तो स्थान और देश का नाम लिखें। भारत के विभाजन से पहले ऐसी जगह पर हुआ है, जो अब पाकिस्तान या बांग्लादेश में है तो उस जगह का नाम लिखें और उसके बाद देश के लिए 'अविभाजित भारत' लिखें।

कॉलम 6, 7 व 8

ये कॉलम पिता, माता और पति/ पत्नी के नाम से संबंधित हैं। इन कॉलमों में नेम व सरनेम दोनों लिखे जाने हैं यानी नेम के बाद सरनेम लिखा जाना चाहिए। यदि आवेदक अविवाहित है तो कॉलम 8 में पति/ पत्नी के नाम की जगह पर 'लागू नहीं' भरना होगा। कॉलम 8 का अगला हिस्सा तलाकशुदा, विधुर या विधवा के लिए है। इसके लिए तलाक के आदेश की अटैस्टेड कॉपी, ऐफिडेविट, डेथ सटिर्फिकेट आदि लगाना होगा।

कॉलम 9 व 10

यह कॉलम आवेदक के निवास-स्थान से जुड़ा है। दिए गए पते पर कब से रह रहे हैं, वह तारीख, फोन नंबर, एरिया पिन कोड के साथ सभी ब्यौरे दिए जाएं ताकि पासपोर्ट ऑफिस अतिरिक्त सूचना या दस्तावेज के मामले में जरूरत पड़ने पर संपर्क कर सके। मोबाइल नंबर फायदेमंद होता है। अगर कॉलम 9 में दिए गए पते पर निवास की अवधि आवेदन करने की तारीख को एक साल से कम है तो निवास की अवधि की जानकारी देते हुए दूसरा पता दें, जहां आप लंबे समय तक रहे हों। अपने माता-पिता से दूर रह रहे स्टूडेंट स्टडी के स्थान से अप्लाई कर सकते हैं। ऐसे मामलों में पते के प्रूफ के लिए शैक्षिक संस्था के प्रिंसिपल/डायरेक्टर/रजिस्ट्रार या डीन का सटिर्फिकेट जरूरी है। पिछले एक साल में एक से अधिक पते के लिए व्यक्तिगत विवरण फॉर्म का एक अतिरिक्त सेट फॉर्म के साथ लगाना होगा।

कॉलम 11

अगर आपके पास पहले से किसी भी तरह का पासपोर्ट है तो उसकी जानकारी इस कॉलम में दी जानी है। अगर पहले कभी आपका पासपोर्ट गुम हुआ हो या खराब हो गया हो तो पुलिस एफआईआर की कॉपी लगाना जरूरी है।

अगर कभी आपने इमरजेंसी सर्टिफिकेट पर यात्रा की है या कभी निर्वासित या सरकार की लागत पर देश प्रत्यावर्तित किए गए हैं तो कॉलम 11 के ए हिस्से में ईसी (इमरजेंसी सर्टिफिकेट) संख्या जारी करने की तारीख और स्थान, मूल गिरफ्तारी मेमो, उस देश और स्थान का नाम जहां से निर्वासित या प्रत्यावर्तित किए गए की जानकारी देनी चाहिए। यदि ईसी की डिटेल्स उपलब्ध न हो तो उस स्थान और देश का नाम दिया जाना आवश्यक है, जहां से निर्वासित या प्रत्यावर्तित किए गए। ऐसे सभी आवेदकों को एफिडेविट नोटेरी के रूप में अपने निर्वासन/ पासपोर्ट के गुम होने की परिस्थितियों की डिटेल्स देनी चाहिए।

कॉलम-12

इस कॉलम के तीन भाग हैं, जिनमें अपनी शैक्षिक योग्यता, आसानी से दिखाई देने वाला पहचान चिह्न (जैसे पुराने जख्म या कोई और निशान) के अलावा लंबाई से.मी. में लिखें।

कॉलम-13

इस कॉलम में सरकारी कर्मचारियों से जुड़ी जानकारी मांगी गई है। अगर आप केंद्र, राज्य सरकार, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) में कार्यरत हैं तो अपने दफ्तर के आई-डी की कॉपी साथ लगाएं। बाकी आवेदक इस कॉलम में 'नहीं' लिखें।

कॉलम-14

यह कॉलम नागरिकता से संबंधित है। आवेदक जन्म, आव्रजन/ रजिस्ट्रेशन या देशीयकरण से है, जो भी स्थिति हो बॉक्स में दर्ज करें। अगर आप जन्म से भारतीय हैं तो लिखें - जन्म से।

