धरती को सदियों से बार-बार ज्वालामुखी विस्फोटों का सामना करना पड़ा है। एक नए शोध में दावा किया गया है कि करीब दस करोड़ वर्ष पहले ज्वालामुखियों की बाढ़ में समुद्री जीवन का एक तिहाई हिस्सा खत्म हो गया होगा। अब तक माना जाता था कि वातावरण में छोड़ा जाने वाला कार्बन डाइआक्साइड मौसम में आ रहे बदलावों का मुख्य कारण है।
‘द टाइम्स’ के अनुसार एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने पाया है कि ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण निकला सल्फर पर्यावरण में बदलाव लाता है जो समुद्रों में ऑक्सीजन की कमी का प्रमुख कारण है। इस कारण समुद्री जीवन की काफी क्षति हुई। अध्ययन के अनुसार ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण समुद्र के बैक्टीरिया और 27 फीसदी समुद्री जीव नहीं बच सके।
भले ही सल्फेट समुद्री जिंदगी के लिए मुख्य पोषक तत्व नहीं हैं लेकिन शोध के लेखकों ने एक नयी प्रणाली का सुझाव दिया है यह समुद्री जीवों के लिए सहायक हो सकता है। शोध को ‘नेचर जियोसाइंस’ पत्रिका के नवीनतम अंक में प्रकाशित किया गया है।
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