एक बार लंदन में मूसलाधार बारिश हो रही थी। ठंड इतनी ज्यादा थी कि लोग-बाग ठिठुर रहे थे। रात में एक होटेल में कांपते हुए पति-पत्नी पहुंचे और उन्होंने एक कमरा मांगा। मैनेजर ने कहा, 'माफ कीजिए, इस समय तो कोई कमरा खाली नहीं है।' इस पर औरत बोली, 'हम कई होटेलों के चक्कर काट चुके हैं। सबने यही जवाब दिया कि कमरा खाली नहीं है। इस वक्त हम कहां जाए?'
लेकिन मैनेजर ने उनकी सहायता करने से इनकार कर दिया। यह बातचीत एक वेटर सुन रहा था। उसने कहा, 'बुरा न मानें तो मैं एक बात कहूं। मेरा एक छोटा सा कमरा है। आज रात आप लोग मेरे कमरे में ठहर सकते हैं।' महिला ने पूछा, 'फिर तुम कहां रहोगे?' उसने कहा, 'इस होटेल में ही रात गुजार लूंगा।'
वेटर ने उस दंपती को अपने कमरे में ठहरा दिया। इस घटना के कई साल बाद उस वेटर को एक पत्र और न्यू यॉर्क आने का टिकट मिला। यह सब वहां के किसी होटेल के मालिक ने भेजा था। पत्र में लिखा था कि आप तुरंत आकर मिलें। वेटर न्यू यॉर्क में उस पते पर पहुंचा, तो हैरत में पड़ गया। सामने बैठे आदमी को देख कर उसे याद आया कि यह तो वही सज्जन हैं, जिन्हें उसने एक बार अपने कमरे में ठहराया था।
उस सज्जन ने वेटर से कहा, 'मुझे विलियम कहते हैं। यह मेरा ही होटेल है।' फिर विलियम ने होटेल की चाबी उसे देते हुए कहा, 'आज से तुम मेरे होटेल के मैनेजर हो।' वेटर घबराकर बोला, 'यह मुझसे नहीं होगा। मैंने हमेशा वेटर का काम किया है। इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने की मुझमें योग्यता नहीं है।'
विलियम ने कहा, 'मैंने उसी दिन तुम्हें परख लिया था, जब तुमने सर्दी की रात में हमें शरण दी थी। मुसीबत में किसी के साथ सहानुभूति रखना और उसकी मदद करना एक मैनेजर की सबसे बड़ी योग्यता होती है। यह योग्यता तुम्हारे पास है।'
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