कॉलम-15

यह कॉलम इमिग्रेशन चेक से संबंधित है। सभी पेन कार्डधारक, दसवीं या उससे ज्यादा शैक्षिक योग्यता वाले व्यक्ति, डिग्रीधारक डॉक्टर, दूसरे प्रफेशनलों और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए इमिग्रेशन चेक जरूरी नहीं है। ईसीआर (इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड) के जरिए जांच की जाती है कि जो लेबर भारत से बाहर जा रही है, उसके साथ कॉन्ट्रैक्ट होता है, वह लीगल है या नहीं। उसके साथ कोई नाइंसाफी न हो। दरअसल, अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोगों के सामने इस तरह की दिक्कत आ सकती है, इसलिए इन्हें ईसीआर की कैटिगरी में रखा जाता है, जबकि पढ़े-लिखे लोग अपने हकों की रक्षा कर सकते हैं, इसलिए उन्हें ईसीएनआर (इमिग्रेशन चेक नॉट रिक्वायर्ड) कैटिगरी में रखा जाता है। इस कॉलम में 'हां' या 'नहीं' लिखने के साथ-साथ सहायक डॉक्युमेंट लगाना जरूरी है।

कॉलम-16

यह कॉलम बच्चों के लिए है। पहली बार पासपोर्ट के लिए आवेदन करते समय माता/पिता या किसी एक पैरंट के वैलिड पासपोर्ट के ब्यौरे संबंधित कॉलम में दिए जाने चाहिए। ऐसे मामलों में उनके नाबालिग बच्चे के लिए किसी पुलिस सत्यापन के बगैर पासपोर्ट जारी किया जाएगा। ऐसे मामलों में, जिनमें माता-पिता के पास पासपोर्ट नहीं है, माता-पिता के दस्तावेजों के साथ ऐफिडेविट भी देना होगा।

कॉलम-17

यह कॉलम पहले कभी किए गए पासपोर्ट के आवेदन या पासपोर्ट जब्त होने/ रद्द आदि के संदर्भ में है। ऐसे में आवेदक को सही जानकारी देनी चाहिए। कोई तथ्य छुपाने पर पासपोर्ट अधिनियम 1967 के प्रावधानों के तहत हर जुर्म के लिए 5000 रुपये तक का जुर्माना व दूसरी सजा दी जा सकती हैं।

कॉलम-18

यह कॉलम इमरजेंसी के लिए है। पासपोर्ट होल्डर की मृत्यु या दुर्घटना की स्थिति में सूचना दिए जाने वाले व्यक्ति के मोबाइल, टेलिफोन नंबर व ईमेल के साथ-साथ नाम व पता दिया जाना चाहिए।

कॉलम-19

य ह कॉलम भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के प्रति निष्ठा और स्वैच्छिक रूप से किसी दूसरे देश की नागरिकता या यात्रा दस्तावेज प्राप्त न करने आदि के बारे में आवेदक द्वारा की गई घोषणा है। इसके अलावा इस कॉलम में आवेदन-पत्र में सही सूचना देने से संबंधित घोषणा की गई है और आवेदक को यह मालूम है कि पासपोर्ट पाने के लिए कोई गलत सूचना देना व उसे छिपाना अपराध है। आवेदक के पास कोई दूसरा पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज नहीं है। दिए गए स्थान में अप्लाई करने की तारीख और स्थान के साथ-साथ हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लगाया जाना चाहिए।

कॉलम-20

आवेदन-पत्र के साथ लगे सभी दस्तावेजों की फोटोकॉपी की लिस्ट खाली जगह में दी जानी चाहिए या हर दस्तावेज आवेदक द्वारा स्वयं सत्यापित (सेल्फअटैस्ड) किया जाना चाहिए, यानी हर फोटोकॉपी पर आप अपने साइन कर दें।

फॉर्म के साथ नत्थी करें ये डॉक्युमेंट्स :

1. निवास का प्रमाण (अड्रेस-प्रूफ) - राशनकार्ड, पानी या लैंडलाइन फोन या बिजली का बिल, बैंक पासबुक, तीन साल के इनकम-टैक्स रिटर्न की कॉपी, वोटर आई-कार्ड, पति/पत्नी के पासपोर्ट की कॉपी, बच्चों के मामले में पैरंट्स के पासपोर्ट की कॉपी। अड्रेस-प्रूफ के तौर पर सिर्फ राशनकार्ड की कॉपी लगाना काफी नहीं है। इसके साथ ऊपर लिखे गए प्रमाणों में से कोई एक अतिरिक्त प्रमाण-पत्र लगाना होगा।

2. जन्मतिथि का प्रमाण - नगरपालिका या जिले के कार्यालय द्वारा जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र, अंतिम स्कूल या किसी अन्य मान्यता प्राप्त शैक्षिक संस्थान से जन्मतिथि का प्रमाण-पत्र, जहां आवेदक ने पढ़ाई की हो। अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे आवेदक मैजिस्ट्रेट या नोटेरी द्वारा अटैस्टेड ऐफिडेविट लगाएं। अगर आवेदक का जन्म 26.1.89 को या उसके बाद हुआ है तो सिर्फ बर्थ सर्टिफिकेट ही मान्य होगा।

