Saturday, April 3, 2010

दोषी कौन

किसी सेठ के यहां कई कर्मचारी काम करते थे। प्राय: सभी आलसी और कामचोर थे, केवल किरीट बेहद ईमानदार और मेहनती था। वह अपना काम करने के अलावा दूसरों के बचे कार्यों को भी पूरा कर देता था।


एक दिन सेठ ने अपने कर्मचारियों को बुलाया और कहा, 'मुझे पता चला है कि कुछ लोग अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। इससे व्यापार में घाटा हो रहा है। कामचोर कर्मचारी जल्दी सुधर जाएं अन्यथा उन्हें इसका नतीजा भुगतना होगा।' सेठ की चेतावनी से कुछ तो सुधर गए लेकिन ज्यादातर ने चेतावनी अनसुनी कर दी। किरीट हमेशा की तरह पहले अपने काम पूरे करता फिर अपने निठल्ले साथियों की मदद में जुट जाता।


कुछ दिनों के बाद सेठ ने फिर सभी को बुलाकर कहा, 'मैंने पहचान लिया है कि तुम लोगों में असली कामचोर कौन है। उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।' सभी कर्मचारी सोचने लगे कि आज पता नहीं किसकी नौकरी जाएगी। कुछ देर की चुप्पी के बाद सेठ ने कहा, 'सबसे बड़ा गुनहगार किरीट है। उसे सजा मिलेगी।' कर्मचारियों को समझ में नहीं आया कि सेठ क्या कह रहे हैं। एक ने कहा, 'सेठ जी, आप क्या कह रहे हैं।


किरीट तो सबसे ज्यादा मेहनती है।' सेठ ने कहा, 'तुम ठीक कहते हो। मेहनती और ईमानदार होना तो ठीक है, लेकिन दूसरे को आलसी बनाना ठीक नहीं है। दोषी वही नहीं होता जो कामचोर है बल्कि वह भी उतना ही दोषी है जो कामचोर लोगों के काम को पूरा करके उन्हें और निकम्मा बनाने में मदद करता है।' सभी कर्मचारी लज्जित हो गए। उन्होंने एक साथ कहा, 'सेठ जी, हम समझ गए कि आप हमसे क्या कहना चाहते हैं। हम आप को वचन देते हैं कि आज के बाद आप को कोई शिकायत नहीं मिलेगी।' उसके बाद सभी कर्मचारी मन लगाकर काम करने लगे। किरीट को दूसरों के काम करने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी।

संकलन : सुरेश सिंह

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