Saturday, April 24, 2010

लालच का पिशाच

दो भाई धन कमाने के लिए परदेस जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक बूढ़ा दौड़ा आ रहा है। उसने पास आकर कहा, 'तुम लोग आगे मत जाना। वहां भयानक पिशाच बैठा है। तुम्हें खा जाएगा।' यह कहकर वह चला गया। उन भाइयों ने सोचा कि बेचारा बूढ़ा किसी चीज को देखकर डर गया होगा। हम जवान हैं। हम क्यों डरें। यह सोचकर दोनों आगे बढ़े।

थोड़ा आगे बढ़ते ही उन्हें एक थैली पड़ी हुई मिली। उन्होंने थैली को खोलकर देखा। उसमें सोने की मोहरें थी। दोनों ने इधर-उधर निगाह दौड़ाई, वहां कोई भी नहीं था। प्रसन्न होकर बड़ा भाई बड़बड़ाया, 'हमारा काम बन गया। परदेस जाने की अब जरूरत नहीं रही।' दोनों को भूख लगी थी। बड़े भाई ने छोटे भाई से कहा, 'जाओ, पास के गांव से कुछ खाना ले आओ।' छोटे भाई के जाते ही बड़े भाई के मन में विचार आया कि कुछ ही समय में मोहरें आधी-आधी बंट जाएंगी। क्यों न छोटे भाई को रास्ते से ही हटा दिया जाए।


इधर छोटे भाई ने भी यही सोचा और उसने खाने में विष मिला दिया। वह खाने का समान लेकर लौटा तो बड़े भाई ने उसे गोली मार दी। छोटा भाई वहीं ढेर हो गया। बड़े भाई ने सोचा कि पहले खाना खा लूं, तब गड्ढा खोदकर भाई को उसमें गाड़ दूंगा। उसने ज्यों ही पहला कौर खाया, उसकी मौत हो गई। बूढ़े की बात सच निकली। लालच का पिशाच दोनों भाइयों को खा गया था।

1 comment:

  1. are vaah pradeepji! aap itne badhiya short stories bhee likhte ho ye to mujhe pata hi nahin thaa. Godd. Keep it up.

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