3. ईसीएनआर के लिए पात्रता - पासपोर्ट पर ईसीआर स्टांप नहीं लगाई जाती, तो माना जाएगा कि आवेदक को ईसीएनआर (इमिग्रेशन चेक नॉट रिक्वायर्ड) का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके लिए दसवीं या उससे अधिक शैक्षिक योग्यता का सर्टिफिकेट, पेशेवर डिग्रीधारक जैसे कि डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, अध्यापक, वैज्ञानिक, ऐडवोकेट, मान्यता प्राप्त पत्रकार, सरकारी अधिकारी आदि अपनी डिग्री का सर्टिफिकेट लगा सकते हैं।

ध्यान रखने लायक बातें

- अगर वर्तमान आवेदन से पहले किसी पासपोर्ट दफ्तर में कभी भी पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था और उस पर चाहे कार्रवाई की गई हो या बंद कर दी गई या पासपोर्ट जारी कर दिया गया लेकिन आवेदक को प्राप्त नहीं हुआ हो, तो इसकी जानकारी भी वर्तमान आवेदन-पत्र के संबंधित कॉलम में दी जानी चाहिए। ऐसी किसी जानकारी को छुपाने पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

- 'री-इश्यू' का मतलब है कि मौजूदा पासपोर्ट, जो या तो खत्म हो गया हो या खत्म होने वाला है, उसके बदले दूसरे पासपोर्ट के लिए आवेदन करना। आवेदक समाप्त हो चुके या समाप्त होने वाले पासपोर्ट के बदले में नए पासपोर्ट के लिए पिछले पासपोर्ट की समाप्ति के तीन साल बाद तक और उसकी समाप्ति से एक साल पहले भी आवेदन कर सकता है।

- पासपोर्ट के 'नवीकरण' (रिन्यूअल) का अर्थ है, ऐसा पासपोर्ट जो आपातकालीन परिस्थितियों में एक से पांच साल के लिए जारी किया गया था और जिसे धारक पासपोर्ट जारी करने की तारीख से 10 साल की पूरी वैधता अवधि के लिए बढ़वाना चाहता है। नवीकरण फ्री सर्विस है। इसके लिए आवेदन फॉर्म नं. 2 में किया जाना चाहिए।

- अलग-अलग कैटिगरी के लिए अलग-अलग ऐफिडेविट देने होते हैं, जिनकी जानकारी आपको पासपोर्ट फॉर्म के साथ मिलने वाली सूचना पुस्तिका में उपलब्ध होती है। इसके अलावा आप पासपोर्ट विभाग की वेबसाइट www.passport.gov.in पर ऐफिडेविट ऑप्शन में जाकर उसे डाउनलोड कर सकते हैं।

- पासपोर्ट री-इश्यू के फॉर्म के साथ लगने वाले दस्तावेज - मूल पासपोर्ट, पासपोर्ट के पहले चार और बाद के चार पन्नों व ईसीआर/ ईसीएनआर पेज की सेल्फ अटैस्टेड फोटोकॉपी लगानी जरूरी है।

- फॉर्म के साथ ईसीएनआर स्टांप के लिए जरूरी कागजात, निवास प्रमाण-पत्र, यदि पति/पत्नी का नाम शामिल कराना चाहते हैं तो ऐफिडेविट या रजिस्ट्रार ऑफ मैरिज का सर्टिफिकेट लगाना होगा।

- बॉक्स भरते वक्त हर शब्द के पूरे होने के बाद एक बॉक्स खाली छोड़ें।

- सूचना इस तरह भरें कि वह दिए गए बॉक्स में आ जाए।

- बॉक्स के बाहर कुछ भी न लिखें। ओवरराइटिंग से बचें।

- अधूरे ऐप्लिकेशन फॉर्म स्वीकार नहीं किए जाते।

- पेंसिल या इंकपेन से फॉर्म न भरें।

- पासपोर्ट आवेदन फॉर्म मशीन से पढ़े जाते हैं, इसलिए साफ अक्षरों में भरें। फॉर्म भरते वक्त सावधानी बरतें और किसी भी तरह की गलती से बचें।

- यदि आवेदक को पासपोर्ट की फौरन जरूरत है तो वह तत्काल योजना के तहत आवेदन कर सकता है।

- नाम परिवर्तन की स्थिति में आवेदक (पुरुष व महिला दोनों) को ऐफिडेविट के साथ दो प्रमुख अखबारों की मूल कतरनें (जिसमें नाम बदलने संबंधी सूचना छपी होगी) जमा करनी होंगी, जिनमें से एक दैनिक समाचारपत्र आवेदक के स्थायी या वर्तमान निवास के इलाके का होना चाहिए।

