ज्यादातर लोग अपनी छवि को लेकर सचेत रहते हैं। हर आदमी चाहता है कि उसे उस माहौल में बेहतर समझा जाए जिसमें वह रहता है। अपनी इमेज बनाने के लिए लोग बाकायदा प्रयास करते हैं इसलिए आज पर्सनैलिटी डिवेलपमेंट ने एक स्वतंत्र विषय का रूप ले लिया है। लेकिन हम अपनी उन्हीं चीजों को बदल सकते हैं जिन्हें हम जानते हैं। सचाई यह है कि हम अपने बारे में खुद नहीं जानते। हम दूसरों के व्यवहार को तो पढ़ सकते हैं पर खुद के आचरण को बहुत बारीकी से नहीं समझ पाते।
हम इस बात से अनजान रहते हैं कि हमारी मुस्कराहट हमें किस श्रेणी में खड़ा कर रही है या हमारे खड़े होने के ढंग में हमारी पृष्ठभूमि झलक रही है। देह की भाषा बहुत कुछ कहती है लेकिन यह खुद देह या मन के कंट्रोल में नहीं होती। आखिर क्यों कहा जाता है कि वह तो देख के ही सीधा लगता है, या वह मेहनती है। हम अपनी ओर से चाहे जो करें, लेकिन समाज हमारी एक अलग छवि अपने आप बनाता रहता है।
संजय कुंदन
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