लहसुन में कैंसर से लड़ने की ताकत होती है, क्योंकि यह खाने -पीने की चीजों या प्रदूषण से शरीर में बनने वाले नाइट्रोसेमाइन के असर को कम करता है।
एनालिटिकल बायोकेमिस्ट्री जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नाइट्रोसेमाइन का संबंध कैंसर से होता है। ज्यादातर सब्जियों, पैकेज्ड फूड और इंडस्ट्री से निकलने वाले कचरे में नाइट्रेट की मात्रा होती है। करीब 20 पर्सेंट नाइट्रेट शरीर में जाकर नाइट्रोसेमाइन में बदल जाता है। अभी तक यह माना जाता था विटामिन सी नाइट्रोसेमाइन से कुछ हद तक लड़ने में कारगर होता है, क्योंकि यह एंटीऑक्सिडेंट होता है।
नई स्टडी में लहसुन के असर को देखा गया। स्टडी में शामिल लोगों को एक हफ्ते तब बिना नाइट्रेट और लहसुन वाली डाइट दी गई। इसके बाद उन्हें सोडियम नाइट्रेट का डोज को ऐसे फॉर्म्युले के साथ दिया गया जो टॉक्सिक में नहीं बदलता है। बावजूद इसके यूरीन टेस्ट में इसके टॉक्सिक में बदलने की प्रक्रिया का पता लगा।
इसके बाद स्टडी में शामिल लोगों के एक ग्रुप का इलाज लहसुन के डोज से किया गया। उन्हें एक, तीन या पांच ग्राम ताजा लहसुन या तीन ग्राम लहसुन का रस दिया गया। दूसरे ग्रुप को 500 मिली ग्राम एस्कॉर्बिक एसिड या विटामिन सी दिया गया। दोनों ग्रुप्स को सात दिनों तक ये डोज दिए गए और हर दूसरे दिन उनका यूरीन सैंपल लिया गया। टेस्ट में पता लगा कि लहसुन का डोज लेने वालों में नाइट्रोसेमाइन की मात्रा कम थी।
रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों का मानना है कि रोजाना पांच ग्राम लहसुन का इस्तेमाल कई तरह की दिक्कतों से बचा सकता है। लहसुन की एक कली को एक ग्राम के रूप में वजन कर सकते हैं। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ, नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रिकल्चर्स ह्यूमन न्यूट्रिशन रिसर्च सेंटर द्वारा की गई इस स्टडी में कहा गया है कि यह काफी छोटी स्टडी थी, ऐसे में ज्यादा लहसुन के इस्तेमाल से ज्यादा फायदे होने की भी उम्मीद है।
Tuesday, March 9, 2010
लहसुन में हैं कैंसर से लड़ने के गुण
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