- यदि आप अपना आवेदन-पत्र डाक से भेजते हैं तो आपको सभी दस्तावेजों की गजेटेड ऑफिसर द्वारा अटेस्टेड कॉपी लगानी जरूरी है।

ऑनलाइन आवेदन

पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पासपोर्ट विभाग की वेबसाइट www.passport.gov.in पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ऑप्शन में जाकर कर सकते हैं। इस फार्म का प्रिंट जरूर लें। पासपोर्ट ऑफिस एक निश्चित तारीख और समय पर आपको बुलाएगा। आपके पास आवेदन-फॉर्म के प्रिंटआउट, अपेक्षित दस्तावेज के साथ मूल दस्तावेज व फीस होनी चाहिए। यदि उस समय आप नहीं जा सकते तो अथॉरिटी लेटर के साथ अपने प्रतिनिधि को भेज सकते हैं।

- आप नए पासपोर्ट, री-इश्यू व डुप्लिकेट पासपोर्ट के लिए आवेदन ऑनलाइन कर सकते हैं।

- यदि किसी वजह से आप अपने आवेदन-पत्र का प्रिंटआउट नहीं ले पाते हैं तो अपना आवेदन नंबर जरूर नोट कर लें ताकि बाद में इस आवेदन नंबर व जन्मतिथि की मदद से आवेदन-पत्र का प्रिंट लिया जा सके। आवेदन-पत्र में कई कॉलम ऐसे भी हैं, जिन्हें सिर्फ हाथ से भरा जा सकता है।

तत्काल पासपोर्ट

दस्तावेज : तत्काल स्कीम के तहत नीचे दिए गए दस्तावेजों में से कोई भी तीन दस्तावेजों के साथ ऐफिडेविट भी देना होगा। वोटर आई-कार्ड, सरकार द्वारा जारी सेवा आई-कार्ड, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़े वर्ग का प्रमाण-पत्र, स्वतंत्रता सेनानी आई-कार्ड, हथियार का लाइसेंस, संपत्ति दस्तावेज, राशनकार्ड, पेंशन दस्तावेज, रेलवे आई-कार्ड, पैन कार्ड, बैंक/ किसान डाकघर की पासबुक, मान्यता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं द्वारा जारी किए गए स्टूडेंट आई-कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बर्थ सटिर्फिकेट। ये दस्तावेज सेल्फ अटैस्टेड कॉपियों के साथ मूल रूप में पेश किए जाते हैं।

फीस : तत्काल पासपोर्ट के लिए फीस सामान्य पासपोर्ट फीस से ज्यादा है। इसका भुगतान नगर या संबंधित पासपोर्ट अधिकारी के नाम डिमांड ड्राफ्ट द्वारा किया जा सकता है।

तत्काल पासपोर्ट के लिए अतिरिक्त फीस इस तरह है :

1. आवेदन की तारीख से 1-7 दिन के अंदर - 1500 रु. + 1000 रु. पासपोर्ट फीस

2. आवेदन की तारीख से 8-14 दिन के अंदर- 1000 रु. + 1000 रु. पासपोर्ट फीस

डुप्लिकेट पासपोर्ट (गुम हो गए/ खराब हो गए पासपोर्ट के बदले में)

1. आवेदन की तारीख से 1-7 दिन के अंदर - 2500 रु.+ 2500 रु. डुप्लिकेट पासपोर्ट की फीस

2. आवेदन की तारीख से 8-14 दिन के अंदर 1500 रु.+ 2500 रु. डुप्लिकेट पासपोर्ट फीस

10 साल की वैधता अवधि खत्म होने के बाद फिर से पासपोर्ट बनाए जाने के मामले में

1. आवेदन की तारीख से तीन कार्यदिवसों के अंदर- 1500 रु.+ 1000 रु. पासपोर्ट फीस

- आमतौर पर पासपोर्ट 10 साल के लिए बनाया जाता है। चाहें तो कम वक्त के लिए भी बनवा सकते हैं।

- बच्चों का पासपोर्ट पांच साल या 18 साल की उम्र पर पहुंचने (जो भी कम हो) तक के लिए बनता है।

पासपोर्ट फीस

- 36 पेजों के पासपोर्ट के लिए: 1000 रुपये

- 60 पेजों के पासपोर्ट के लिए: 1500 रुपये

- बच्चों के पासपोर्ट के लिए: 600 रुपये

- 36 पेज के डुप्लिकेट पासपोर्ट के लिए: 2500 रुपये

- 60 पेज के डुप्लिकेट पासपोर्ट के लिए: 3000 रुपये

- अड्रेस, नाम, जन्मतिथि, जन्मस्थान बदलने, जीवनसाथी का नाम चढ़ाने पर फ्रेश पासपोर्ट बुकलेट के लिए: 1000 रुपये